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मीडिया की दुनिया से यस बैंक में घोटाले का कच्चा चिठ्ठा

मुंबई यस बैंक ने 2018 में DHFL के वधावन ब्रदर्स की कंपनी बिलीफ रिएल्टर्स को 750 करोड़ का कर्ज दिया. यह रकम वधावन ब्रदर्स की ही 3 अन्य कंपनियों के जरिए केवाईटीए अडवाइजर्स को ट्रांसफर की गई. यह रकम घूम-फिरकर डीएचएफएल में वापस आई, ईडी का दावा- कुल 4,300 करोड़ रुपये की हुई हेराफेरी
लोन के बदले में राणा कपूर ने परिवार की कंपनियों के जरिए 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रिश्वत ली.

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार यस बैंक के फाउंडर राणा कपूर 11 मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय ‘ईडी’ की कस्टडी में हैं। ईडी ने रविवार को हॉलिडे कोर्ट में अपने रिमांड ऐप्लिकेशन में मनी लॉन्ड्रिंग की पूरी कहानी को बताया कि किस तरह राणा कपूर ने अपने परिवार के नियंत्रण वाली कंपनियों के जरिए 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रिश्वत ली। किस तरह यस बैंक की पब्लिक मनी की राणा परिवार और डीएचएफएल के वधावन ब्रदर्स के बीच बंदरबांट की गई। इसके अलावा ईडी ने राणा की सेक्रटरी के जरिए करोड़ों के रिश्वत लेने की पूरी कहानी बयान की है।

ईडी ने बताया है कि कैसे राणा की सेक्रेटरी लता दवे ने डीएचएफएल के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके 600 करोड़ रुपये का लोन लिया, जिसे रिश्वत माना जा रहा है। यह लोन DOIT अर्बन वेंचर्स नाम की फर्म के लिए लिया गया, जिसकी कर्ताधर्ता यस बैंक के फाउंडर की तीनों बेटियां हैं। ईडी के मुताबिक, यह रिश्वत यस बैंक द्वारा डीएचएफल ग्रुप की कंपनियों के लिए मंजूर किए गए लोग और 4,450 करोड़ रुपये के डिबेंचर इन्वेस्टमेंट के बदले में चुकाई गई थी।

यस बैंक से दिए लोन के बदले ली गई ‘रिश्वत’: ED
ईडी सूत्रों का आरोप है कि राणा कपूर ने कई अन्य मामलों में भी अपने पद का दुरुपयोग किया और अपने और अपने परिवार के नियंत्रण वाली कंपनियों के लिए 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के रिश्वत लिए। सीबीआई ने जब राणा कपूर और उनके परिवार के खिलाफ केस दर्ज किया तो ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी उनके खिलाफ अपनी जांच तेज कर दी। ईडी ने कोर्ट को बताया कि 600 करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी देने के बाद यस बैंक ने अप्रैल 2018 से जून 2018 के बीच डीएचएफएल में 3,700 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके बाद यस बैंक ने डीएचएफएल ग्रुप की एक अन्य कंपनी को 750 करोड़ रुपये का दूसरा लोन दिया।

DHFL के अधिकारी ने ईडी के सामने खोला कच्चा-चिट्ठा
डीएचएफएल के प्रेजिडेंट (प्रोजेक्ट फाइनैंस) राजेंद्र मिराशी ने ईडी को दिए अपने बयान में बताया कि DOIT अर्बन वेंचर्स ने सिक्यॉरिटी के तौर पर 735 करोड़ रुपये कीमत बताकर अपनी 5 प्रॉपर्टीज को डीएचएफल को दिया। लेकिन बाद में पता चला कि इन संपत्तियों (अलीबाग और रायगढ़ में खेती की जमीन) की परचेज प्राइस सिर्फ 40 करोड़ रुपये थी। मिसाशी ने बताया कि इस दौरान उसकी कभी भी राणा कपूर की तीनों बेटियों से बातचीत नहीं हुई और पूरे मामले को राणा की सीनियर एग्जिक्यूटिव सेक्रटरी लता दवे ने हेंडल किया।

