Friday, April 19, 2024
spot_img
Homeचुनावी चौपालअब प्रत्याशी को विज्ञापन में बताना होगा, वह चोर उचक्का, धोखेबाज, अपराधी,...

अब प्रत्याशी को विज्ञापन में बताना होगा, वह चोर उचक्का, धोखेबाज, अपराधी, घोटालेबाज और बेईमान है

चुनावी चौपाल

प्रत्याशियों की आपराधिक गतिविधियों को पूरे जोर-शोर से उजागर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब चुनाव आयोग ने इससे जुड़े नियमों में संशोधन किया है। नए नियमानुसार आगामी चुनावों से पहले अब प्रत्याशियों को एक तय फॉरमैट में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों और देनदारियों के मीडिया में विज्ञापन प्रकाशित करने होंगे। सिर्फ प्रत्याशियों को ही नहीं, बल्कि उनके राजनीतिक दलों को भी अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक या लंबित मामलों को विज्ञापनों के जरिए जोरशोर से प्रचारित करना होगा। उन्हें टेलीविजन और समाचार पत्रों में कम से कम तीन जगहों पर यह विज्ञापन देने होंगे। चुनाव आयोग ने बुधवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को अपना नया आदेश जारी करने के साथ ही सभी राजनीतिक दलों को भी अलग से इस संबंध में निर्देश दे दिया है।

नए आदेश के मुताबिक प्रत्याशियों की नामांकन वापसी के आखिरी दिन के बाद से किन्हीं तीन अलग-अलग तारीखों पर यह विज्ञापन देने होंगे। यह विज्ञापन मतदान की तिथि के दो दिन पहले तक दिए जाने होंगे। इसी तरह से टीवी चैनलों पर भी इस प्रक्रिया को मतदान से 48 घंटे पहले तक देना होगा। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम के आसन्न विधानसभा चुनावों में भी यह प्रक्रिया लागू होगी।

चुनाव आयोग के अनुसार, समाचार पत्रों में विज्ञापन देते हुए फांट साइज कम से कम 12 होना चाहिए। और यह विज्ञापन अखबार में ऐसा स्थान पर प्रकाशित होना चाहिए ताकि उसका बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार हो सके। विज्ञापन के शब्दों और भावनाओं में इसके प्रकाशन का मकसद हल होना चाहिए।

अगर किसी राजनीतिक दल ने किसी उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया हो, फिर चाहे वह पार्टी मान्यता प्राप्त हो या गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत पार्टी, तो ऐसे उम्मीदवारों को संबंधित रिटर्निंग अफसर (आरओ) के समक्ष यह बताना होगा कि उन्होंने इसकी जानकारी अपने राजनीतिक दल को दे दी है। इसतरह की घोषणा के लिए फार्म-26 में 6-ए का नया कॉलम दिया गया है। उम्मीदवारों को जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ) को अखबार में छपे विज्ञापन की प्रति लगाकर देनी होगी।

साथ ही उम्मीदवारों को जनप्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा-78 के तहत चुनाव के खर्च का भी हिसाब देना होगा। इतना ही नहीं, इस बार से एलॉट किए हुए सरकारी आवास के बकाया आदि का ब्योरा भी एक अतिरिक्त हलफनामे में देना होगा। इसके लिए फार्म-26 में आइटम-आठ के तहत बैंक, बिजली विभाग आदि जैसे सरकारी वित्तीय संस्थाओं और सरकार की बकाया राशि का ब्योरा देना होगा।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार