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उत्तर प्रदेश चुनावों में राजनैतिक दलों में मुस्लिम तुष्टिकरण की होड़

उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम राजनीति व तुष्टिकरण का काफी प्रभाव रहा है। चाहे लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा यहाँ तक कि नगर निगम तक के चुनावों में भी प्रदेश के तथाकथित सेकुलर राजनैतिक दल किसी न किसी प्रकार से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे हैं। 2014 लोकसभा में मोदी लहर व 2017 में योगी सरकार बनने के बाद ऐसा लग रहा था किमुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का प्रभाव बहुत कम हो गया जिस पर सभी राजनैतिक विष्लेषक भी आश्चर्यचकित रह गए।

2022 में योगी सरकार कीअपराधियों के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति, श्रीरामजन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण प्रारंभ होने और काशी विश्वनाथ धाम के नवीनीकरण से उपजे सत्ता समर्थन को देखकर भाजपा के विरोधी राजनैतिक दल एक बार फिर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति को नये आक्रामक अंदाज में धार देने लग गये हैं।

प्रदेश में सभी राजनैतिक दल अपने उम्मीदवारों के चयन को अंतिम रूप दे रहे हैं। जिसमें सपा,बसपा और कांग्रेस सहित औवेसी ने भी अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। सभी दल मुस्लिम तुष्टिकरण की होड़ में हिंदू विरोधी साबित होते जा रहे हैं।

समाजादी पार्टी ने अब तक जितने भी मुस्लिम उम्मीदवार बनाए हैं उन सभी के ऊपर दंगा कराने से लेकर हर तरह के अपराध करने में मुकदमें दर्ज हैं। सपा के कई उम्मीदवार जेल में बंद हैं। सपा ने कैराना से हिंदुओं के पलायन के लिये जिम्मेदार नाहिद हसन को टिकट दिया ,यह कुख्यात अपराधी है जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और जमानत याचिका खारिज कर दी गयी है। इसी प्रकार धौलाना से असलम चौधरी, बुलंदशहर से हाजी युनूस, मेरठ से रफीक अंसारी लोनी से मदन भैया साहिबाबाद से अमरपाल स्रूना से दिलनवाज को चुनाव में उतारा है। समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम तुष्टिकरण की सभी हदों को पार करते हुए पूर्व मंत्री व जेल में बंद आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम को प्रेस वाता में अपने बगल में बैठकार सम्मानित किया। यही नहीं सपा ने भारत माता को डायन बताने वाले व जेल में बंद आजम खां को भी फिर से अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। सहारनपुर जिले में 2014 में गुरूद्वारे की भूमि को लेकर हुए दंगे में मुख्य आरोपी मोहर्रम अली उर्फ पप्पू भी सपाई हो गया है। यह सहारपुर का पूर्व पार्षद है जिस पर वहां की पुलिस ने 87 मुकदमें दर्ज कर रखे हैं। सपा अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश सचिव और सिख समाज के नेता अभिषेक अरोड़ा ने इस पर तीखा विरोध दर्ज कराया है। अभी जब समाजवादी पार्टी की पूरी सूची आ जायेगी तब हालात और साफ हो जायेंगे कि सपा बदली नहीं अपितु बदले की भावना से यह और खतरनाक होती जा रही है।

सभी सर्वे से पता चल रहा है कि प्रदेश का 77 प्रतिशत मुसलमान सपा को वोट करने जा रहा है लेकिन जिस प्रकार से सपा का आचरण चल रहा है वह उसके विपरीत भी हो सकता है। सपा मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही है। सपा ने मुसलमानों को खुश करने के लिए अयोध्या में जमीन घोटाले का आरोप लगाया और श्रीराम मंदिर के लिए दान करने वाले लोगों का अपमान किया। सपा को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण रास नहीं आ रहा है।

