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श्री विक्रमादित्य पंचांग का विमोचन: ग्रह लाघवीय पद्धति से कार्तिकादि गणनाओं की फिर सौगात

उज्जैन। प्रतिष्ठित ऋषिमुनि प्रकाशन समूह द्वारा गत २३ वर्षों से सतत प्रकाशित चौविसवां संस्करण श्री विक्रमादित्य पंचांग (कार्तिकादि) के नवीन विक्रम संवत २०७७-७८ के पंचांग का गत दिवस विमोचन हुआ। इसमें इस बार एक वर्ष के स्थान पर डेढ़ वर्षीय विवाह मुहूर्त दिये गये हैं। यह पंचांग आम पाठकों के बीच घर का पंडित के रूप में लोकप्रिय है।

श्री विक्रमादित्य पंचांग के इस नवीन अंक का विमोचन गत दिवस पूर्व आईजी तथा सदस्य राज्य लोक सेवा आयोग मध्यप्रदेश व ज्योतिर्विद डॉ. रमणसिंह सिकरवार के कर कमलों से हुआ। इस अवसर पर अतिथि के रूप में अक्षरविश्व सम्पादक सुनील जैन, रेडियो दस्तक के प्रमुख संदीप कुलश्रेष्ठ, वेब पत्रिका हिंदी मीडिया http://hindimedia.in/ के सम्पादक चंद्रकांत जोशी, ख्यात चित्रकार अक्षय आमेरिया, समाजसेवी वैâलाश डागा एवं मुनि बाहेती आदि गणमान्यजन उपस्थित थे। अतिथि स्वागत ऋषि प्रकाशन के प्रकाशक पुष्कर बाहेती ने किया।

इस अवसर पर श्री बाहेती ने पंचांग की विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ऋषिमुनि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित श्री विक्रमादित्य पंचांग की गणना कार्तिक मास से ग्रहलाघवीय पद्धति से की जाती है। अपनी उत्कृष्ट गणना के कारण यह न सिर्फ मालवांचल बल्कि प्रदेश व देशभर में ज्योतिर्विदों के बीच लोकप्रिय है। इसमें न सिर्फ डेढ़ वर्ष के विवाह मुहूर्त अपितु और भी कई आवश्यक मुहूर्त इस तररह स्पष्ट किये गये हैं, जिससे आम व्यक्ति भी स्वयं अपने स्तर पर इससे मुहूर्त निकाल सकते हैं। ग्रह, लग्न, तिथि, नक्षत्र आदि समस्त गणनाऐं भी अत्यंत स्पष्ट होने से यहां ज्योतिर्विदों के लिये भी उपयोग में अत्यंत सहज है। यही कारण है कि इस पंचांग को ‘घर का पंडित’ कहा जाता है। हमें विश्वास है कि यह पंचांग न सिर्फ ज्योतिर्विदों बल्कि आम पाठकों की आवश्यकताओं पर भी खरा उतरेगा।