Thursday, March 28, 2024
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मुंबई अंडरवर्ल्ड में नए गिरोह की दस्तक

मुंबई अंडरवर्ल्ड पर हिंदी में देश की पहली पुस्तक मुं’भाई में खोजी पत्रकार विवेक अग्रवाल ने कई खुलासे किए हैं, उनमें से एक यह भी है कि 16 साल की कच्ची उम्र में छोटा राजन के सबसे करीबी साथी और नाना कंपनी के सेनापति रहे धर्मेंद्र पांडे उर्फ रोहित वर्मा उर्फ बब्बू के मुरीद बन चले विक्रोली के किशोरवय प्रसाद पुजारी ने अब जाकर चुप्पी तोड़ी है।

अक्तूबर 2015 में उल्हासनगर में एक केबल संचालक की हत्या के मामले में सुरेश पुजारी ने खुद मीडिया और प्रेस को फोन करके बताया कि ये हत्या उसने पांच करोड़ के हफ्ते के लिए की है। बाद में पता चला कि इस मामले में असली दिमाग तो प्रसाद का था।

एक भजन गायक का सुशिक्षित बेटा प्रसाद खूंरेजी के धंधे में पिछले दो दशकों से सक्रिय है। वह भी विदेशों में रह कर गिरोहों के साथ जुड़ा हुआ था। रोहित वर्मा के साथ वह तब तक जुड़ा रहा, जब तक कि सन 2000 में बैंकॉक में राजन पर हमले के दौरान उसकी मौत नहीं हो गई।

प्रसाद को इस बात का अफसोस है कि छोटा राजन के लिए उसने न जाने क्या-क्या किया, रोहित ने तो अपनी जान दे दी, लेकिन उसके परिवार को, खासकर उसकी पत्नी सरिता तो कुछ भी नहीं दिया। प्रसाद का दावा है कि वह अब छोटा राजन के पीछे पड़ा है और उसके सभी लोगों को वह खत्म करेगा।

वाणी प्रकाशन से छप कर आई इस पुस्तक मुं’भाई में खोजी पत्रकार विवेक अग्रवाल ने लिखा है कि प्रसाद का दावा है कि उल्हासनगर के केबल संचालक की हत्या राजन कंपनी के पैसों से इमारतें तामीर करवाने के चक्कर में ही हुई है। उसके गिरोह के आठ सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद भी कई और सदस्यों को होने का दावा प्रसाद करता है।

एक हत्या : गिरोह दो
11 सितंबर 2015 की शाम लगभग 4.10 मिनट पर एक खबर आती है कि लगभग 10 मिनट पहले उल्हासनगर के केबल ऑपरेटर सचदानंद कारिया को करीब से गोली मारने की दिल दहलाने वाली वारदात हुई है। बेखौफ सुपारी हत्यारों ने यह तक न देखा कि वहां सीसीटीवी लगा है और सचदानंद को उसके ही दफ्तर में घुस कर सबके बीच गोली मार दी। पूरी वारदात दफ्तर के सीसीटीवी कैमरे में दर्ज हो गई। पहले तो यही खबर आई कि हफ्तावसूली का यह मामला अनूठा है क्योंकी रवि पुजारी गिरोह किसी की हत्या नहीं करता। वो हफ्तावसूली के लिए सरेआम हत्या न कर दरवाजों या कारों पर गोलियां चलाने या अधिकतम शिकार को घायल करने की कोशिश करते हैं। इसका फायदा यह होता है कि शिकार जिंदा भी रहता है, वो डर कर गुंडों को हफ्ता चुका भी देता है।
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सीसीटीवी में दर्ज दृष्य में साफ दिखता है कि दो लोग सचदानंद के दफ्तर में घुसते हैं। उनमें से एक ने पतलून में खोंसा पिस्तौल निकाला तो सचदानंद बचने की कोशिश करता है। हमलावर की पिस्तौल पकड़ने की कोशिश करता है। हमलावर उसे वापस कुर्सी पर धक्का देता है। उसके बाद हमलावर कुर्सी पर बैठे सचदानंद पर गोली चलाता। गोली उनके पेट में लगती है। वे कुर्सी पर गिरते हैं। हमलावर और गोलियां दागता है लेकिन निशाना चूकता है। उसके बाद हमलावर आराम से चले जाते हैं। घायल सचदानंद दफ्तर के बाहर निकलता है, जिसे कुछ कर्मचारी अस्पताल ले जाते हैं, जहां उनकी मौत हो जाती है।

