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परिपूर्णता नीति की प्रासंगिकता

भारत की राजनीति में बेहद निराशाजनक की स्थिति थी कि आजादी के कई दशकों बाद भी भारत के जनता (व्यक्ति व नागरिक) को बैंकिंग (बैंक- सेवा), शौचालय, एलपीजी सिलेंडर ,नल से जल, बिजली कनेक्शन और स्वास्थ्य सेवाएं( टीका के अनुपलब्धि, आम जनता तक औषधि ना पहुंचना )बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाई थी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों, मजबूत इच्छा शक्ति एवं समावेशी व समग्र विकास की अवधारणा से सभी भारतीयों को मूलभूत सुविधाएं मिल रही है। मोदी सरकार की उपादेयता ने सभी भारतीयों तक इन सुविधाओं को पहुंचा रही है। सरकार के कल्याणकारी योजनाओं से बुनियादी सुविधाओं का अधिकांश भारतीयों तक व्यापक स्तर पर पहुंचना संभव हुआ है।

लोकतंत्र में शासन का कोई भी रूप हो (संसदीय शासन प्रणाली या अध्यक्षीय शासन प्रणाली) ,शासक प्रत्येक व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है अर्थात प्रधानमंत्री प्रत्येक भारतीयों का प्रधानमंत्री है ;क्योंकि सार्वजनिक पद /संवैधानिक पद सभी का होता है। मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि व्यक्तियों का चुनाव जाति ,धर्म ,लिंग ,क्षेत्र आर्थिक स्थिति या राजनीतिक पसंद के आधार पर न देकर राजनीतिक आभार (शासक अपने विधाई, कार्यपालिका/प्रशासनिक एवं अन्य कार्यों के लिए जनता के प्रति उत्तरदाई/जबावदेह है) अर्थात्
शासक = राजनीतिक आभार शासक = शासित,

मोदी सरकार अब योजनाओं के परिपूर्णता की नीति/ शत-प्रतिशत लक्ष्य की तरफ बढ़ने पर अभिसरण कर रही है। मूलभूत सुविधाओं का परिपूर्णता/ शत-प्रतिशत कवरेज मोदी सरकार के अथक प्रयासों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक परिणाम है। मोदी सरकार ने सार्वजनिक सेवाओं का लाभ समाज के प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक समूह एवं सामाजिक संवर्ग को प्राप्त हो सके । इस विषय में होने वाले लीकेज( रिसाव) को रोकने में सफलता प्राप्त किया है। सरकार के कल्याणकारी उपायों और गरीबी – उन्मूलन के प्रयासों को वैश्विक स्तर के संस्थानों ने प्रमाणित किया है। आईएमएफ के शोध पत्र में देश से अत्यधिक गरीबी- उन्मूलन का श्रेय मोदी सरकार को दिया गया है।

मोदी सरकार ने विभिन्न योजनाओं, सरकारी कार्यक्रमों एवं स्वास्थ्य की नीतियों के माध्यम से देश में अनुसूचित जाति(SCs), अनुसूचित जनजाति (STs),समाज के अन्य पिछड़े वर्ग (OBCs)और उपेक्षित वर्गों को समाज के मुख्यधारा में लाया है ।मोदी जी की नीति स्थाई सशक्तिकरण पर केंद्रित रही है, जो यह सुनिश्चित करता है कि हाशिए पर रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपनी जरूरतों के लिए राजनीतिक संस्थानों पर निर्भर रहने की बजाए आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बने ।

मुद्रा योजना और स्टैंड अप इंडिया जैसे कार्यक्रम ऐसे समूहों से युवा उद्यमियों का एक बड़ा वर्ग तैयार कर रहे हैं। इससे व्यक्ति अपने परिवार को गुणात्मक जीवन प्रदान कर रहे हैं ,अपने परिवार व समुदायों के लिए व दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं ।

मुद्रा योजना मुख्यत आर्थिक सफलता और वित्तीय सुरक्षा प्राप्त करने में हमारे सहयोगी संस्थाओं के सहयोग से एक समावेशी, टिकाऊ और मूल्य आधारित उद्यमशीलता संस्कृति बनाने के लिए कटिबद्ध मिशन है। वित्तीय – वर्ष 2022- 2023 में स्वीकृत राशि47164418 करोड़ रुपया है। इससे छोटे उद्यमियों को व्यापार बढ़ाने के लिए सहयोग प्रदान किया जाता है, स्टैंड अप इंडिया योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति(SCs), अनुसूचित जनजाति(STs) के लाभार्थियों को39508.45 करोड़ को स्वीकृति प्रदान की गई है।

सरकार ने महिलाओं के जीवन को गुणवत्ता पूर्वक बनाने के लिए अस्थमा एवं स्वाश संबंधी बीमारियों से बचाने के लिए “स्वच्छ ईंधन- बेहतर जीवन” के लिए सामाजिक कल्याण योजना “प्रधानमंत्री उज्जवला योजना” को प्रारंभ किया गया है। इस योजना का मौलिक उद्देश्य धुआं रहित ग्रामीण भारत की परिकल्पना करता है; इस योजना के अंतर्गत 8 करोड़ घरों में मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए हैं, इसके अंतर्गत देशभर में नए एलपीजी बॉटलिंग प्लांट लगाए गए ताकि गैस सिलेंडर का अभाव ना हो इससे प्रत्येक परिवार का धुआं रहित ईंधन तक पहुंच हो सके। इस योजना की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए 5 किलो के सिलेंडर को बढ़ावा दिया आ रहा है ।देश के प्रत्येक क्षेत्र में पाइप से गैस पहुंचाने का काम भी तेजी से चल रहा है।

