‘आरएसएस के 1.57 लाख स्वयँ सेवकों’ ने शरद पवार की नींद उड़ाई
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शरद पवार के गढ़ पश्चिमी महाराष्ट्र में 1.57 लाख स्वयं सेवकों की मौजूदगी में शानदार अनुशासित सम्मेलन का आय़ोजन कर शरद पवार की नींद उड़ा दी है। 15 जनवरी के बाद शरद पवार सहित कांग्रेस के नेता भी आरएसएस के इस भव्य आयोजन को लेकर चिंता करेंगे। पश्चिमी महाराष्ट्र का इलाका पारंपरिक रूप से कांग्रेस और एनसीपी का गढ़ रहा है। शुगर बेल्ट के रूप में चर्चित इस इलाके में विधानसभा की 288 में से 72 सीटें आती हैं।
पिछले रविवार को आरएसएस के 1.57 लाख स्वयंसेवकों का जमावड़ा हुआ। इन स्वयंसेवकों ने पुणे के पास हिंजेवाड़ी के मरुंजी गांव में 450 एकड़ इलाके में मार्च किया। उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित भी किया। कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं ने इसे खतरे की घंटी माना है। उन्हें लगता है कि आरएसएस ने भाजपा के चुनावी फायदे के लिए जमीन तैयार करने की रणनीति के तहत महाराष्ट्र के इस इलाके में सक्रियता बढ़ाई है। ये नेता इसकी काट ढूंढ़़ने के लिए 15 जनवरी के बाद मीटिंग करने वाले हैं। कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा, ‘हम जनता से एक बड़ा सवाल यही पूछने वाले हैं कि वे महाराष्ट्र में धर्मनिरपेक्ष राजनीति को स्वीकार करेंगे या सांप्रदायिक राजनीति को?’
आरएसएस स्वयंसेवकों के समागम को रूटीन कार्यक्रम बता रहा है। लेकिन संघ और भाजपा से जुड़े सूत्र बताते हैं कि यह कांग्रेस-एनसीपी के गढ़ में सेंध लगाने के मकसद से सोच-समझ कर किया गया कार्यक्रम था। भाजपा के वरिष्ठ नेता का कहना है, 1925 में आरएसएस के बनने के बाद से कभी भी पश्चिम महाराष्ट्र में संगठन का प्रभुत्व नहीं बन पाया है। पुणे के कार्यक्रम में इस इलाके के कुल 9600 में से 6700 गांवों से स्वयंसेवक जुटने का दावा किया जा रहा है। ये पूरा आयोजन पूरी तरह से आईटी के दम पर किया गया था, जिसमें स्वयं सेवकों का रजिस्ट्रेशन भी ऑन लाईन किया गया था।