क्या रवि पुजारी की हत्या?
इसके बाद मीडिया और प्रेस में यह खबर छा जाती है कि सरगना रवि पुजारी ने यह हत्या करवाई है। कुछ देर बाद सुरेश पुजारी का फोन स्थानीय अखबारों और समाचार चैनलों के पत्रकारों को आता है। वह दावा करता है कि यह हत्या उसने करवाई है, न कि रवि पुजारी ने। सुरेश पुजारी उर्फ एसपी ने दावा किया कि सचदानंद से उसने पांच करोड़ रुपए हफ्ता मांगा था, जो देने में आनाकानी करने के कारण हत्या की है। उसने कहा कि जो उसकी बात नहीं मानेगा, उसका यही अंजाम करेगा।

इसी माह से स्वतंत्र रूप से काम करने लगे एसपी ने हमले के एक हफ्ता पहले ही फोन कर सचदानंद से 5 करोड़ रुपए मांगे थे। सचदानंद ने पुलिस को धमकी की लिखित शिकायत की थी। सचदानंद के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने शिकायत पर ध्यान नहीं दिया, जिससे यह हत्या हुई।

इस बीच यह जानकारी मुखबिरों से मिली कि इस मामले में जिस सुरेश पुजारी को रवि पुजारी का भाई बताया जा रहा है, वह पूरी तरह निराधार खबर है। असल खबर यह है कि प्रसाद पुजारी उर्फ पीपी के साथ मिल कर नया गिरोह बना कर मुंबई में आतंक फैलाने और कमाई करने के चक्कर में सुरेश पुजारी उर्फ एसपी ने यह हत्या की है।

मिल गया पीपी
जब पीपी को लेखक ने खोज निकाला और फोन पर चर्चा की तो उसने कहा कि सचदानंद की हत्या सिर्फ हफ्ते के चक्कर में नहीं की है। वह असल में बतौर बिल्डर काम कर रहा था। वो नाना कंपनी की काली कमाई इमारतें तामीर करवाने में करता था। हमें यह पता चला तो उससे एक निर्माणाधीन इमारत की कमाई का 5 फीसदी हिस्सा मांगा। उसने इंकार किया तो बता दिया कि छोटा राजन या कोई भी उसे बचा नहीं पाएगा। उसे ही नहीं, किसी को भी नहीं छोटा राजन बचाने की स्थिति में नहीं है।

इधर पुलिस अधिकारियों ने एक के बाद एक तीन जगहों पर छापामारी की और महज 15 दिनों में ही इस नई पीपी-2 कंपनी के 8 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। इस तरह पहले ही हत्याकांड के 8 आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही पीपी-2 कंपनी का पूरा मोड्यूल ही खत्म हो गया।

पीपी कंपनी का सरगना प्रसाद पुजारी फोन पर कहता है, ‘एक मोड्यूल खत्म होने से पूरी कंपनी खत्म नहीं हो गई है। हमें न तो छोटा राजन से अब कोई हमदर्दी है, न हमें डी-कंपनी से कोई लेना-देना है। हम यहां पैसे कमाने नहीं आए हैं। हम मुंबई की सफाई करने आए हैं।’

लीजिए, एक और ‘जय हिंद’ वाला गिरोह सरगना आ गया।

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