1

कार्टूनिस्ट नीलाभ बनर्जी को डॉक्टरेट की उपाधि

मशहूर कार्टूनिस्ट नीलाभ बनर्जी को डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया। उन्हें ये उपाधि जागरण लेक सिटी यूनिवर्सिटी भोपाल के चांसलर हरिमोहन गुप्ता ने प्रदान की। इस मौके पर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरसी लाहोटी भी मौजूद थे। नीलाभ बनर्जी नेटवर्क 18 के लिए काफी समय से नियमित कार्टून बना रहे हैं।

इस मौके पर नीलाभ ने कहा कि उनके डिजिटल कार्टून सभी हेडलाइंस को फॉलो करते हैं और किसी भी बड़े मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया तुरंत आती है। उदाहरण के लिए यदि शाम चार बजे अरविंद केजरीवाल सोशल मीडिया और टीवी पर ट्रेंड कर रहे हैं तो कार्टून उस पर होंगे और यदि आठ बजे बिहार चुनाव की बात होती है तो कार्टून उससे संबंधित होंगे।

उन्‍होंने कहा कि भारतीय मीडिया में पॉलिटिकल कार्टून और व्‍यंग्‍य ज्‍यादा कॉमन नहीं हैं और सिर्फ कुछ पब्लिकेशंस और चैनल ही इन पर निवेश करते हैं। नीलाभ का मानना है कि इस फील्‍ड में अब ज्‍यादा युवा आ रहे हैं क्‍योंकि ह्यूमर काफी गंभीर विषय है (Humour is a serious business after all)।

अपने राजनीतिक व्‍यंग्‍य के लिए मशहूर नीलाभ ने अपना कॅरियर लखनऊ में पॉयनियर अखबार के साथ सब एडिटर और क्राइम रिपोर्टर के रूप में शुरू किया था। लेकिन बाद में उन्‍होंने ‘टार्गेट मैगजीन’ में कार्टूनिस्‍ट के रूप में जॉइन कर लिया। कार्टून को ज्‍यादा बेहतर बनाने में उन्‍हें रिपोर्टिंग के दिनों से काफी सहायता मिली। नीलाभ का खुद कहना है, ‘रिपोर्टर और सब एडिटर के रूप में उन दिनों मैंने चीजों को दूसरे नजरिये से देखना सीखा। यह नजरिया काफी विनोदपूर्ण था।’

नीलाभ उन चंद कार्टूनिस्‍ट में शामिल हैं जिन्‍होंने डिजिटल मीडियम में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। प्रिंट मीडिया के अपने दिनों को याद करते हुए नीलाभ ने कहा कि हालांकि वह मुख्‍य रूप से प्रिंट के प्रॉडक्‍ट हैं, लेकिन डिजिटल मीडिया काफी विशाल और रोमांचक है।

टाइम्‍स ऑफ इंडिया में करीब 25 साल की सफल पारी खेलने के बाद इन दिनों नीलाभ रिलायंस इंडस्‍ट्रीज (Network18 के स्‍वामित्‍व वाली कंपनी) में नेशनल क्रिएटिव डायरेक्‍टर हैं और वह अपने ट्विटर हैंडल @NeelabhToons द्वारा आम लोगों को अपने कार्टून उपलब्‍ध कराते हैं। नीलाभ ने कहा कि जब उन्‍होंने मीडिया जॉइन किया तो देखा कि ज्‍यादातर कार्टूनिस्‍ट शाम छह बजे तक अपने कार्टून तैयार कर देते थे, जो मुख्‍यत: दोपहर की हेडलाइंस के हिसाब से होते थे। यह अगले दिन दिखाई देते थे और फिर 24 घंटे तक उनके अलावा कुछ नहीं दिखाई देता था। आज के समय में जब न्‍यूज 24X7 घंटे की हो गई है तो फिर ह्यूमर के लिए क्‍यों इतना इंतजार किया जाए। इसलिए मैं अपने कार्टूनों को सभी हेडलाइंस के हिसाब से बनाता हूं और मेरी प्रतिक्रिया तुरंत आती है।

नीलाभ ने कहा, ‘मुझे याद है कि जब पूर्व राष्‍ट्रपति एपीजे अब्‍दुल कलाम साहब का निधन हुआ था तो विजुअल के रूप में मेरी श्रद्धांजलि रात साढ़े 11 बजे जारी हुई थी और इसे लाखों लोगों ने शेयर किया था।’

मीडिया के क्षेत्र में नीलाम को 25 साल से ज्‍यादा हो गए हैं, लेकिन नीलाभ का कहना है कि अभी उनके कॅरियर में ऊंचा मुकाम आना बाकी है।

साभार- http://www.samachar4media.com/ से