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जिसकी बहादुरी पर विदेशी चैनल ने फिल्म बनाई उस पर कोर्ट मार्शल

नई दिल्ली। कभी बीएसएफ के शीर्ष कमांडर रहे अनुभव अत्रे पर नेशनल जियोग्राफिक चैनल पर डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई थी और अब वह कोर्ट मार्शल का सामना कर रहे हैं। बांग्लादेश के एक नागरिक की मौत के मामले में सीमा सुरक्षा बल के 113 बटालियन से असिस्टेंट कमांडेंट को बलि का बकरा बना दिया गया है।

सोने की तस्करी के एक मामले में तस्करों से अपने अधीनस्थ जवान की जान बचाने के लिए उन्होंने कार्रवाई की थी, जिसमें बांग्लादेशी किशोर की मृत्यु हो गई थी। यह घटना पिछले साल 14 मई को हुई थी। तब उन्हें पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले के कृष्णागंज गांव के बनपुर में तैनात किया गया था। इस मामले के बाद जब बीएसएफ प्रमुख केके शर्मा अपने समकक्ष से वार्ता के लिए ढाका गए थे, तो वहां मचे बवाल के बाद उन पर अपने ही जवान के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव डाला गया था।

गोगोई को मिला था सम्मान

कई अधिकारियों ने सेना के 53 राष्ट्रीय राइफल्स शाखा के मेजर गोगोई के मामले से अनुभव के मामले की तुलना की। उन्होंने कहा कि गोगोई को सेना प्रमुख का समर्थन मिला, यहां तक ​​कि उनके काम की प्रशंसा भी हुई। उन्होंने कश्मीर के बड़गाम जिले में एक आदमी को एक जीप से बंध दिया था ताकि पत्थरबाज सेना के काफिले पर हमला नहीं करें और पोलिंग पार्टी को वहां से सुरक्षित निकाला जा सके।

मगर, इसी तरह के मामले में बांग्लादेश के साथ संबंधों को मधुर रखने के लिए अनुभव को बलि का बकरा बना दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि अत्रे का मामला गलत समय पर सही जगह पर सही व्यक्ति की कहानी है।

यह था मामला

सूत्रों के मुताबिक 13 मई 2016 की रात को बीएसएफ की खुफिया शाखा इंडो-बांग्ला सीमा के पास संभावित सोने की तस्करी की सूचना दी थी। अधिकारी ने सात लोगों की एक टीम ली और गैर घातक हथियार पंपिंग बंदूक और इंसास राइफल लेकर तस्करों के आने के लिए घात लगाकर इंतजार करने लगे। पूछताछ में अदालत में दिए गए अपने बयान में अनुभव ने कहा कि 12 से 15 सोने के तस्कर फेंसिंग के पास आए।

उन्होंने सोने के सामानों के 2 पैकेट्स भारतीय पक्ष में झोंपड़ी में फेंक दिए। उनमें से 10 तेज धार हथियार लिए थे। 10 बजे तस्करों ने बाड़ के करीब आए, तो संदिग्धों को गिरफ्तार करने के लिए एक जवान बिना हथियार लिए उनकी तरफ दौड़ गया। तस्कर बांग्लादेशी भाषा में बोल रहे थे, इसे बांग्लादेश की सीमा में खींच लो। एक अन्य तस्कर ने कहा कि इसे मारो।

बन गए बलि का बकरा

अपने जूनियर की जान पर खतरा भांपते हुए अनुभव ने गैर घातक हथियार से हवाई फायर कर तस्करों को चेतावनी दी, लेकिन वे और उग्र हो गए। इसके बाद उन्होंने 40-50 मीटर की दूरी से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत कमर के नीचे गोली चलाई, जिससे एक किशोर की बांग्लादेशी सीमा में मौत हो गई। इसके बाद तस्कर बांग्लादेशी सीमा में भाग गए।

कुछ देर बाद कमांडेंट ने अधिकारी को एक नागरिक की मौत के बारे में बताया। दोनों सेनाओं ने एक फ्लैग बैठक हुई, जिसमें बांग्लादेश की सीमा की रक्षा करने वाली बीजीबी को कथिततौर पर अफसर के स्पष्टीकरण से विश्वास दिलाया गया। मगर, लेकिन बांग्लादेशी मीडिया में नागरिक की मौत का माहौल बना दिया गया और इस घटना पर भारतीय और बांग्लादेशी दलों के बीच सफल वार्ता खत्म हो गई। बाद में मामले को शांत करने के लिए अनुभव को बलि का बकरा बन दिया गया।

कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ने बीएसएफ के सैनिकों को गलत प्लानिंग के लिए दोषी ठहराया, लेकिन किसी भी कार्रवाई की सिफारिश नहीं की थी। मगर, अनुभव को सबूतों की और रिकॉर्डिंग के लिए फिर से बुलाया गया था।