जिस कंपनी में कोई कारोबारी गतिविधि नहीं, उसे दे दिया लोन
इन लेनदेन के लिए मिराशी को डीएचएफएल के कपिल वधावन या उनके असिस्टेंट एस. गोविंदन निर्देश दिया करते थे। मिराशी ने ईडी को बताया कि DOIT अर्बन वेंचर्स में कोई कारोबारी गतिविधियां या राजस्व नहीं होने के बावजूद उसे 600 करोड़ रुपये का लोन दिया गया। इतना ही नहीं, लोन को ऐसे स्ट्रक्चर किया गया कि प्रिंसिपल अमाउंट को 2023 में चुकाना था यानी 5 साल बाद और वह भी एक साथ।

DOIT अर्बन वेंचर्स में मोर्गन क्रेडिट्स के जरिए कपूर की बेटियों- रोशनी कपूर, राधा कपूर खन्ना और राखी कपूर टंडन की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ईडी को दिए अपने बयान में राधा कपूर खन्ना ने बताया कि सिक्यॉरिटी के तौर पर जमा कराई गईं संपत्तियों के अलावा उन्होंने डीएचएफएल को अपनी पर्सनल गारंटी भी दी थी।

परिवार की एक कंपनी से दूसरी, फिर तीसरी…यूं हुई मनी लॉन्ड्रिंग
राणा कपूर ने ईडी को दिए अपने बयान में बताया कि उन्हें लगता है कि DOIT अर्बन वेंचर्स को जो लोन मिला उसके लिए जो सिक्यॉरिटी जमा की गई वह कर्ज के जोखिम को कवर करने के लिए पर्याप्त थी। राणा ने ईडी अधिकारियों को बताया कि यस बैंक ने बिलीफ रिएल्टर्स (वधावन ब्रदर्स कर्ताधर्ता) को 750 करोड़ को जो लोन दिया, उसमें से डीएचएफएल ने 450 करोड़ रुपये रेडियस ग्रुप और परेश शाह ग्रुप बिल्डर्स को कर्ज दिया। यस बैंक फाउंडर ने ईडी को इस लेनदेन के बाकी डीटेल को बताने से इनकार किया।

ईडी का दावा- कुल 4,300 करोड़ रुपये की हेराफेरी
हालांकि, इस 750 करोड़ रुपये की हेराफेरी की पूरी कहानी वधावन ब्रदर्स के ही नियंत्रण वाली आरकेडब्लू डिवेलपर्स के सीए सोनपाल जैन ने ईडी को बताई है। जैन ने बताया कि बिलीफ रिएल्टर्स ने बांद्रा में एसआरए रीडिवेलपमेंट प्रोजेक्ट के नाम पर लोन लिया। लेकिन उसने तत्काल इस पूरी रकम को 3 अन्य ग्रुप कंपनियों के जरिए केवाईटीए अडवाइजर्स को ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद केवाईटीए ने आरआईपी डिवेलपर्स को ट्रांसफर कर दिया और आखिर में ये रकम डीएचएफएल को ट्रांसफर कर दिया गया। खास बात यह है कि इस मनी लॉन्ड्रिंग साइकल में शामिल सभी कंपनियां वधावन ब्रदर्स के नियंत्रण वाली हैं।

ईडी के विशेष वकील सुनील गोंजाल्वेस ने रविवार को कोर्ट को बताया कि ‘पब्लिक मनी के डिपॉजिट्स का इस्तेमाल 3700 करोड़ रुपये का लोन’ लेने में किया गया। इसके अलावा 600 करोड़ का एक अलग से लोन लिया गया। इस तरह कुल 4,300 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। गोंजोल्वेस ने कोर्ट को बताया कि यस बैंक के पैसे को डीएचएफएल और परिवार की कंपनियों में बांटा गया जिसकी जांच की जरूरत है।
साभार टाईम्स ऑफ इंडिया से