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मुंबई के अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन ने वित्त मंत्री से रिटेल व्यापार की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की माँग की

मुंबई। केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीथारमन को आज भेजे एक पत्र मे अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन मुंबई ने देश के व्यापारिक समुदाय के लिए आर्थिक पैकेज का आग्रह करते हुए उनका ध्यान रिटेल व्यापार द्वारा सामना किए जा रहे कुछ मुख्य मुद्दों की ओर आकर्षित किया है जिसके कारण से व्यापारियों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है। आई वी एफ ने कहा है की वर्त्तमान लॉक डाउन के विकट समय में व्यापार पूरी तरह से बंद है और पूंजी का प्रवाह लगातार बढ़ रहा है, ऐसे समय में देश भर के व्यापारी बेहद परेशां और निराश है और अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंतित है !

आई वी एफ ने कहा है कि इस स्तिथि को देखते हुए यदि सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो भारत में खुदरा व्यापार की मूल संरचना अत्यधिक विकृत हो जाएगी।

आई वी एफ के प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल मेहता एवं प्रदेश महामंत्री दिलीप माहेश्वरी श्रीमती निर्मला सीतारमण को भेजे पत्र में कहा है की केंद्र सरकार की सलाह के अनुसार, देश भर के व्यापारियों ने मार्च, 2020 की अवधि के लिए अपने कर्मचारियों को पूर्ण वेतन का भुगतान करके अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है जबकि व्यापारी बेहद अधिक आर्थिक तंगी में थे किन्तु अब अप्रैल महीने के वेतन का भुगतान करना देश भर के व्यापारियों के लिए बेहद मुश्किल है और यदि व्यापारियों ने अप्रैल के महीने का अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान किया तो उनके व्यापार को तीव्र वित्तीय संकट झेलना पड़ेगा जिसके चलते देश के खुदरा व्यापार की मूल वित्तीय नींव हिल जाएगी और नष्ट हो जाएगी।

इस संदर्भ में आई वी एफ ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है की सरकार के पूरा वेतन देने के पूर्व के निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए बेहतर होगा यदि सरकार व्यापारियों को अपने कर्मचारियों के साथ वेतन के आपसी समझौते के अनुसार वेतन का भुगतान करने या व्यापारियों को 30% वेतन का भुगतान करने की अनुमति दे जो कर्मचारी की आजीविका के लिए पर्याप्त है अन्यथा वैकल्पिक रूप से सरकार कर्मचारियों के वेतनके भुगतान में 50% योगदान करे , व्यापारी 25% योगदान दें और बाकी 25% कर्मचारियों द्वारा वहन किया जाए ! वर्तमान परिदृश्य के तहत जब कोई व्यापार ही नहीं हो रहा है और व्यापारियों पर अनेक प्रकार के कई वित्तीय दायित्व हैं तो न्याय की दृष्टि से इस गंभीर मुद्दे पर सरकार का हस्तक्षेप आवश्यक है !

कांतिलाल मेहता और दिलीप माहेश्वरी ने आगे सुझाव दिया कि मुद्रा योजना को संशोधित करते हुए व्यापारी बैंकों से उचित ब्याज दर पर ऋण ले ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए और मुद्रा योजना के तहत अधिकतम राशि रुपये 10 लाख को 25 लाख तक बढ़ाया जाना चाहिए और गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों को मुद्रा लोन देने के लिए एक जनादेश दिया जाना चाहिए और बैंकों को इन एनबीएफसी को कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करने के लिए कहा जाना चाहिए ।

श्री कांतिलाल मेहता एवं दिलीप माहेश्वरी ने यह भी सुझाव दिया कि भारतीय रिज़र्व बैंक के तहत ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम ले अंतर्गत किसी भी खरीदार इकाई जिसका वार्षिक टर्नओवर रुपये 300 करोड़ रुपये से ऊपर है को दिए गए सामान के बिल का भुगतान विभिन्न एजेंसियों द्वारा डिस्कॉउंटिंग के रूप में किया जाता है ।औसत व्यापारी इस योजना का लाभ उठाने में असमर्थ हैं क्योंकि उनके अधिकांश खरीदार उपरोक्त सीमा से बहुत कम का कारोबार करते हैं ।आई वी एफ ने सुझाव दिया है कि एक वर्ष के लिए इस योजना के अंतर्गत 300 करोड़ रुपये की आवश्यकता को घटाकर 10 करोड़ रुपये तक लाया जाना चाहिए, जिससे अधिकांश व्यापारी अपने बिलों में छूट प्राप्त कर सकेंगे और उनके पास कुछ मात्रा में कार्यशील पूंजी उपलब्ध हो सकेगी ।

श्री कांतिलाल मेहता एंव दिलीप माहेश्वरी ने यह भी कहा कि व्यापारियों को लॉक्ड डाउन खुलने के बाद बहुत बड़ी मात्रा में कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होगी जिसके लिए आई वी एफ ने सुझाव कि सरकार बैंकों को आदेश दे की 3% ब्याज पर व्यापारियों को “कोरोना वित्त ऋण” एक आसान तरीके से प्रदान करें और उक्त ऋण की पहली किस्त जनवरी 2021 से दी जाये तथा 60 समान किश्तों में ऋण का भुगतान किया जाए ।

श्री कांतिलाल मेहता एंव दिलीप माहेश्वरी ने कहा कि उपरोक्त कदमों के साथ एक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज का इंतजार देश भर के व्यापारी कर रहे हैं जिससे व्यापारियों पर पड़ने वाले अन्य वित्तीय बोझ कम हो सके । खुदरा व्यापार के तहत देश के व्यापारियों पर तुरंत ध्यान देने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि व्यापारी वर्ग कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा पीड़ित है और अगर व्यापारियों का ध्यान नहीं रखा गया तो इस क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा जो व्यापारियों से अकेले पूरी नहीं हो सकती हैं ।