अब बात करते हैं कांग्रेस की, अभी तक यह कहा जा रहा था कि प्रदेश की राजनीति में इस बार कांग्रेस शून्य की ओर जा रही है अतः अपने अस्तित्व पर आ रहे संकट को बचाकर रखने के लिए कांग्रेस ने महिलाओं और मुस्लिम समाज पर दांव चल दिया है। चुनाव के आरम्भिक दौर में ही कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अयोध्या पर एक पुस्तक लिखी थी जिसके कई अंशों ने राजनैतिक खलबली मचा दी थी। सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक के माध्यम से हिंदू बनाम हिंदुत्व के एजेंडे को नया रूप देने का असफल प्रयास किया था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना बोको हरम जैसे आतंकी संगठन से करके अपनी करायी थी। कांग्रेस ने उन्हीं सलमान की पत्नी लुईस खुर्शीद को टिकट दिया है। यह वही लुईस हैं जिन पर समाजसेवा के नाम पर दिव्यांगजनों की रकम खाने का भी आरोप है। लुइस पर अभी भी मुकदमा चल रहा है। कांग्रेस ने लखनऊ मध्य से सीएए विरोधी दंगों में शामिल महिला को टिकट देकर अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं।

उप्र चुनाव से पहले इस्लामिक मौलवी और इत्तेहाद -ए- मिल्लत काउंसिल के प्रमुख तौकीर रजा खान कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। यह वही रजा हैं जिन्होंने कुछ समय पहले हिंदुओं के नरसंहार का आहवान किया था। भाजपा प्रवक्ता ने बताया कि मीडिया ने इस मौलाना का एक वीडियो दिखाया था जिसमें वह हिंदुओं के खिलाफ जहर उगल रहे थे। तौकीर रजा खान पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर चुके हैं और उन पर केस दर्ज है। मौलाना तौकीर रजा एक ऐसा व्यक्ति है जो पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का सिर कलम करने का फतवा भी जारी कर चुका है। वह हिंदू समुदाय को भी धमकी देता रहा है। मौलाना ने एक बार कहा था कि अगर कानून व्यवस्था उनके हाथ में आ गई तो हिंदुओं को भारत में रहने के लिए जह नहीं मिलेगी। वे यह भी कहते हैं कि वे भारत का नक्षा भी बदल देंगे। मौलाना ने अब कांग्रेस को अपना समर्थन भी दे दिया है जिसका आज कड़ा विरोध किया जा रहा है। सभी सेकुलर दलों का हिंदू विरोधी चेहरा बेनकाब होता जा रहा है। यह लोग हिंदू समाज को डराने- धमकाने व विभाजनकारी रणनीति पर काम कर रहे हैं।

कांग्रेस व सेकुलर दलों के लोग हिंदू धर्मसंसद में दिये गये भाषणों पर तो खूब हल्ल मचाते हैं और कोर्ट तक पहुंच जाते हैं लेकिन जो लोग हिंदू समाज के नरसंहार की धमकी दे हैं और अपना वीडियो जारी करते हैं उन्हें यह सभी पार्टियां गले लगा रही हैं। सेकुलरवाद का दोहरा और विकृत चेहरा इस बार विधानसभा चुनावों में साफ दिखायी पड़ रहा है। सभी टीवी चैंनलों पर जो बहस आ रही है उसमें सभी सेकुलर दलों के प्रवक्ता तौकीर रजा का बचाव कर रहे हैं किसी भी दल ने तौकीर का खुला विरोध नहीं किया क्योंकि अब राजनीति ही सेलेक्टिव हो गयी है।

रही बात बसपा की तो उसने भी अब तक 14 मुस्लिमों को मैदान में उतारा है और सीएए जैसे कानूनों का विरोध करती रही है। प्रदेश में राजनतिक पकड़ को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे ओवैसी न अतीक अहमद की पत्नी को अपना उम्मीदवार बनाया है। एक प्रकार से कोई भी दल मुस्लिम तुष्टिकरण में पीछे नहीं रहना चाहता है और इसलिए हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत के बीज बोना अनिवार्य हो गया है।

मृत्युंजय दीक्षित
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