Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चापॉकेट बुक्स के सुपर स्टार लेखक की आत्मकथा छपेगी अब मुख्यधारा के...

पॉकेट बुक्स के सुपर स्टार लेखक की आत्मकथा छपेगी अब मुख्यधारा के सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन से

नई दिल्ली: क्राइम फिक्शन एवं थ्रिलर उपन्यासों के सबसे प्रमुख लेखकों में से एक सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा का दूसरा खंड हिंदी के सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित होने जा रहा है. हिंदीप्रकाशन दुनिया की यह बड़ी परिघटना राजकमल प्रकाशन के 70वें साल के ‘ईयर लॉन्ग सेलिब्रेशन’ की एक महत्वपूर्ण कड़ी होगी.

राजकमल प्रकाशन समूह के संपादकीय निदेशक सत्यानन्द निरुपम ने किताब की उपलब्धता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि –“हम नहीं चंगे बुरा नहीं कोय”2019 अप्रैल के दूसरे हफ्ते बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगी. इसका प्रकाशन हिंदी की पाठकीयता में विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में एक ज़रूरी कदम है.

यह पहली बार होगा जब पॉकेट बुक्स का कोई लेखक मुख्यधारा के साहित्यिक प्रकाशन से जुड़ रहा है. इस बारे में सुरेन्द्र मोहन पाठक अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए कहते हैं, “हिंदी पुस्तक प्रकाशन संसार में राजकमल प्रकाशन के सर्वोच्च स्थान को कोई नकार नहीं सकता. सर्वश्रेष्ठ लेखन के प्रकाशन की राजकमल की सत्तर साल से स्थापित गौरवशाली परंपरा है. लिहाज़ा मेरे जैसे कारोबारी लेखक के लिए ये गर्व का विषय है कि अपनी आत्मकथा के माध्यम से मैं राजकमल से जुड़ रहा हूँ.मेरे भी लिखने का साठवाँ साल अब आ गया है. यह अच्छा संयोग है.’’

इसी साल जनवरी 2018 में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में उनकी आत्मकथा का पहला भाग ‘न कोई बैरी न कोई बेगाना’ का लोकार्पण हुआ था. वह भाग वेस्टलैंड बुक्स से छपा था.

बीते छह दशकों में सुरेन्द्र मोहन पाठक अब तक लगभग 300 उपन्यास लिख चुके हैं. उनकी पहली कहानी ‘57 साल पुराना आदमी’ मनोहर कहानियाँ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी. तब से अब तक के उनके लेखन के सफर को हिंदी पल्प फिक्शन के एक लंबे इतिहास के सफर के रूप में देखा जा सकता है.

हिंदी साहित्य जगत में गंभीर साहित्य और लोकप्रिय साहित्य भले ही दो किनारों की तरह नज़र आते हों, लेकिन यह सच है कि पाठकों ने हमेशा दोनों को पसंद किया है. यह जानना प्रेरक और दिलचस्प दोनों होगा कि जीवन की कई विषम परिस्थितियों के बीच रहकर भी पाठक जी ने 300 से ज्यादा उपन्यास कैसे लिखे और कामयाबी के शिखर पर कैसे बने रहे. राजकमल प्रकाशन से सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा के दूसरे खंड का प्रकाशित होना हिंदी की बड़ी परिघटना क्यों है, इस बारे में समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी का कहना है, “पाठक जी की आत्मकथा को प्रकाशित करना उनके लाखों पाठकों का सम्मान है. यह दो पाठक-वर्गों के जुड़ाव की परिघटना है, इसलिए यह हिंदी प्रकाशन दुनिया की बड़ी परिघटना साबित हो सकती है.”

संपर्क

M -9990937676

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार