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रूस से हीरा आयात के लिए सरकारी स्तर पर समझौते जरूरी: प्रभु

नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने रूस से हीरा आयात के लिए दोनों देशों की सरकारों के बीच ऐसे समझौते की जरूरत पर बल दिया है जिससे भारत के भुगतान संतुलन पर प्रतिकूल असर न पड़े। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि भारत हीरा तराशी और पॉलिश का बड़ा केंद्र है, जबकि रूस के पास खनिज हीरे का बड़ा भंडार है।

प्रभु ने कहा, ‘‘यदि हम दोनों सरकारों के बीच एक ऐसे समझौते पर काम कर सकें, जहां आयात करने से हमारे भुगतान संतुलन पर प्रतिकूल असर न हो और हम अपनी जरूरत भी पूरी कर सकें। (तो इस तरह से).. रूस से भारत को हीरे का निर्यात बढ़ेगा, हम इसे आयात करेंगे, तराशेंगे, पॉलिश करेंगे और वापस निर्यात कर देंगे। इससे हम दोनों को लाभ होगा।’’

प्रभु ने यह बात यहां भारत-रूस व्यापार शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। इस सम्मेलन का आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने किया है।उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश को बढ़ाने के व्यापक अवसर मौजूद हैं। रूस भारत को इमारती लकड़ी (टिंबर) का निर्यात करना चाहता है। दोनों देश इसकी व्यवस्थाएं बना सकते हैं।प्रभु ने कहा कि रूसी निवेशकों को भारत में सुविधा देने के लिहाज से औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग के सचिव रमेश अभिषेक की अध्यक्षता में एकल खिड़की प्रणाली को शुरू की गयी है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रणाली के तहत हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आपको (रूसी कंपनियों को) केवल एक मंत्रालय से संपर्क करना पड़े और आपके सभी मसलों का समाधान एक ही जगह हो जाए।’’ प्रभु ने रूसी कंपनियों के लिए दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे पर एक अलग से स्थान बनाने की बात भी कही।भारत और यूरेशिया के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते के बारे में प्रभु ने कहा कि इस संबंध में एक दल अगले साल जनवरी में बातचीत के लिए भारत आएगा।

रूस के आर्थिक विकास मंत्री मैक्जिम ऑरेश्किन ने कहा कि रूस भारत के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने की रणनीति तैयार कर रहा है।उन्होंने कहा कि रुपये-रुबल में व्यापार करने के अलावा रूस भारत के साथ दोहरे कराधान से बचने और निवेश सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर समझौता करने पर विचार कर रहा है। द्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग के सचिव रमेश अभिषेक ने कहा कि रूसी कंपनियों के लिए भारत में निवेश करने के बहुत से अवसर मौजूद हैं क्योंकि सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं।

द्विपक्षीय व्यापार के विस्तार के लिए भारत चाहता है कि रूस हीरे के व्यापार के लिए यहां अवसर तलाशे। दवा, कपड़ा, कृषि जिंस और मशीनरी उत्पादों के लिए घरेलू मुद्राओं में व्यापार करे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 7.5 अरब डॉलर रहा जो उससे पिछले वित्त वर्ष में 6.2 अरब डॉलर था। हालांकि यह व्यापार रूस के पक्ष में रहा।