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नर्मदा पुत्र अमृत लाल वेगड़ नहीं रहे।

हिंदी और गुजराती भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार और चित्रकार अमृतलाल वेगड़ का शुक्रवार सुबह 10.15 बजे मध्यप्रदेश के जबलपुर में निधन हो गया। वे 90 साल के थे। उन्हें अस्थमा की समस्या थी, कुछ समय पहले उनका प्रोस्टेट का ऑपरेशन भी हुआ था, उसके बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता गया।

वे अपने पीछे पत्नी कांता वेगड़ और 5 पुत्र शरद, दिलीप, नीरज, अमित, राजीव वेगड़ को शोकाकुल छोड़ गए हैं।

उनके निधन पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि-

वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने उन्हें याद करते हुए लिखा कि- ‘एक और भारत रत्न चला गया। अमृत लाल वेगड़ – देश में पर्यावरण संरक्षण और नदी की शुचिता का पालक अब नहीं हैं। यह सच स्वीकार करना बहुत कठिन है। मेरी श्रद्धांजलि’

अमृतलाल वेगड़ का जन्म 3 अक्टूबर 1928 में जबलपुर में हुआ। 1948 से 1953 तक शांतिनिकेतन में उन्होंने आर्ट की पढ़ाई की। वेगड़ जी ने दो बार नर्मदा की पूरी परिक्रमा की। उन्होंने नर्मदा पदयात्रा वृत्तांत पर तीन किताबें लिखीं हैं, जो हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगला अंग्रेजी और संस्कृत में प्रकाशित हुई हैं।

अमृतलाल वेगड़ ने नर्मदा और सहायक नदियों की 4000 किलोमीटर से भी अधिक की पदयात्रा की। वे पहली बार वर्ष 1977 में 50 वर्ष की अवस्था में नर्मदा की पदयात्रा में निकले और 82 वर्ष की आयु तक इसे जारी रखा।

‘सौंदर्य की नदी नर्मदा’ उनकी प्रसिद्ध किताब है। ‘अमृतस्य नर्मदा’ और ‘तीरे-तीरे नर्मदा’ तीसरी किताब है। चौथी किताब ‘नर्मदा तुम कितनी सुंदर हो’ जो 2015 में प्रकाशित हुई थी

उन्हें गुजराती और हिंदी में साहित्य अकादमी पुरस्कार और महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार जैसे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका था।