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इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज में लव जिहाद को बढ़ावा

मध्य प्रदेश के इंदौर के एक सरकारी लॉ कॉलेज ने छह शिक्षकों के क्लास लेने पर रोक लगा दी है। इन पर लव जिहाद और मजहबी कट्टरता को बढ़ावा देने, देश और सेना के खिलाफ दुष्प्रचार करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के आरोपों के बाद कॉलेज प्रबंधन ने यह कार्रवाई की है। साथ ही मामले की जाँच किसी रिटायर्ड जज से कराने का भरोसा भी दिलाया है।

मामला इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय का है। गुरुवार (01 दिसंबर, 2022) को आरोपित प्रोफेसर्स के खिलाफ छात्रों ने जमकर हंगामा भी किया। ABVP के नेतृत्व में महाविद्यालय प्रबंधन को शिकायत दी गई। शिकायत मिलने के बाद महाविद्यालय प्रबंधन ने जिला न्यायालय के किसी अवकाश प्राप्त न्यायाधीश से इन आरोपों की जाँच कराने का आश्वासन दिया है। साथ ही जाँच होने तक आरोपित शिक्षकों को कार्यमुक्त कर दिया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक महाविद्यालय में एबीवीपी इकाई के अध्यक्ष दीपेंद्र ठाकुर ने महाविद्यालय के प्राचार्य इनामुर्रहमान को अमीक खोखर, मिर्जा मोजीज बेग, फिरोज अहमद मीर, सुहैल अहमद वानी, मिलिंद कुमार गौतम और पूर्णिमा बिसे के खिलाफ शिकायत सौंपी है। प्रोफेसर्स पर मजहबी कट्टरता फैलाने, लव जिहाद को बढ़ावा देने और देश विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा देने जैसे आरोप हैं। एबीवीपी का आरोप है कि छात्रों के अलग-अलग मैसेजिंग ग्रुप बनाए गए है जिनका इस्तेमाल नफरत फैलाने वाले संदेशों को अग्रेषित करने के लिए किया जाता है। आरोप है कि शिक्षक कॉलेज के नए छात्र-छात्राओं के बीच मजहबी कट्टरता को बढ़ावा देते हैं। उनके मन में भारत की सरकार तथा सेना को लेकर नकारात्मक विचार डालते हैं।

शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया है कि हर शुक्रवार को महाविद्यालय के प्राचार्य मुस्लिम शिक्षक और मुस्लिम समुदाय के छात्र-छात्रा मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं। इस वक्त कक्षाएँ नहीं लगती हैं। शिकायत में महाविद्यालय परिसर में मांस खाए जाने का आरोप भी लगाया गया है। आरोप यह भी है कि शिक्षक नई शिक्षा नीति के खिलाफ भी छात्रों को भड़काते हैं। शिकायत में यह भी कहा गया है कि कुछ शिक्षक छात्राओं को बाहर चलने और अकेले में कैफे में मिलने के लिए भी बुलाते हैं। इंटरनल मार्क्स का हवाला देकर छात्राओं पर दबाव बनाया जाता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक प्राचार्य इनामुर्रहमान ने कहा है कि महाविद्यालय का माहौल वैसा नहीं है, जैसे आरोप लगाए गए हैं। एबीवीपी की शिकायत गंभीर है और मैंने जिला न्यायालय के किसी रिटायर्ड जज से इसकी जाँच कराने का निर्णय लिया है। प्राचार्य ने बताया कि शैक्षणिक कार्य से अस्थायी तौर पर हटाए गए लोगों में दो हिंदू शिक्षक भी हैं, जिनके खिलाफ एबीवीपी ने मनमर्जी से काम करने, विद्यार्थियों से दुर्व्यवहार और अनुशासनहीनता के आरोप लगाए हैं।