Thursday, April 18, 2024
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मातृ भाषा संवर्धन से राष्ट्र भाषा होगी मजबूत-पद्म श्री उषा

गाथांतर सम्मान में महिला साहित्यकार हुई सम्मानित
-सम्मान के बाद कथाकारों ने किया कहानी पाठ
-संभावना कला मंच गाज़ीपुर के कलाकारों द्वारा कविता चित्र प्रदर्शनी लगाई गई
-आज़मगढ़ में पहली बार हुआ ऐसा कार्यक्रम

आज़मगढ़। आज़मगढ़ शहर के नेहरू हॉल में गुरुवार को गाथांतर सम्मान समारोह एवं कहानी पाठ कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिले में महिलाओं द्वारा आयोजित यह पहला साहित्यिक कार्यक्रम रहा।देश के विभिन्न भागों से आई राष्ट्रीय पहचान की महिला साहित्यकारों ने अपनी कहानियों का भी पाठ किया। स्रोताओं ने कहानियों को बड़े धैर्यपूर्वक सुना। श्रोताओं ने संवाद कार्यक्रम में महिला लेखिकाओं से अपने मन की बात भी की.

-मैथली लेखिका ने भोजपुरी भाषा के लिए की पैरवी

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रख्यात कथाकार पद्म श्री उषा किरण खान ने कहा कि सभी मातृ भाषाएं आगे बढ़ेगी तो राष्ट्र भाषा खुद मजबूत हो जाएगी।राष्ट्र भाषा के आड़े मातृ भाषा नहीं आती।मैथली लेखिका होने के बावजूद उषा किरण ने भोजपुरी भाषा के लिए जमकर पैरवी की। उन्होंने कहा कि सहित्य अकादमी के पुरस्कारों की श्रेणी में भोजपुरी भाषा की रचनाएं न होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे लोग जो अलग कर रहे है उन पर कहानियां लिखे।
अध्यक्षीय संबोधन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी ने कहा कि स्त्री रचनात्मकता और स्त्री शक्ति यहां देखने को मिला।आज स्त्री लेखन ने महिलाओं के मन की बात को विश्व पटल पर पहुचाया है।
साहित्यकार सोनी पांडेय ने कहा कि आजमगढ़ साहित्य व संस्कृति की उर्वरक जमीन रही है। कुछ वर्षों में जनपद की छवि को बिगाड़ने की कोशिश की गई। बहुत सारे सृजनधर्मी इस छवि को बदलने के लिए निरंतर कोशिश कर रहे हैं।

-इनका हुआ सम्मान

नगर पालिका की अध्यक्ष शीला श्रीवास्तव और साहित्यकार सोनी पांडेय ने गाथांतर सम्मान 2015 पद्मश्री उषा किरण खान को लोक साहित्य एवं आंचलिक भाषा मैथली के संरक्षण एवं संवर्धन में विशेष योगदान के लिए, गाथान्तर सम्मान 2016 प्रो.चन्द्रकला त्रिपाठी को हिन्दी आलोचना विधा में महत्वपूर्ण स्त्री स्वर के लिए, गाथान्तर सम्मान 2017 किरण सिंह को पहले कहानी संग्रह यीशू की किलें को एवं 2018 का गाथान्तर सम्मान कथाकार और पत्रकार गीताश्री को उपन्यास हसीनाबाद के लिए दिया गया।

-कहानियों ने सोचने पर किया मजबूर

वरिष्ठ साहित्यकार कई राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किरण सिंह ने बड़े भावनात्मक तरीके से संझा कहानी सुनाइ। कहानी एक वैद्य और उसकी एक ऐसी संतान पर केंद्रित थी जो वास्तव में थर्ड जेंडर थी। संझा पुरुष और महिला से अलग होने के कारण किस तरह के भावों को मन में लाती है उसे कहानी के माध्यम से बखूबी बया किया।
रामनाथ गोयनका पुरस्कार से सम्मानित पत्रकार एवं लेखिका गीता श्री ने कहा कि साहित्य में रुसवाई झेली है। उन्होंने अपनी रचना सोनमछरी जो कि बंगाल की पृष्ठभूमि पर बीड़ी बनाने वालों की आंतरिक दुनिया पर केंद्रित रही को सुनाया।
संचालन गाज़ियाबाद की कवयित्री मृदुला शुक्ला एवं अनामिका सिंह पालीवाल ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रो वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, प्रभु नारायण पांडेय, डॉ मधु नजमी, निरुपमा पाठक, पूनम सिंह, अंशुमाला, अनीता साईलेस,कंचन यादव,रानी सिंह, रविन्द्र राय, अभिषेक पंडित, अनामिका प्रजापति,अंशुमाला, अरविंद सिंह समेत तामाम लोग मौजूद रहे।

गाज़ीपुर के कलाकारों द्वारा कविता चित्र प्रदर्शनी लगाई गई

संभावना कला मंच गाजीपुर के कलाकारों द्वारा कार्यक्रम में दीवारों पर प्रख्यात कवियों की रचनाओं के साथ पोस्टर पर चित्र उकेर कर प्रदर्शित किया। शब्दों के साथ-साथ चित्रों के माध्यम से भी लोगों ने भावों को बखूबी समझा।दर्शकों द्वारा पोस्टर पर कविता और चित्रों की प्रस्तुति की खूब सराहना हुई।

प्रेषक
Dr. Digvijay Singh Rathore
Lecturer Department of Mass Comm.
VBS Purvanchal University,Jaunpur.

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