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नितिन गडकरी द्वारा माणिक मुंडे की दो पुस्तकों का विमोचन

महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, वैश्विक हिंदी सम्मेलन तथा सत्याग्रह के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में हिंदी, अंग्रेजी और मराठी के जाने माने लेखक और संपादक श्री माणिक मुंडे की दो पुस्तकों का विमोचन मुम्बई के प्रभादेवी स्थित रवीन्द्र नाट्य मंदिर में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किया। समारोह में हरिद्वार के शंकराचार्य, हंगरी से आए बौद्ध धर्मगुरू मास्टर कर्मा तानपाई गियालशेन, जैन मुनि पद्मसागर जी महाराज साहब और मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार खास तौर से उपस्थित थे।इनमें से हिंदी की पुस्तक – “आधी रात जगाने आया हूं” एक उपन्यास है, जबकि मराठी की पुस्तक- “गाईन ओवी गाईन नाम” पारंपरिक जाता गीतों का संकलन है। अपनी श्रद्धेय माताजी श्रीमति गंगाबाई मुंडे द्वारा रचित इन गीतों का पुस्तक रूप में संकलन- संपादन माणिक मुंडे ने किया है।

कार्यक्रम अमरजीत मिश्र के वक्तव्य से शुरू हुए इस समारोह का मंच संचालन वैश्विक हिंदी सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’ तथा बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल ने किया। दोनों पुस्तकों के विमोचन पर शंकराचार्य जी ने माणिक मुंडे को आशीर्वाद देते हुए कहा- साहित्य जैसे सरस विषय के साथ-साथ राजनीति जैसे सूखे रेगिस्तान में उतरें और अपने विचार और कर्म से जनता की सेवा करें। उन्होंने पुस्तक की इस पंक्ति रेखांकित करते हुए कहा- राजा अगर सत्यशील है, तो मुल्क खराब नहीं हो सकता। और अगर मुल्क में अनुशासन है तो प्रकृति भी अराजक नहीं हो सकती है।पुस्तक- ” आधी रात जगाने आया हूं” को आज की जरूरत बताते हुए नितिन गडकरी ने कहा- आज का युवा अपने पुरुषार्थ का उपयोग करके यथार्थ में अपने भाग्य को रुपांतरित कर सकता है।

माणिक मुंडे को इस पुस्तक के लिये रॉयल्टी के तौर पर वाणी प्रकाशन से दस लाख की राशि मिली। किसी भी मराठी व्यक्ति को हिंदी पुस्तक के लिये पहली बार इतनी बड़ी रॉयल्टी मिली है, जिसमें से एक लाख की राशि का चेक नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री राहत कोष में शहीद परिवारों की मदद के लिये दिया।माणिक मुंडे की दोनों किताबें- ‘आधी रात जगाने आया हूँ “और गाईन ओवी गाईन नाम”को लेकर सभागार में मौजूद लोग इतने उत्साहित थे कि समारोह के दौरान ही दोनों किताबों की तकरीबन दो हजार प्रतियां हाथोंहाथ बिक गईं।

मुंबई बीजेपी अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि ये पुस्तक समारोह अपने आप में ऐतिहासिक है। इससे पहले हिंदी और मराठी पुस्तक का एक साथ विमोचन आज तक नहीं हुआ। मां की पुस्तक का विमोचन बेटे के द्वारा होना भी अपने आप में अनूठी घटना है। एक मंच पर सभी धर्मगुरुओं की मौजूदगी सभी धर्मगुरुओं और इतने लोगों की की उपस्थिति में इस तरह का समारोह मुंबई में कभी नहीं हुआ। हफ्ते का पहला दिन होने के बावजूद सभागार में क्षमता से ज्यादा भीड़ थी, जिसमें साहित्य क्षेत्र की कई जानी-मानी हस्तियां उपस्थित थीं। पुस्तक पर जैन धर्म गुरु न्याय पद्मसागर जी महाराज साहब ने अपनी विशेष शैली में समीक्षा की ।

वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
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