Thursday, April 18, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चाविश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन का ‘जलसाघर’

विश्व पुस्तक मेले में राजकमल प्रकाशन का ‘जलसाघर’

· लेखिका तस्लीमा नसरीन के बहुचर्चित उपन्यास ‘लज्जा’, की उत्तरकथा ‘बेशरम’ का लोकार्पण राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर कल 5 जनवरी शाम 4 बजे होगा

· लेखिका अरूंधति राय के उपन्यास–द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस के हिंदी और उर्दू अनुवाद

· मशहूर अभिनेता एवं सक्रीनप्ले राइटर सौरभ शुक्ला का चर्चित नाटक ‘बर्फ़’ किताब की शक्ल आएगी .

नई दिल्ली: राजकमल प्रकाशन के लिये विश्व पुस्तक मेला, 2019 बहुत खास है। श्रेष्ठ पुस्तकों के श्रेष्ठ प्रकाशन की संस्कृति के रूप में शुरू हुआ राजकमल प्रकाशन, आज 70 साल के नौजवान की तरह है। कृष्णा सोबती, नामवर सिंह, मन्नू भंडारी से लेकर गौरव सोलंकी, अनुराधा बेनीवाल, पुष्यमित्र जैसे युवा लेखक—यानी 4 पीढ़ियाँ एक ही समय में एक साथ छप रहे हैं.

राजकमल प्रकाशन के सत्तर साल की यात्रा, स्वतंत्र भारत के विकास की सहयात्रा है। हिन्दीभाषी भारतीय समाज में घटित हर परिघटना का साक्षी। यह साल—जिसे उत्सव-वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है–के मद्देनजर राजकमल प्रकाशन के स्टॉल का नाम ‘जलसाघर’ रखा गया है। यहाँ जलसा किताबों का होगा, लेखकों, पाठकों और रचनाधर्मिता से जुड़ी ढेर सारी बातों का होगा। 70 साल की निरन्तर यात्रा को सम्प्रेषित करता राजकमल प्रकाशन का विशेष ‘लोगो’ भी इस मौके से तैयार किया गया है।

उम्र के 9 दशक पार कर चुकीं कृष्णा सोबती की सशक्त लेखनी का नायाब उदाहरण है उनका पहला उपन्यास है—‘चन्ना’। जो कभी पाठकों के सामने अब तक आई नहीं थी. अब पहली बार यह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित होकर सार्वजनिक हो रही है। यह दस्तावेजी उपन्यास पाठकों के लिये मेले की खास प्रस्तुति है।

मेले में आने वाली खास किताबों में इस साल बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरूंधति रॉय के उपन्यास–द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस के हिंदी और उर्दू अनुवाद हैं। हिंदी में यह ‘अपार ख़ुशी का घराना’ (अनुवादक : मंगलेश डबराल) और उर्दू में ‘बेपनाह शादमानी की मुमलकत’ (अनुवादक : अर्जुमंद आरा) नाम से 9 जनवरी से उपलब्ध होगा। अब तक यह उपन्यास 49 भाषाओँ में छप चुका है।

विश्वप्रसिद्ध एवं निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन के बहुचर्चित उपन्यास ‘लज्जा’ की उत्तरकथा ‘बेशरम’ का लोकार्पण राजकमल प्रकाशन के स्टॉल पर किया जाएगा। यह किताब साम्प्रदायिकता की आग में झुलसे जीवनों की कहानी है।

मशहूर अभिनेता एवं स्क्रीनप्ले राइटर सौरभ शुक्ला का चर्चित नाटक ‘बर्फ़’ पहली बार किताब की शक्ल में छप रही है। कश्मीर के लोगो के जीवन को देखने का यह बेहद संवेदनशील नजरिया है जो उन्माद एवं झूठ-सच के जाल में झूल रहे सभी पाठकों के लिये एक जरूर पढ़ी जाने वाली किताब होगी।

