Friday, March 29, 2024
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पाकिस्तान में सिंधु देश की माँग को लेकर लोग उतरे सड़कों पर

पाकिस्तान में बलूचिस्तान और पश्तूनिस्तान के बाद सिंधु देश की आज़ादी का आंदोलन भी तेज़ होने लगा है।पिछले दिनों कराची शहर में लाखों सिंधी आंदोलनकारियों ने सड़क पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया। पूरा कराची “जिये सिंध कौमी महाज” के लाल झंडों से लाल हो गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कार, बाइक और गाड़ियों के जरिये गुलशन-ए-हदीद से कराची प्रेस क्लब तक मार्च निकाला, जिसमें प्रदर्शनकारियों की एक ही मांग थी, पाकिस्तान से सिंधूदेश की आजादी।

इस आंदोलन को सिंध की पॉलिटिकल पार्टी “जिये सिंध कौमी महाज” ने शुरू किया है, जोकि 1972 से सिंध में अलग सिंधूदेश की आज़ादी का आंदोलन छेड़े हुए है। पिछले कुछ महीनों ने आज़ादी के इस आंदोलन ने चिंगारी पकड़ ली है, जोकि बड़ी तहरीक में तब्दील हो चुका है।

“जिये सिंध कौमी महाज” के प्रेज़ीडेंट सुनन कुरैशी ने पाकिस्तान सरकार को सीधी चुनौती दी और सिंध की आज़ादी के लिए आंदोलन की लड़ाई को और आगे तक ले जाने की चेतावनी दी। दरअसल “जिये सिंध कौमी महाज” पाकिस्तान सरकार द्वारा सिंध में मानवाधिकारों के उल्लंघन और आर्थिक शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे हैं।

सिंध की आज़ादी के आंदोलन में उर्दू भाषा को जबरन थोपने के खिलाफ भी सिंधी भाषियों का एक मुख्य मुद्दा है।

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1947 में पाकिस्तान के बनने के साथ से ही सिंध में आज़ादी के स्वर उठते रहे हैं। पाकिस्तान बनने के साथ ही उर्दू को नैशनल लैंग्वेज के तौर पर थोपने पर सिंधी भाषियों में विरोध और तेज़ हुआ। सिंध की आजादी की आवाज उठाने वालों में बड़ा नाम था गुलाम मुर्तज़ा शाह सईद का। जिसको पाकिस्तान सरकार ने 1948 में ही राजनीतिक बंदी बना लिया। 1972 तक आते-आते जीएम सईद ने सिंध अवामी महाज नामक संगठन खड़ा किया। जिसने सिंधी राष्ट्रीयता की पहचान का आंदोलन तेज़ किया। 1995 में जीएम सईद की कैद में मौत के बाद “जिये सिंध कौमी महाज” पार्टी ने आंदोलन को आगे बढ़ाया। जोकि धीरे-धीरे 25 सालों में एक बड़े आंदोलन में तब्दील हो चुकी है।

पिछले 6 महीनों में “जिये सिंध कौमी महाज” ने सिंध में कई बड़े जलसों का आयोजन किया है। आईएसआई और आर्मी की कोशिशों के बावजूद में हरेक जलसे में लाखों आंदोलनकारी हिस्सा लेते रहे हैं।

पाकिस्तान इस वक्त एक ऐसे दोराहे पर खड़ा है, जहां दिन-ब-दिन बलूचिस्तान और पश्तूनिस्तान का आंदोलन तेज़ होता जा रहा है। ऐसे में सिंधूदेश की आजादी का आंदोलन पाकिस्तान के अस्तित्व और भविष्य के लिए बड़ा खतरा साबित होने वाला है।

साभार- https://www.jammukashmirnow.com/ से

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