Thursday, March 28, 2024
spot_img
Homeखबरेंराजकीय वृक्ष ’साल’ को बचाने सरई संवर्धन महोत्सवों का आयोजन

राजकीय वृक्ष ’साल’ को बचाने सरई संवर्धन महोत्सवों का आयोजन

छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों के घने जंगलों में साल बीजों के दोबारा अंकुरण के प्रयोग को उत्साहजनक सफलता मिली है। यह प्रयोग राज्य के नक्सल हिंसा पीड़ित कोण्डागांव जिले के केशकाल क्षेत्र में लगभग दो महीने पहले आठ जून को किया गया था, इससे वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों और संबंधित क्षेत्रों के ग्रामीणों में काफी प्रसन्नता देखी जा रही है।

उत्साहजनक परिणामों को देखकर प्रदेश के अन्य वन मंडलों में भी प्रयोग शुरू हो गया है। सरई के नाम से छत्तीसगढ़ के राजकीय वृक्ष ’साल’ के संरक्षण और विकास के लिए जनजागरण के उद्देश्य से वन विभाग ने साल (सरई) संवर्धन महोत्सव का आयोजन किया। यह आयोजन विभागीय उपक्रम छत्तीसगढ़ राज्य औषधीय पादप बोर्ड द्वारा पिछले सप्ताह राज्य के 15 वन मंडलों के गांवों में किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, वन मंत्री श्री महेश गागड़ा और राज्य औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष श्री राम प्रताप सिंह ने साल बीजों के पुनः उत्पादन के सफल प्रयोग पर वन विभाग और बोर्ड के अधिकारियों, कर्मचारियों और संबंधित क्षेत्रों के वनवासियों को बधाई दी है।

साल (सरई) संवर्धन महोत्सव का आयोजन के तहत वन मंडल रायगढ़, धरमजयगढ़, मरवाही, कटघोरा, कोरबा, जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर, गरियाबंद, धमतरी, कांकेर, उत्तरी कोण्डागांव, दक्षिण कोण्डागांव, पश्चिम भानुप्रतापपुर और बस्तर के चिन्हांकित साल वन क्षेत्रों में स्थानीय छात्र-छात्राओं, ग्रामीण क्षेत्रों के वनस्पति विशेषज्ञों और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के सदस्यों तथा वन विभाग के कर्मचारियों को मिलाकर साल वाहिनियों का गठन किया गया। केशकाल के सफल प्रयोग के बाद 15 जून से 30 जून तक अम्बिकापुर, रायगढ़, जशपुर, धमतरी, बिलासपुर, मरवाही, मुंगेली, गरियाबंद और अन्य सरई बहुल वन क्षेत्रों में इसके बीजों के पुनरूत्पादन का प्रशिक्षण भी ग्रामीणों और वन कर्मचारियों को दिया गया।

बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री शिरीष अग्रवाल ने आज बताया कि सरई महोत्सव के तहत राज्य के इन वन मंडलों के विभिन्न वन परिक्षेत्रों में साल बीजों के दोबारा उत्पादन की परम्परागत पद्धति का प्रचार-प्रसार किया गया। लोगों को प्रत्यक्ष प्रदर्शन के जरिए बताया जा रहा है कि साल बीजों से दोबारा अंकुरण हो सकता है। जिन स्थानों पर यह प्रयोग किया गया था, वहां इस राजकीय वृक्ष के बीजों का सफलतापूर्वक अंकुरण देखा गया। ऐसे स्थानों पर सरई महोत्सव के तहत सभी लोगों ने साल के इन पौधों की निंदाई-गुड़ाई करके उनकी देखभाल का संकल्प लिया। वर्तमान बारिश के मौसम में साल संवर्धन महोत्सव के तहत परम्परागत तरीके से साल बीजों के दोबारा उत्पादन की पद्धति का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करते हुए लोगों को इसे अपनाने की सलाह दी गई।

श्री अग्रवाल ने बताया कि साल (सरई) छत्तीसगढ़ प्रदेश का राजकीय वृक्ष है। राज्य में साल वनों का क्षेत्रफल लगभग 24 हजार 244 वर्ग किलोमीटर है, जो प्रदेश के कुल वन क्षेत्र का लगभग 40.56 प्रतिशत है। साल का वृक्ष काफी विशाल और सदाबहार होता है, जो अपनी मजबूत इमारती लकड़ी के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। साल के वृक्ष से निकलने वाले गोंद से ’धूप’ बनाया जाता है, जिसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में और पवित्र स्थानों पर सुगंध के लिए होता है। बारिश के मौसम में साल के वृक्षों के पत्तों से निकलने वाली खुशबू जंगल और आसपास के पर्यावरण को शुद्ध करती है। वर्षा ऋतु में साल वृक्षों के नीचे ’बोड़ा’ नामक फफूंद उगती है, जिसमें भरपूर प्रोटीन होता है। इसकी स्वादिष्ट सब्जी बनती है। यह बाजारों में 800 रूपए से 1000 रूपए तक प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है। साल वृक्षों के नीचे औषधीय पौधों की अनेक प्रजातियां भी फलती-फूलती रहती हैं। साल बीजों के पुनरूत्पादन की परम्परागत पद्धति कुछ इस प्रकार होती है-साल अथवा सरई के जिस वृक्ष के नीचे उसके बीज गिरते हैं, वहां लकड़ी की खुंटी द्वारा जमीन में बीज के आकार का गड्ढ़ा बनाकर और उसमें लकड़ी लगाकर दीमक की बांबी की मिट्टी डालते हैं और उसके ऊपर आसपास की जमीन पर गिरे बीजों को उठाकर रख दिया जाता है।इस पद्धति में जिन बीजों को रोपा जाता है, उन्हें हाथ से छूने की मनाही होती है।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार