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रेल मंत्री ने सांसदों से कहा, रेल में चोरी हो तो रेल्वे जिम्मेदार नहीं, राज्य का पुलिस जिम्मेदार

राज्यसभा में शुक्रवार को दो महिला सांसदों ने रेल गाड़ियों में चोरी की घटनाओं में हो रहे इजाफे का जिक्र करते हुए खुद उनका सामान भी चोरी होने का मामला उठाया। सांसदों का कहना था कि जब चोरों की नजर से सांसदों का सामान नहीं बच रहा है तो आम रेल यात्री के साथ क्या होता होगा, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। प्रश्नकाल के दौरान माकपा की झरना दास ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से पूरक प्रश्न पूछते हुए कहा कि वह राजधानी ट्रेन के प्रथम श्रेणी कोच में दिल्ली से कोलकाता जा रही थीं। रास्ते में उनका सामान चोरी कर लिया गया। उन्होंने कोलकाता जाकर इसकी रिपोर्ट लिखवाई। इसके बाद ही वह त्रिपुरा गईं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद अब तक सामान का कोई सुराग नहीं लगा।

उन्होंने कहा कि ट्रेनों में सुरक्षा के नाम पर मात्र दो सिपाही होते हैं। स्टेशनों पर भी रेलवे पुलिस के थानों में महज दो तीन सिपाही मिलते हैं। उन्होंने दावा किया कि रेलवे पुलिस थानों में पुलिस से ज्यादा चूहे और काक्रोच दिखाई देते हैं। इस पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सुरक्षा राज्य का विषय है। रेलवे पुलिस की जिम्मेदारी केवल रेलवे संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा करना है। चोरी आदि के मामलों में रेलवे पुलिस राज्य पुलिस की मदद करती है। राज्य पुलिस ही चोरी आदि के मामलों में प्रकरण दर्ज कर आगे की कार्रवाई करती है।

पीयूष गोयल ने कहा कि चोरी जिस राज्य में हुई, उससे पता चलता है कि वहां कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है। उन्होंने कहा कि रेलवे सारी ट्रेनों और प्लेटफार्मों पर सीसीटीवी लगाने की योजना बना रही है। इससे यात्रियों एवं रेलवे की बेहतर सुरक्षा में मदद मिलेगी। इसके बाद बीजद की सरोजिनी हेम्ब्रम ने भी पूरक सवाल पूछते हुए कहा कि उनका भी ट्रेन यात्रा के दौरान प्रथम श्रेणी की बोगी से सामान चोरी हो गया। उन्होंने कहा कि जब सांसदों का सामान ही ट्रेन में सुरक्षित न हो तो आम रेल यात्रियों की क्या स्थिति होगी इसकी कल्पना की जा सकती है। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि ट्रेनों में यात्रियों और उनके सामान की सुरक्षा के लिए क्या प्रबंध किए जा रहे हैं।