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प्रभुजी की एक और योजना, इतिहास हो जाएंगे रेल्वे के कुली

यात्रियों का सामान ढोने वाले पारंप‍र‍िक कुलियों का रेलवे स्‍टेशन पर दिखना जल्‍द ही इतिहास की बात हो जाएगी। रेलवे जल्‍द ही इस कुल‍ियों को लेकर एक बड़ा प्रयोग करने की योजना बना रहा है। रेलवे की योजना के मुताबिक, इन कुलियों को ट्रॉली दी जाएगी। ये ट्रॉली वैसी ही होगी, जैसा कि एयरपोर्ट पर मिलती है। इन कुलियों को नया नाम भी मिलेगा। अगर योजना को अमली जामा पहनाया गया तो भ‍व‍िष्‍य में कुलियों को ‘लगेज अस‍िस्‍टेंट’ के नाम से जाना जाएगा। रेलवे कुली नाम को इसलिए भी बदलना चाहता है कि क्‍योंकि यह औपनिवेशिक काल की याद दिलाता है।

पोशाक में भी होगा बदलाव : कुली लाल रंग की यूनिफॉर्म में बांह पर बिल्‍ला बांधे नजर आते हैं। रेलवे इनकी वेशभूषा में भी बदलाव कर सकता है। इसके तहत, इन्‍हें ऐसे कपड़े दिए जाएंगे जिस पर वि‍भ‍िन्‍न कंपनियों के विज्ञापन होंगे। मामले से जुड़े अफसरों के मुताबिक, रेलवे इस योजना पर विचार इसलिए कर रही है ताकि उसे अतिरिक्‍त राजस्‍व मिल सके। सूत्रों का कहना है कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु इस महीने आने वाले रेल बजट में इस योजना को लेकर कोई एलान कर सकते हैं।

रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी के मुताबिक, सभी योजनाओं का एक ही मकसद यह है कि किसी तरह रेलवे की कमाई को बढ़ाया जाए। सूत्रों का कहना है कि यह आइडिया पीएम नरेंद्र मोदी के सामने से भी गुजर चुका है। मोदी ने रेलवे को नसीहत देते हुए कहा था, ”क्रिकेट से कुछ सीखो, जहां स्‍टंप्‍स पर भी विज्ञापन होते हैं।” कुलियों के जरिए राजस्‍व बढ़ाने का यह आइडिया कारगर साबित हो सकता है क्‍योंकि अभी इस क्षेत्र के बारे में कुछ भी नहीं सोचा गया है। सिर्फ दिल्‍ली की बात करें तो यहां चार प्रमुख स्‍टेशनों र 2176 रजिस्‍टर्ड कुली काम करते हैं। क्‍या है योजना : इस योजना से जुड़े अहम बिंदुओं पर चर्चा करते हुए अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल देश के सभी स्‍टेशनों पर कुलियों को ट्रॉली देने की योजना नहीं है क्‍योंकि सारे स्‍टेशन इसके लिए मुफीद भी नहीं हैं। अधिकारियों ने कुलियों द्वारा ज्‍यादा चार्ज वसूलने की समस्‍या पर भी चर्चा की। अधिकारी चाहते हैं कि इस योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए। इसके लिए विज्ञापनदाताओं से भी गठजोड़ किया जाए। पायलट प्रोजेक्‍ट के तौर पर दिल्‍ली में इसकी शुरुआत की जा सकती है।

साभार- जनसत्ता से