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ओला उबर आए कानूनी शिकंजे में

कैब एग्रीगेटर्स ओला और उबर जैसी कंपनियों को सरकार ने बड़ा झटका दिया है। दरअसल रोड-ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने जो नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके मुताबिक पीक अवर के दौरान अपने बेस फेयर के 50 फीसदी से ज्यादा सरचार्ज नहीं ले पाएंगी। आपको बता दें कि देश में लॉकडाउन खुलने के बाद से लगातार ऐसी शिकायतें आ रही थीं कि कैब ड्राईवर मनमर्जी का किराया वसूल रहे हैं। खास तौर पर ओला-उबर पीक आवर्स के दौरान किराए में कई गुना की बढ़ोतरी करके किराया वसूल रहीं थीं। इस वजह से सरकार ने ये फैसला किया है और नए रूल्स बनाएं हैं।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020 (Motor Vehicle Aggregator Guidelines 2020) को जारी किया। इन गाइडलाइंस के मुताबिक:
एग्रीगेटर्स को राज्य सरकार से लाइसेंस लेना जरूरी होगा। साथ ही राज्य किरायों को भी तय कर सकेंगे। इसके अलावा एग्रीगेटर की परिभाषा को शामिल किया गया है। इसके लिए मोटर व्हीकल 1988 को मोटर व्हीकल एक्ट, 2019 से संशोधित किया गया है।

एग्रीगेटर को बेस फेयर से 50% कम चार्ज करने की अनुमति होगी।

कैंसिलेशन फीस को कुल किराया का 10% किया गया है, जो राइडर और ड्राइवर दोनों के लिए 100 रुपए से अधिक नहीं होगा।

ड्राइवर को अब ड्राइव करने पर 80% किराया दिया जाएगा और कंपनी अपने पास 20% किराया ही रख सकेगी।

ग्राहकों की सुरक्षा और ड्राइवर के हितों के लिए सरकार ने एग्रीगेटर का रेगुलेशन बनाया है।

गाइडलाइन के मुताबिक कैब एग्रीगेटर्स को अपने ऐप में कार पूलिंग में महिलाओं के लिए एक अलग ऑप्शन देना होगा, जिसके जरिए वे केवल महिला यात्रियों के साथ कार पूलिंग करने का विकल्प भी चुन सकेंगी।

साथ ही जिन शहरों में इसका आंकलन नहीं किया गया है, वहां 25 से 30 रुपये को न्यूनतम बेस फेयर माना जाएगा। वहीं बस और टू व्हीलर जैसे दूसरे वाहनों के लिए इस तरह का बेस फेयर नहीं है। यह बेस फेयर 3 किलोमीटर के लिए लागू होगा।