किसानों को सिंचाई की सुविधा देने से लेकर अनेक प्रयास भारत सरकार ने किया है। हर किसान परिवार के बैंक अकाउंट में सीधी मदद, 60 वर्ष आयु के बाद किसानों को पेंशन की सुविधा, पशुधन को स्वस्थ रखने के लिए टीकाकरण अभियान अनेक प्रयास किए जा किए जा रहे हैं।

इस तरह के सकारात्मक प्रयासों से किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक हो रही है। परिवार आर्थिक रूप से सशक्त होता है, तो देश की शक्ति अपने आप बढ़ती है ।प्रधानमंत्री आवास योजना(PMAY) भारत सरकार की एक योजना है, जिसके माध्यम से नगरों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले निर्धन लोगों को उनकी क्रयशक्ति के अनुकूल घर (आवास) प्रदान किया जाता है ।सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 3 करोड़ से ज्यादा शहरी और ग्रामीण आवास स्वीकृत किए हैं।

बजट 2022- 23 में प्रमुखता से परिपूर्णता की नीति का उल्लेख किया है एवं बिना रुकावट व बिना भेदभाव के प्रत्येक नागरिक तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य साधने की नीति बनी है ।अब तक देश के गांवों एवं शहरों में लगभग 1 करोड़,80लाख घर बन चुके हैं। लाभार्थी उसमें रहने के लिए चले गए हैं, इन घरों में सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार विभिन्न सरकारी योजना को विलय कर दिया है ,ताकि उन घरों में सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हो सके ,इसके लिए सरकार ने उन घरों में बिजली ,गैस कनेक्शन व शौचालय एवं तमाम सुविधाएं साथ दे रही है।

मोदी सरकार के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को आरक्षण देने के ऐतिहासिक निर्णय ने गरीब परिवारों को बहुत ही मानसिक मदद प्रदान की है, जिनकी इन परिवारों को अति आवश्यकता थी। इस प्रकार सरकार ने वंचितों के वर्षों से लंबित अधिकार सुनिश्चित किए हैं, मेडिकल शिक्षा में अखिल भारतीय कोटे के तहत सीटों पर अन्य पिछड़ा वर्ग(OBCs)और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग(EWS) आरक्षण लागू करने का सरकार का फैसला ,इससे यह तथ्य सामने आया है कि इन वर्गों के छात्रों को भी सरकारी कॉलेज में चिकित्सक बनने का सपना पूरा कर सकेंगे। इसके अलावा दिव्यांगजन(PWDs), ट्रांसजेंडर (LGBT), देनोफाइड्स और घुमंतू आदिवासियों के समूह को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण उपादेयता रही है।

परिपूर्णता की नीति का आशय है राजनीतिक विस्तार और प्रदर्शन से संतुष्ट होना नहीं है ,बल्कि इसका आशय है कि सरकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचता है ।परिपूर्णता का आशय प्रत्येक व्यक्ति तक बिना रुकावट, बिना भेदभाव के विकास और आर्थिक योजनाओं का लाभ पहुंचे। यह गवर्नेंस ऑफ़ स्क्वे यानी विखरी शासन व्यवस्था से गवर्नेंस आफ सैचुरेशन का सकारात्मक बदलाव है। संतृप्ति का सिद्धांत मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।

परिपूर्णता की नीति का सुशासन में शत-प्रतिशत क्रियान्वयन होना चाहिए ,जिससे समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को लाभ हो सके ।सरकार के कल्याणकारी नीतियों का जमीनी स्तर /धरातल स्तर पर क्रियान्वयन होना चाहिए ,जिससे समाज ,व्यवस्था एवं लोकतंत्र में समावेशी विकास की संकल्पना विकसित हो सके।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS)को बुनियादी सुविधाओं के प्राप्ति के लिए पात्रता के मांगों को सरलीकरण करना चाहिए, राष्ट्र निर्माण में उपादेयता के लिए हुतात्मायों के योगदान को रेखांकित करना चाहिए, जिनका इतिहास के पाठ्यक्रमों व पन्नों में स्थान नहीं हैं।पीएम गरीब कल्याण योजना का विस्तार होना चाहिए ,एकलव्य आवासीय विद्यालय को और विस्तार होना चाहिए। शौचालयों की संख्या विस्तार होना चाहिए, जिससे भारत में स्वच्छता अभियान की प्रासंगिकता बढ़ सके, कल्याणकारी योजनाओं के कवरेज को शत-प्रतिशत परिपूर्णता की नीति की तरह बढ़ाना चाहिए ,न्यूनतम शासन अधिकतम सुशासन का पालन होना चाहिए ;क्योंकि इससे नीतियों, विकासशील लक्ष्य एवं कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार होता है।

(लेखक प्राध्यापक व राजनीतिक विश्लेषक हैं)