विभाज़न का दंश भारत की आज़ादी के साथ मिली एक गहरी टीस है। सत्तर साल के बाद भी हिन्दू–मुस्लिम भाईचारे का सवाल रोज़ हमारे अख़बारों, टीवी चैनलों से निकलकर, सड़क पर भीड़ के उन्माद का कारण बन रहा है। लेकिन साहित्य अब भी प्यार और उम्मीद की लौ को जगाए रखे हुए है। इसी का उदाहरण है भालचन्द्र जोशी का उपन्यास ‘जस का फूल’, ईश मधु तलवार का उपन्यास ‘रिनाला-खुर्द’, शरद पगारे का उपन्यास ‘गुलारा बेग़म’ और त्रिलोकनाथ पाण्डेय का उपन्यास ‘प्रेम लहरी’। ये चारों उपन्यास वर्तमान परिस्थितियों में परस्पर विश्वास के सिरे को थामे रखने का कारण देती हैं।

भारत की राजनीति के कई उलझे सिरों को समझने के लिये सच्चिदानंद सिन्हा की किताब ‘आज़ादी का अपूर्व अनुभव’ तथा गुणाकर मुले की ‘भारत: इतिहास और संस्कृति’ किताब पठनीय किताबें हैं। साथ में दीपक कुमार की किताब ‘त्रिशंकु राष्ट्र’ और प्रफुल बिदवई की किताब ‘दोराहे पर वाम’ कई नए राजनीतिक पहलुओं को सामने ले आने वाली किताबें हैं। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित पत्रिका ‘आलोचना’ का नया अंक भी आज़ादी के सत्तर साल पर आधारित है, जो मेले में पाठकों के लिये उपलब्ध होगा। मेले में चे ग्वेरा की नई –जीवनी भी सामने आएगी। मनोहर श्याम जोशी पर प्रभात रंजन की संस्मरण की किताब विशेष आकर्षणों में है। अब्दुल बिस्मिल्लाह, अनामिका और अल्पना मिश्र की नई कृतियाँ प्रमुख आकर्षणों में है।

इस साल ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम के जरिए पाठक लेखकों से सीधे मुखातिब हों सकेंगे। अनामिका, अब्दुल बिस्मिल्लाह, सोपान जोशी, शिवमूर्ति, मैत्रेयी पुष्पा, अखिलेश, वीरेन्द्र यादव, हृषिकेश सुलभ, अल्पना मिश्र, गौरव सोलंकी, विनीत कुमार, नवीन चौधरी के साथ- साथ और भी महत्वपूर्ण लेखकों की उपस्थिति मेले की रौनक बढ़ाएगी ।

हिन्दी साहित्य के इतिहास में 1919-1920 के आसपास शुरू हुए ‘छायावाद’ की परंपरा एवं छायावादी कवियों का विशेष स्थान है। इस परिघटना के साथ राजकमल प्रकाशन एक खास प्रस्तुति के साथ मेले में उपस्थित हो रहा है। हिन्दी के हॉल नंबर 12 में छायावाद को समर्पित एक स्टॉल पाठकों के लिये अलग आकर्षण का केन्द्र होगा।

मेले में अन्य खास किताबों में दलित साहित्य– जयप्रकाश कर्दम का उपन्यास ‘उत्कोच’, क्रिस्टॉफ़ जेफ्रलो की लिखी जीवनी ‘भीमराव आंबेडकर ’, बद्री नारायण की किताब ‘कांशीराम: बहुजनों के नायक ’ मेले में उपलब्ध होंगी।

जनवरी, साल का पहला महीना जब देश के कोने-कोने से ‘चलो प्रगति मैदान’ की लौ दिल में जगाए पाठक–किताबें खरीदने, अपने पसंदीदा लेखक से मिलने दिल्ली आते हैं। इस परंपरा में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के लिये राजकमल प्रकाशन समूह ‘साथ जुड़ें, साथ पढ़ें’ की भावना के साथ

ढेर सारी नई किताबें लेकर विश्व पुस्तक मेला में भागीदारी कर रहा है।

संपर्क
संतोष कुमार
M -9990937676

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार