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हमारे इतिहास से ये पुस्तकें कहाँ गायब हो गई 

भारत में कई सदियों पहले एक किताब (मेरुतुंगाचार्य रचित प्रबन्ध चिन्तामणि) आई थी जिसमें महान लोगों के बारे में कई हस्तलिखित कहानियाँ थी। कोई कहता है किताब १३१० के दशक में आई तो कोई उसे १३६० के दशक का मानता है, १३१० वाले ज़्यादा लोग हैं। खैर मुद्दा वो नहीं है, किताब का १४ वीं सदी का होना ही काफी है। उसमें राजा भोज पर भी कई कहानियाँ है जिसमें से एक ये है, जिसे थोड़ा ध्यान से पढ़ा जाना चाहिए।

एक रात अचानक आँख खुल जाने से राजा भोज ने देखा कि चाँदनी के छिटकने से बड़ा ही सुहावना समय हो रहा है, और सामने ही आकाश में स्थित चन्द्रमा देखने वाले के मन मे आल्हाद उत्पन्न कर रहा है। यह देख राजा की आँखें उस तरफ अटक गई और थोड़ी देर में उन्होने यह श्लोकार्ध पढ़ा –
यदेतइन्द्रान्तर्जलदलवलीलां प्रकुरुते।
तदाचष्टे लेाकः शशक इति नो सां प्रति यथा॥

अर्थात् – “चाँद के भीतर जो यह बादल का टुकड़ा सा दिखाई देता है लोग उसे शशक (खरगोश) कहते हैं। परन्तु मैं ऐसा नहीं समझता।”
संयोग से इसके पहले ही एक विद्वान् चोर राज महल मे घुस आया था और राजा के जाग जाने के कारण एक तरफ छिपा बैठा था। जब भोज ने दो तीन बार इसी श्लोकार्ध को पढ़ा और अगला श्लोकार्ध उनके मुँह से न निकला तब उस चोर से चुप न रहा गया और उसने आगे का श्लोकार्ध कह कर उस श्लोक की पूर्ति इस प्रकार कर दी-
अहं त्विन्दु मन्ये त्वरिविरहाक्रान्ततरुणो।
कटाक्षोल्कापातव्रणशतकलङ्काङ्किततनुम्॥
अर्थात् – “मै तो समझता हूं कि तुम्हारे शत्रुओ़ की विरहिणी स्त्रियो के कटाक्ष रूपी उल्काओं के पड़ने से चन्द्रमा के शरीर में सैकड़ों घाव हो गए हैं और ये उसी के दाग़ हैं।”

अपने पकड़े जाने की परवाह न करने वाले उस चोर के चमत्कार पूर्ण कथन को सुनकर भोज बहुत खुश हुये और सावधानी के तौर पर उस चोर को प्रातःकाल तक के लिये एक कोठरी मे बंद करवा दिया। परंतु उस समय विद्वता की पूछ परख ज्यादा थी सो अगले दिन प्रातः उसे भारी पुरस्कार देकर विदा किया गया।

लगभग 250 साल के लंबे अंतराल के बाद, गेलेलियों ने ३० नवंबर सन १६०९ को पहली बार टेलिस्कोप से चंद्रमा देखा और अपनी डायरी में नोट किया कि, “चंद्रमा की सतह चिकनी नहीं है जैसी कि मानी जाती थी (क्योंकि केवल आंखो से वह ऐसी ही दिखती है), बल्कि असमतल और ऊबड़-खाबड़ है।” वहाँ उन्हे पहाड़ियाँ और गढ्ढों जैसी रचनाएँ नज़र आई थी। उन्होने टेलिस्कोप से खुद के देखे चंद्रमा एक स्केच भी अपनी डायरी में बनाया।

कहानी का सार बस इतना है कि जिस समय चर्च यह मानता था कि रात का आसमान एक काली चादर है, जिसमें छेद हो गए और उसमे से स्वर्ग का प्रकाश तारों के रूप में दिख रहा है, उस समय भारत के एक चोर को भी ये पता था कि चंद्रमा की सतह समतल नहीं है और उस पर जो दाग हैं वो उल्काओं के गिरने से बने हैं। बात खतम।

अब ये अलग बात है कि स्वयंभू वामपंथी इतिहासकारों, सेक्युलरता के घातक रोग से पीड़ित लिबरलों, और खुद पर ही शर्मिंदा कुछ भारतीय गोरों को यह बात आज भी नहीं पता, क्योंकि ना तो उन्हे इतिहास का अध्ययन करना आता है और ना ही उनमें इतनी क्षमता ही है।




इतिहास की किताबों को स्वाहा करो… सब मनगढ़ंत पढ़ा रहे हैं

विश्वनाथ सिंह सिकरवार

इतिहासकारों ने हमारे इतिहास को केवल 200 वर्षों में ही समेट कर रख दिया है जबकि उन्होंने हमें कभी नहीं बताया कि एक राजा ऐसा भी था जिसकी सेना में महिलाएं कमांडर थी और जिसने अपनी विशाल नौकाओं वाली शक्तिशाली नौसेना की मदद से पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया पर कब्जा कर लिया था

राजेन्द्र चोल प्रथम (1012-1044) — वामपंथी इतिहासकारों के साजिशों की भेंट चढ़ने वाला हमारे इतिहास का एक महान शासक

राजेन्द्र चोल, चोल राजवंश के सबसे महान शासक थे उन्होंने अपनी विजयों द्वारा चोल सम्राज्य का विस्तार कर उसे दक्षिण भारत का सर्व शक्तिशाली साम्राज्य बना दिया था । राजेंद्र चोल एकमात्र राजा थे जिन्होंने न केवल अन्य स्थानों पर अपनी विजय का पताका लहराया बल्कि उन स्थानों पर वास्तुकला और प्रशासन की अद्भुत प्रणाली का प्रसार किया जहां उन्होंने शासन किया।

सन 1017 ईसवी में हमारे इस शक्तिशाली नायक ने सिंहल (श्रीलंका) के प्रतापी राजा महेंद्र पंचम को बुरी तरह परास्त करके सम्पूर्ण सिंहल(श्रीलंका) पर कब्जा कर लिया था ।

जहाँ कई महान राजा नदियों के मुहाने पर पहुँचकर अपनी सेना के साथ आगे बढ़ पाने का हिम्मत नहीं कर पाते थे वहीं राजेन्द्र चोल ने एक शक्तिशाली नेवी का गठन किया था जिसकी सहायता से वह अपने मार्ग में आने वाली हर विशाल नदी को आसानी से पार कर लेते थे ।

अपनी इसी नौसेना की बदौलत राजेन्द्र चोल ने अरब सागर स्थित सदिमन्तीक नामक द्वीप पर भी अपना अधिकार स्थापित किया यहाँ तक कि अपने घातक युद्धपोतों की सहायता से कई राजाओं की सेना को तबाह करते हुए राजेन्द्र प्रथम ने जावा, सुमात्रा एवं मालदीव पर अधिकार कर लिया था ।

एक विशाल भूभाग पर अपना साम्राज्य स्थापित करने के बाद उन्होंने (गंगई कोड़ा) चोलपुरम नामक एक नई राजधानी का निर्माण किया था, वहाँ उन्होंने एक विशाल कृत्रिम झील का निर्माण कराया जो सोलह मील लंबी तथा तीन मील चौड़ी थी। यह झील भारत के इतिहास में मानव निर्मित सबसे बड़ी झीलों में से एक मानी जाती है। उस झील में बंगाल से गंगा का जल लाकर डाला गया।

एक तरफ आगरा मे शांहजहाँ के शासन के दौरान भीषण अकाल के बावजूद इतिहासकार उसकी प्रशंसा में इतिहास के पन्नों को भरने में लगे रहे दूसरी तरफ जिस राजेन्द्र चोल के अधीन दक्षिण भारत एशिया में समृद्धि और वैभव का प्रतिनिधित्व कर रहा था उसके बारे में हमारे इतिहास की किताबें एक साजिश के तहत खामोश रहीं ।

यहाँ तक कि बंगाल की खाड़ी जो कि दुनिया की सबसे बड़ी खाड़ी है इसका प्राचीन नाम चोला झील था, यह सदियों तक अपने नाम से चोल की महानता को बयाँ करती रही, बाद में यह कलिंग सागर में बदल दिया गया गया और फिर ब्रिटिशर्स द्वारा बंगाल की खाड़ी में परिवर्तित कर दिया गया, वाम इतिहासकारों ने हमेशा हमारे नायकों के इतिहास को नष्ट करने की साजिश रची और हमारे मंदिरों और संस्कृति को नष्ट करने वाले मुगल आक्रांताओं के बारे में पढ़ाया, राजेन्द्र चोल की सेना में कमांडर के पद पर कुछ महिलाएं भी थी, सदियों बाद मुगलों का एक ऐसा वक्त आया जब महिलाएं पर्दे के पीछे चली गईं ।

हममें से बहुत से लोगों को चोल राजवंश और मातृभूमि के लिए उनके योगदान के बारे में नहीं पता है। मैंने इतिहास के अलग-अलग स्रोतों से अपने इस महान नायक के बारे में जाने की कोशिश की और मुझे महसूस हुआ कि अपने इस स्वर्णिम इतिहास के बारे में आपको भी जानने का हक है।

साभार – https://www.facebook.com/share/p/oiZkDpdpnFx8tjq3/?mibextid=xfxF2i




रज़ाकार क्यों देखनी चाहिए

पवन तिवारी

रज़ाकार! गजवा ए हिन्द की परिभाषा पढ़नी है तो इस फ़िल्म को देखें। इसे कई टुकड़ियों में शुरू किया गया था। निजाम हैदराबाद को तुर्किस्तान बनाने निकला था और इसके लिए अपनी सेना रज़ाकार से जेहाद शुरू करवाया और इसके मोटो में ‘क्रूरता तरीक़ा, राक्षसत्व आनंद और निजाम हथियार था.

लेखक-निर्देशक वाई सत्यनारायण ने हिम्मत करके इतिहास को चीर कर, उसमें दफ़्न हैदराबाद के दर्द को दर्शकों के सामने रखा है। ऐसे कंटेंट को सिनेमाई स्वरूप देने के लिए बहुत धैर्य चाहिए। बाकी इतिहास कतई सच बताने की स्थिति में नहीं रहा है, हैदराबाद ने हिंदुओं पर कितनी निर्ममता देखी। लेकिन बतलाने की हालत में न था, इसलिए फ़िल्म में खुलकर बताया गया है स्क्रीन प्ले में कई दृश्य इतने भयावक है कि आँखें बंद हो चली और रूह काँपने की स्थिति में थी। फिर भी सच से मुँह मोड़ना या कहे आँखें मुदना भागना कहलाता है।

छोटी बच्ची रोये नहीं, इसलिए माँ उसे देसी दारू पिला देती है तो बुजुर्ग को भूख लगी, नाले की मिट्टी खा लिया।

निजाम ने पूरा सिस्टम बैठा रखा था।

बग़ावत करने वालों के गाँव के गाँव जला दिये जाते और माँ-बहनें, बेटियों के साथ बलात्कार, हत्या की जाती। भय और ख़ौफ था कि आपने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो सुरक्षित हो और किसी भी काफिर को मार-पीट, लूट, बलात्कार कर सकते है। कोई दखल दें तो सज़ा में सिर्फ मौत थी।

मैं कहता हूँ सत्यनारायण की फ़िल्म को द कश्मीर फ़ाइल्स प्रीक्वल के तौर पर लें। बड़े स्केल पर नरसंहार हुआ था। संयोग कहे या प्रयोग कश्मीर और हैदराबाद के मुद्दें कमोबेश एक ही टाइम लाइन पर थे, फर्क है कि घाटी में जेहाद की आग लोकतांत्रिक व्यवस्था के बाद पहुँची थी और हैदराबाद में राजशाही में निजाम खुलेआम कर रहा था।

कोमाराम भीम ने निज़ाम की खिलाफत में जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ी और नारा ए तकबीर के सामने अपना उद्घोष दिया था। इन्होंने दोहरे मोर्चे पर ब्रितानी और निजाम से लड़ाई लड़ी।

अभिनेता राज अर्जुन के साथ रिजवी को देखेंगे तो नफरत करने लगेंगे, कलाकार ने अपने किरदार को इतनी गहराई से उतरने दिया है और फिर बाहर निकाला है। हाव-भाव एकदम घिनौने है। बाकी सब ठीक है।

बहुतेरे आयेंगे और कहेंगे कि नैरेटिव और प्रॉपगैंडा दिखलाती फ़िल्म है, क्योंकि उन्हें कश्मीर में भी ऐसा ही दिखा था।

स्वतंत्र भारत में घटनाक्रम को समझें।

धर्म के नाम पर देश विभाजित कर दिया गया तिस पर दूसरी रियासतों में आग लगाई गई और भारत में साजिशन ऐसा नेतृत्व चुना, जिसे खोखली नैतिकता की ढपली बजाने की ट्रेनिंग दी। विश्वास न है तो कश्मीर का मुद्दा आजतक विवादित है, जबकि सरदार ने 562 रियासतों से भारत बनाया और हैदराबाद को भी सेना के दम पर भारत में रखा। निजाम की हेकड़ी और औक़ात भी बतलाई। फिल्म के बिनाह पर समझे तो इसमें भी नैतिकता की आड़ लगाई गई लेकिन सरदार न माने और परिणाम में सफलता लेने की ठान चुके थे।

ब्रितानियों ने ऐसा षड्यंत्र रचा कि भारत को शक्तिविहीन नेतृत्व मिले, सख्त फैसले लेने वाला मिल जाता तो उनका काम खराब हो जाता। खैर

सभी ने रज़ाकार देखनी चाहिए।

इतिहास तो कभी न बताएगा, फ़िल्म बता रही है तो देखिए और सोचिए ऐसी कितनी घटनाएँ दबाई गई है।




जीवन के हर रंग में रंगी डॉ. रौनक राशिद खान की सदाबहार रचनाएं….

मैं बहू मंजिल परिसर से लगी झोपड़ी हूं
कालांतर से इसी हालत में खड़ी हूं
यह परिसर की धरा धनु के पुरखों का जर था
किंतु जमीदार का पुरखो पर आंशिक कर था
चक्रवृद्धि ब्याज में धरा बिक गई थी सारी
बची विरासत में यही एक झोपड़ी बेचारी
यह बहू मंजिल परिसर शहर की शान है

इस रचना में एक झोपड़ी की आवाज़ को कथात्मक काव्य शैली में लिखा गया है। बहू मंजिली इमारतों के बीच खड़ी झोपड़ी पीढ़ी दर पीढ़ी धनु की निशानी के रूप में अपनी कहानी कहती है। झोपड़ी को लेकर संवेदनशीलता के साथ सृजित रचना में कई मानवीय पहलु एक साथ उजागर होना रचनाकार के काव्य शिल्प कौशल का ही कमाल है। “झोपड़ी की अस्मिता” कविता को आगे बढ़ाती हुई लिखती हैं…

यहां प्रवेश पाता वही जो महा धनवान है
अमीरी गरीबी की संयुक्त यह कहानी है
महलों से सटके खड़ी झोपड़ी पुरानी है
मखमल में टाटा के पेबंद सी यह दिखती है
यह राहगीरों की दृष्टि मैं बड़ी खलती है
इसे हटाने के मंसूबे रोज बनते हैं
गरीब धनु के सीने को रोज छलते हैं
मंत्री नेता सभी धनु को समझाते हैं
पांच पांच प्लॉट के नक्शे इसे थमाते हैं
गरीब रो रो के सबसे बया यह करता है
यह तो अस्मिता है इसे कौन बचा करता है

सामाजिक सरोकार के साथ-साथ जीवन के हर रंग में लिखने वाली डॉ. रौनक राशिद खान एक ऐसी कवियित्री हैं जिनकी रचनाओं में मानव जीवन से जुड़े कई प्रसंगों की सहज, सरल परंतु प्रभावी अभिव्यक्ति दिखाई देती है।इनकी रचनाएं कोई कहानी भी कहती है, आनंदित भी करती हैं और संदेश भी देती हैं। रचनाएं किसी रस विशेष के बंधन में न बंध कर समरस भाव लिए है।

इन्होंने गद्य और पद्य विधाओं स्वतंत्र हो कर मुक्त भाव से लेखन किया है। लेखन ऐसा की पढ़ने और सुनने वाले के दिल सीधा छू लेता है और आनंदित करने के साथ – साथ उद्वेलित भी करता है। दशा भी है और दिशा भी । कविताएं राज,समाज और शिक्षा से जुड़ी हुई है तो गजलें जीवन के हर पहलू को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं। ये अरबी-फारसी के नामचीन साहित्यकार शेख सादी से प्रभावित हैं। उनकी दुर्लभ पुस्तकें हैदराबाद से खरीद कर लाई। इनमें एक नसीहत, एक सामाजिक और राज दरबारों के बीच होने वाली गुफ्तगू के बारे में तफसील से जानकारी मिलती है । नसीहत और उनका अनुवाद ये अभी भी कर रही हैं। आप ग़ज़ल में रासमुल खत लिखने में सिद्धहस्त हैं। प्रभावी और भावपूर्ण लेखन की बानगी इश्क मोहब्बत में कुछ इस तरह झलकती है….
हमारी तरफ जब वह कम देखते हैं
तब आईने में खुद को हम देखते हैं ।
हिंदी में कुछ इस तरह……..
ओ मन में तेरी प्रीत जब से मन में समाई है
खुशियों से मन झूम रहा है जब से तेरी याद आई है
तेरे दरस के प्यासे नैना नींद इन्हें कब आई है
सपने लिए खड़ी रैना है पर आंखें पथराई है
कंचन कंचन काया मेरी श्याम दे है तूने पाई है
मैं बन राधा डोल रही जैसे तू किशन कन्हाई है।
राज और सियासत पर इनका कटाक्ष
सियासत पर कटाक्ष का यह शेर देखिए……….
यह जो फुटपाथ पर सोए हैं ओढ़ कर बैनर
चुनावी दौर में इनका भी जमाना होगा ।

उम्र के पड़ाव को इनकी दृष्टि और कल्पना में देखिए , क्या खूब लिखती हैं…
उम्र की दहलीज पर लुढ़कने लगती है आशाएं
बढ़ने लगता है अवमाननाओं का भंडार
हृदय से निकलती है एक चिंघाड़
शायद मैं निगोड़ा हो गया हूं
यकीनन अब मैं बूढ़ा हो गया हूं ।
हिंदी की इस छोटी सी अभिव्यक्ति को ये गजल में कुछ इस तरह बयां करती हैं………
सूने घर के यही रखवाले हैं
कहीं मिट्टी कहीं पर जाले हैं
खुदा भी मेहरबान है उन पर
जिसने घर में बुजुर्ग पाले हैं।
हिंदी, उर्दू के साथ राजस्थानी भाषा में भी कलम चलाई है। देवर के नेह को लेकर लिखती हैं……………
म्हारा देवरिया की करे मसू लाड़
मू काई करूं सांवरिया
छोटे-छोटे दिन और बड़ी-बड़ी रतिया बीत न जाए री
सखी री मारा मन घबराए री।

दिल के सवाल पर लिखी इनकी एक ग़ज़ल की ह्रदय स्पर्शी बानगी देखिए….
दिल ने ऐसा सवाल रखा है
उनको उलझन में डाल रखा है
इस जमाने में यह तो बतलाओ
किसने किसका ख्याल रखा है
उलझनो के नए मसाइल ने
वक्त ने सबको डाल रखा है
दिल है जख्मी मगर खुशी की नकाब
सबने चेहरों पर डाल रखा है
भूल कर दर्द अपने माजी के
हाल अपना खुशहाल रखा है
यह अमानत है आपकी रौनक
इसलिए दिल संभाल रखा है
तुम मिलोगे दुआ एक ही रौनक
हमने सिक्का उछाल रखा है.

दिल की बात के साथ अनेक सवाल लिए एक और ग़ज़ल का अंदाजे बयां दृष्टवय है….
हकीकत है झूठी कहानी नहीं है
समंदर में पीने का पानी नहीं है
हसीनों की दुनिया में लाखों हंसी है
मगर उसका अब तक तो सानी नहीं है
हवाओं का रुख तो पलट देंगे हम तो
अभी काम करने की ठानी नहीं है
बैठे हैं शाखों पर गुमसुम परिंदे
गर्मी में पीने का पानी नहीं है
उसे ढूंढ कर कोई लाएं भी कैसे
की जिसकी भी कोई निशानी नहीं है
मोहब्बत में बेताबियों का है आलम
कभी रात भर नींद आनी नहीं है
तेरी साफ गोई है पहचान रौनक
तभी तो तू महफिल की रानी नहीं है.

रंगों में प्यार के रंग, मिलने की अकुलाहट, मिलने का वादा पूरा करने का इजहार, रंगों से नफरत को दूर कर, उल्फत के फूल खिलाने, हजारों रंग की जगह दुनिया में मोहब्बत का एक रंग हो के गहरे भावों को पिरोया है ” होली मिलन के रंग” कविता में कुछ इस तरह……….
करो वादा कोई पूरा किया जो यार होली में
जहां भी हो चले आओ सनम इस बार होली में
मिलन के रंग में रंग जाए दुनिया दूर हो नफरत
खिला दो फूल उल्फत के बस अबकी बार होली में
जमाने में बहुत कुछ अदला बदली होती रहती है
बदल दो अपना तुम व्यवहार अबकी बार होली में
मोहब्बत ही मोहब्बत हो शिकायत दूर हो सब की
सभी रंग जाए एक रंग में ना हो तकरार होली
हजारों रंग का एक रंग हो दुनिया में अब रौनक
करें हम हम प्यार की बौछार मिलकर यार होली में।
कवियित्री के वृहत सृजन संसार के ये कतिपय रंगबिरंगे सुगंधित पुष्प तो बानगी मात्र हैं।

नि:संदेह इनकी रचनाएं मनभावन हैं, अर्थपूर्ण है और संदेश परक हैं। यात्रा विवरण पर प्रकाशित पुस्तक “खाब अपने-अपने”, “क्या कहूं अपनी ड्रेस कर लूं प्रेस” बाल कविता संग्रह, “चकमक चांदनी” बाल कविता संग्रह, “देखा जो कनखियों से” इनकी यादगार कृतियां हैं। बाल कहानी बुकलेट में “कुएं का मेंढक” राजस्थान साहित्य अकादमी में चयनित है। इनके लिखे राजस्थानी भाषा के गीतों का चित्रांकन भी किया गया है।

परिचय
डॉक्टर रौनक राशिद खान vs गद्य-पद्य में कविता, गज़ल और नाटकों में अपनी पहचान बनाई है। देश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में आपकी रचनाओं का नियमित प्रकाशन होता है। आकाशवाणी केंद्र से कहानी एवं गजलों कविताओं का प्रसारण किया जाता है। दूरदर्शन और रेडियो प्रोग्राम साहित्यिक प्रोग्राम कोटा का राष्ट्रीय दशहरा मेला, मुशायरा का संचालन, साहित्यिक वार्ताएं, काव्य गोष्ठियों में संचालन और नाटकों में लेखन तथा निर्देशन किया है। इनके सृजन और शैक्षिक उत्कृष्ट सेवाओं के लिए प्रशासन, शिक्षा विभाग और कई संस्थाओं द्वारा समय-समय पर पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है।

चलते – चलते……………
शहर ही से नहीं दुनिया से चले जाएंगे
आप अगर हमसे न मिलने की कसम खाएंगे
तुम जो आहिस्ता चल गर्द में खो जाओगे
काफिले वाले बहुत दूर निकल जाएंगे
यह सियासत का जमाना है जरा बचके चलो
तुमको अपने यहां बेगाने नजर आएंगे
उनकी महफिल से चले आए मगर सोचते हैं
दिले बेताब आपको अब किस तरह समझाएंगे

संपर्क :
18,वैभव नगर,कोयल बाग,
पुलिस लाइन रोड, बजरंग नगर,
कोटा (राजस्थान)




हिंदुत्व के स्टार प्रचारक बने योगी आदित्यनाथ

लोकसभा चुनाव के दो चरण का मतदान पूरा हो चुका है और उनकी रिपोर्ट के आधार पर सभी राजनैतिक दलों ने अगले चरण के मतदान के लिए अपनी सारी ताकत झोंक दी है। वर्तमान राजनैतिक परिदृष्य में सभी दलों के स्टार प्रचारक अपनी विचारधारा के प्रचार में जुटे हैं। 2024 लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक स्टार प्रचारक भारतीय जनता पार्टी के पास हैं जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं, “अबकी बार 400 पार के नारे” के साथ संपूर्ण भारत में आक्रामक प्रचार में जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद जो स्टार प्रचारक सबसे अधिक चर्चा में है वह हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न केवल उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं अपितु दूसरे राज्यों में भी उसी तरह प्रचार कर रहे हैं। अब तक 24 दिनों में वो सात राज्यो में 25 रैलियां व दो रोड शो कर चुके हैं। योगी जी की मांग सबसे अधिक उन सीटों व क्षेत्रों में है जहां राजपूत व क्षत्रिय मतदाता अधिक हैं तथा जहां ध्रुवीकरण की संभावना अधिक है वह उन स्थानों पर भी रैलियां कर रहे हे जो हिंसा से प्रभावित रहे हैं। दूसरे राज्यों में योगी जी की लोकप्रियता बुलडोजर बाबा के रूप में भी हो रही है।

योगी जी अब तक पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जम्मू-कश्मीर और बिहार में रैलियां कर चुके हैं। बंगाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चार रैलियां की हैं जो मुस्लिम बहुल और हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में हुई है।

योगी जी ने आसनसोल ल में भी रैली की जहां भाजपा दो बार जीत चुकी है। बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां के कटटरपंथी मौलाना मुख्मयंत्री योगी जी को देख लेने की धमकी तक दे चुके हैं किंतु वह बंगाल जाकर और अधिक आक्रामक होकर हिंदुत्व का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। वह अपनी जनसभा में बंगाल में रामनवमी पर हुई हिंसा की याद दिलाते हुए कहते है कि “अगर कोई यूपी में रामनवमी के अवसर पर दंगा करता है तो उसे उल्टा लटकाकर ठीक कर दिया जाता है”। उन्होंने बंगाल में योगी जी ने साफ सन्देश दिया कि मोदी जी की तीसरी बार सरकार आने पर रामनवमी और वैषाखी के दंगाईयों और सन्देशखाली के जिम्मेदार गुंडों को सजा दिलाने का काम करेंगे।

छत्तीसगढ़ में योगी जी ने तीन रैलियां की हैं जिसमें दो सीटें कांग्रेस व एक भाजपा की रही है। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में योगी जी का 21 बुलडोजर से बेहद भव्य स्वागत किया गया था जो बहुत चर्चित रहा था। यहां पर उन्होंने लव जिहाद व नक्सलवाद के साथ कांग्रेस के आंतरिक समझौते का मुद्दा मुखरता के साथ उठाया।

मुख्यमंत्री योगी ने उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों के लिए 4 रैलियां की और उसमें उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखंड या देश को कोई भी कोना जो कानून नहीं मानेगा उसका राम नाम सत्य ही होगा। कुछ लोगों को लगता था कि अपराध करेंगे तो जेल चले जाएंगे लेकिन जेल जाने से पहले ही हम जहन्नुम में पहुंचा देते हैं।

राजस्थान में भी उन्होंने चार रैलियां व 2 रोड शो किये जिनमें भारी भीड़ आयी। राजस्थान में उन्होंने देश की सुरक्षा का मुददा जोर शोर से उठाया और कहा कि कांग्रेस देश की सुरक्षा व आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है। योगी का कहना है कि आज देश में कहीं पर पटाखा भी फटता है तो सबसे पहले पाकिस्तान सफाई देता है कि हमारा उसमें कोई हाथ नहीं है क्योंकि उसे पता है कि उसका क्या परिणाम होगा क्योकि यह बदला हुआ भारत है। राजस्थान में योगी ने राजपूत, जाट व मीणा समाज के बाहुल्य क्षेत्रों तथा जहां पर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण भी आसानी से हो जाता है वहां पर रैलियां कर समां बांधा है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में भी वह 6 रैलियां कर चुके हैं। अभी तक बिहार में केवल दो रैलियां ही हो पाई है किंतु वहां पर अभी उनकी और रैलियां प्रस्तावित हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 400 पार के नारे के साथ अबकी बार यूपी में 80 की 80 सीटों पर कमल खिलाने के संकल्पवान हैं और वह इसके लिए काफी कड़ी महनत भी कर रहे हैं अब उस मेहनत का उन्हें कितना प्रतिफल मिलता है यह तो 4 जून 2024 की मतगणना के दिन ही तय हो सकेगा। यूपी में भी योगी 75 से अधिक रैलियां व रोड षो कर चुके है।

उत्तर प्रदेश की रैलियों में योगी जी आक्रामकता के साथ सपा, बसपा व कांग्रेस पर हमलावर हो रहे है। वह कांग्रेस को उसके घोषणापत्र के छिपे हुए हिंदू विरोधी एजेंडे के आधार पर बेनकाब कर रहे हैं। योगी जी स्पष्ट रूप से हमला करते हुए कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस व इंडी गठबंधन के लोग सत्ता में वापस आये तो यह लोग देश में शरिया लागू कर देंगे और हमारे गोवंश को कसाईयो के हाथों में दे देंगे। योगी जी अपनी हर जनसभा में जनता को याद दिला रहे हैं कि कांग्रेस के कारण ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण लटका रहा। कांग्रेस ने ही भगवान राम को कोर्ट में काल्पनिक बताया था। संपत्ति के विभाजन, मंगल सूत्र और विरासत टैक्स का मुद्दा भी वे अपनी रैलियों में उठा रहे हैं। योगी जी बेटियों की सुरक्षा व कानून व्यवस्था पर कोई समझौता नहीं करने वाले हैं और वह बार-बार कहते हैं कि अगर कोई बहिन- बेटियो की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करेगा तो उसका राम नाम सत्य ही होगा। योगी जी कह रहे हैं कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम का काम हो गया अब मथुरा की गलियां भी श्रीकृष्ण की बांसुरी सुनने के लिए बैचेन हो रही हैं। अब वह काम भी जल्द ही पूरा हो जाएगा। योगी जी का कहना है कि कांग्रेस पहले तो केवल दिशाहीन थी किंतु अब तो नेतृत्वविहीन भी हो चुकी है। योगी जी कहते हैं कि कांग्रेस को वोट देने से कोई बड़ा पाप नहीं हो सकता।

दूसरे राज्यों में जाने पर योगी जी का भव्य स्वागत किया जाता है। इसमें कोई दो राय नही कि उत्तर प्रदेश में अयोध्या में दिव्य, भव्य एवं नव्य राम मंदिर बन जाने के बाद उनकी लोकपियता में भारी वृद्धि हुई है तथा उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन का व्यापक विस्तार व विकास हो रहा है। अभी लखनऊ में आयोजित आईपीएल टूर्नामेट के मुकाबले के लिए पधारे क्रिकेट खिलाड़ी पीटरसन से लखनऊ एयरपोर्ट की तारीफ करते हुए योगी जी की प्रशंसा की और उसे सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश में अविश्वसनीय विकास व अच्छा काम हो रहा है।

योगी जी के नेतृत्व में कानून का राज है, अपराधियों का मनोबल गिरा हुआ है और विकास के लिए निवेश का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। भगवा वस्त्र, वाणी में ओज, ह्रदय में सनातन, आचरण में संत योगी जी इस चुनाव में हिंदुत्व का प्रमुख स्वर हैं।




आर्थिक क्षेत्र में नित नए विश्व रिकार्ड बनाता भारत

दिनांक 1 मई 2024 को अप्रेल 2024 माह में वस्तु एवं सेवा कर के संग्रहण से सम्बंधित जानकारी जारी की गई है। हम सभी के लिए यह हर्ष का विषय है कि माह अप्रेल 2024 के दौरान वस्तु एवं सेवा कर का संग्रहण पिछले सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 2.10 लाख करोड़ रुपए के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो निश्चित ही, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शा रहा है। वित्तीय वर्ष 2022 में वस्तु एवं सेवा कर का औसत कुल मासिक संग्रहण 1.20 लाख करोड़ रुपए रहा था, जो वित्तीय वर्ष 2023 में बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपए हो गया एवं वित्तीय वर्ष 2024 में 1.70 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गया। अब तो अप्रेल 2024 में 2.10 लाख करोड़ रुपए के स्तर से भी आगे निकल गया है।

इससे यह आभास हो रहा है कि देश के नागरिकों में आर्थिक नियमों के अनुपालन के प्रति रुचि बढ़ी है, देश में अर्थव्यवस्था का तेजी से औपचारीकरण हो रहा है एवं भारत में आर्थिक विकास की दर तेज गति से आगे बढ़ रही है। कुल मिलाकर अब यह कहा जा सकता है कि भारत आगे आने वाले 2/3 वर्षों में 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। भारत में वर्ष 2014 के पूर्व एक ऐसा समय था जब केंद्रीय नेतृत्व में नीतिगत फैसले लेने में भारी हिचकिचाहट रहती थी और भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की हिचकोले खाने वाली 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल थी। परंतु, केवल 10 वर्ष पश्चात केंद्र में मजबूत नेतृत्व एवं मजबूत लोकतंत्र के चलते आज वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है।

आज भारत आर्थिक क्षेत्र में वैश्विक मंच पर नित नए रिकार्ड बना रहा है। वैश्विक स्तर पर विदेशी प्रेषण के मामले में आज भारत प्रेषण प्राप्तकर्ता के रूप में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है। भारत में आज सबसे बड़ा सिंक्रोनाईजड बिजली ग्रिड है। बैकिंग क्षेत्र में वास्तविक समय लेनदेन की सबसे बड़ी संख्या आज भारत में ही सम्पन्न हो रही है। भारत आज विश्व में दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है एवं भारत आज पूरे विश्व में मोबाइल फोन का निर्माण करने वाला दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है। भारत में आज विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेट्वर्क है। मात्रा की दृष्टि से भारत में आज विश्व का तीसरा सबसे बड़ा फार्मासीयूटिकल उद्योग है। भारत में आज पूरे विश्व में तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेट्वर्क है। भारत ने स्टार्टअप को विकसित करने के उद्देश्य से विश्व का तीसरा सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र खड़ा कर लिया है। भारत का स्टॉक बाजार, पूंजीकरण के मामले में, विश्व में चौथे स्थान पर आ गया है। भारत में आज विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेट्वर्क है। विश्व में पैटेंट हेतु आवेदन किए जाने वाले देशों में भारत आज छठे स्थान पर आ गया है। आर्थिक क्षेत्र में भारत को यह सभी उपलब्धियां पिछले 10 वर्षों के दौरान प्राप्त हुई हैं।

पिछले केवल 10 वर्षों के दौरान शेयर बाजार में निवेशकों को अपार सफलता हासिल हुई है और सेन्सेक्स ने 200 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर्ज की है, इसी प्रकार निफ्टी भी इसी अवधि में 206 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर्ज करने में सफल रहा है। यह स्थानीय एवं विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपना विश्वास जता रहा है। भारत में शेयर बाजार में व्यवहार करने के उद्देश्य से खोले जाने वाले डीमेट खातों की संख्या वर्ष 2014 में 2.2 करोड़ थी जो वर्ष 2024 में बढ़कर 15.13 करोड़ हो गई है अर्थात इन 10 वर्षों में 7 गुणा से अधिक की वृद्धि दर अर्जित की गई है। देश का प्रत्येक उद्यमी/उपक्रमी/व्यवसायी बहुत उत्साह में है कि देश में व्यापार करने हेतु वातावरण में बहुत सुधार हुआ है एवं ईज आफ डूइंग बिजनेस में काफी सुधार हुआ है। आज भारत ही नहीं बल्कि भारतीय कम्पनियों द्वारा विदेश में भी पूंजी उगाहना बहुत आसान हो गया है। अतः एक प्रकार से उद्यमियों के लिए पूंजी की समस्या तो नहीं के बराबर रह गई है।

भारतीय नागरिकों में आज स्व का भाव जगाने में भी कामयाबी मिली है, जिसके चलते स्वदेश में निर्मित वस्तुओं का उपयोग बढ़ रहा है एवं अन्य देशों से विभिन्न उत्पादों के आयात कम हो रहे हैं। इसके चलते भारत के विदेशी व्यापार घाटे में सुधार दृष्टिगोचर है। आज भारत से विभिन्न उत्पादों के निर्यात में मामूली वृद्धि दर्ज हो रही है तो कई उत्पादों के आयात में कमी दिखाई देने लगी है। इसे भारतीय नागरिकों के आत्म निर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखा जा सकता है। फरवरी 2024 माह में भारत का व्यापारिक निर्यात 11.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 4140 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया, जो पिछले 20 महीनों में उच्चतम स्तर पर है। इसके अतिरिक्त, सेवा निर्यात 3210 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रिकार्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। फरवरी 2024 माह में माल एवं सेवाओं को मिलाकर कुल निर्यात 7355 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा है, जो फरवर 2023 की तुलना में 14.2 प्रतिशत अधिक है। इसी कारण से, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी आज 64,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है।

आज भारतीय नागरिकों ने सनातन संस्कृति का अनुपालन करते हुए भारत को विकसित एवं मजबूत बनाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा लिए हैं। आज भारत में प्रत्येक नागरिक का औसत जीवन वर्ष 2022 के 62.7 वर्ष से बढ़कर 67.7 वर्ष हो गया है। यह भारत में लगातार हो रही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के चलते ही सम्भव हो सका है। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रतिवेदन के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय में पिछले 12 महीनों के दौरान 6.3 प्रतिशत की वृद्ध दर्ज हुई है। इसी प्रकार, एक सर्वे के अनुसार, आज भारत में 36 प्रतिशत कम्पनियां आगामी 3 माह में नई भर्तियां करने पर गम्भीरता से विचार कर रही हैं, इससे भारत में रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित होते दिखाई दे रहे हैं।

गरीब वर्ग को भी केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाये जाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। जल जीवन मिशन ने पूरे भारत में 75 प्रतिशत से अधिक घरों में नल के पानी का कनेक्शन प्रदान करके एक बढ़ा मील का पत्थर हासिल कर लिया है। लगभग 4 वर्षों के भीतर मिशन ने 2019 में ग्रामीण नल कनेक्शन कवरेज को 3.23 करोड़ घरों से बढ़ाकर 14.50 करोड़ से अधिक घरों तक पहुंचा दिया गया है। इसी प्रकार, पीएम आवास योजना के अंतर्गत, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में 4 करोड़ से अधिक पक्के मकान बनाए गए हैं एवं सौभाग्य योजना के अंतर्गत देश भर में 2.8 करोड़ घरों का विद्युतीकरण कर लिया गया है।

विश्व भर के सबसे बड़े सरकारी वित्तपोषित स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना – के अंतर्गत 55 करोड़ लाभार्थियों को माध्यमिक एवं तृतीयक देखभाल एवं अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपए का बीमा कवर प्रदान किया जा रहा है। साथ ही, पीएम गरीब कल्याण योजना के माध्यम से मुफ्त अनाज के मासिक वितरण से 80 करोड़ से अधिक परिवारों को लाभ प्राप्त हो रहा है। पीएम उज्जवल योजना के अंतर्गत 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान किये गए हैं। इन महिलाओं के जीवन में इससे क्रांतिकारी परिवर्तन आया है क्योंकि ये महिलाएं इसके पूर्व लकड़ी जलाकर अपने घरों में भोजन सामग्री का निर्माण कर पाती थीं और अपनी आंखों को खराब होते हुए देखती थीं। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत भी 12 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण कर महिलाओं की सुरक्षा एवं गरिमा को कायम रखा जा सका है। जन धन खाता योजना के अंतर्गत 52 करोड़ से अधिक खाते खोलकर नागरिकों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाया गया है। इससे गरीब वर्ग के नागरिकों के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है। पूरे भारत में 11,000 से अधिक जनऔषधि केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो 50-90 प्रतिशत रियायती दरों पर आवश्यक दवाएं प्रदान कर रहे हैं।

अंत में यह कहा जा सकता है कि भारत आर्थिक क्षेत्र में आज पूरे विश्व में एक चमकते सितारे के रूप में दिखाई दे रहा है एवं अपनी विकास दर को 10 प्रतिशत के ऊपर ले जाने के भरसक प्रयास कर रहा है। इससे निश्चित ही भारत शीघ्र ही पहिले विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा एवं इसके बाद वर्ष 2027 तक भारत एक विकसित राष्ट्र भी बन जाएगा।




वोट जरूर डालें, घर-घर दस्तक देकर मतदाताओं को जागरूक करेगा डाक विभाग

वाराणसी। डाकिया डाक लाया, डाकिया बैंक लाया और अब डाकिया देश में लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए लोगों को मतदान के लिए भी प्रेरित करेगा। भारतीय चुनाव आयोग के ‘स्वीप कार्यक्रम’ के अंतर्गत चल रहे मतदाता जागरूकता अभियान के अन्तर्गत लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए मतदाताओं को जागरूक करने का बीड़ा अब डाक विभाग ने भी उठाया है। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कैंट प्रधान डाकघर में इसका शुभारंभ किया। वाराणसी परिक्षेत्र के अधीन कुल 1729 डाकघरों के माध्यम से यह वृहद् अभियान चलेगा।

इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने लोगों से लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की। एक तरफ डाकघरों के माध्यम से बँटने वाली डाक पर ‘चुनाव का पर्व, देश का गर्व’ और वाराणसी लोक सभा निर्वाचन मतदान दिनांक 1 जून, 2024 की मुहर लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं डाकिया भी डाक वितरण के दौरान लोगों से अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने की अपील करेंगे। इसके साथ ही डाकघरों में स्पीड पोस्ट व रजिस्ट्री बुकिंग, आईपीपीबी और बचत खाता खुलवाने, आधार नामांकन व अपडेशन इत्यादि तमाम कार्यों के लिए आने वाले लोगों को भी डाककर्मी अपना वोट देने के लिए प्रेरित करेंगे। श्री यादव ने कहा कि लाखों लोगों के घरों तक पहुंचने वाली चिट्ठियों के माध्यम से मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रेरित करना है। खास कर बुजुर्ग, युवा, महिला और फर्स्ट वोटर्स के साथ-साथ दिव्यांग मतदाताओं तक हर हालत में जागरूकता संदेश पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने मौजूद समस्त डाककर्मियों को मतदाता शपथ दिलाई।

वाराणसी पश्चिम मंडल के अधीक्षक डाकघर श्री विनय कुमार ने कहा कि पोस्ट ऑफिस में दैनिक रूप से बड़ी संख्या में आम जनता अपने कार्यों के लिए पहुंचती है। इस लिहाज से पोस्ट ऑफिस मतदाता जागरूकता के लिए भी उचित स्थान है। उन्होंने डाक विभाग के समस्त कर्मियों को डोर-टू-डोर मतदाता जागरूकता अभियान में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध किया।

इस अवसर पर अधीक्षक डाकघर श्री विनय कुमार, सहायक निदेशक बृजेश शर्मा, सहायक अधीक्षक आरके चौहान, इंद्रजीत, निरीक्षक दिलीप कुमार, अनिकेत रंजन, लेखाधिकारी संतोषी राय, कैण्ट पोस्टमास्टर गोपाल दुबे, अजिता, राहुल वर्मा, श्रीप्रकाश गुप्ता, मनीष कुमार, आनंद प्रधान सहित तमाम डाककर्मी शामिल हुए।




अक्षय तृतीया से पूर्व बाल विवाह के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट का अहम फैसला

जयपुर। प्रदेश में बाल विवाह की मौजूदा स्थिति को ‘चिंताजनक’ बताते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने तत्काल सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश जारी कर राज्य सरकार से कहा है कि वह अक्षय तृतीया के मद्देनजर यह सुनिश्चित करे कि कहीं भी बाल विवाह नहीं होने पाए। साथ ही, आदेश में कहा गया है कि बाल विवाह को रोकने में विफलता पर पंचों-सरपंचों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। हाई कोर्ट का यह फौरी आदेश ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस’ की जनहित याचिका पर आया है। इन संगठनों ने अपनी याचिका में इस वर्ष 10 मई को अक्षय तृतीया के मौके पर बड़े पैमाने पर होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की थी।
न्यायमूर्ति शुभा मेहता और पंकज भंडारी की खंडपीठ ने याचियों द्वारा बंद लिफाफे में सौंपी गई अक्षय तृतीया के मौके पर होने वाले 54 बाल विवाहों की सूची पर गौर करने के बाद राज्य सरकार को इन विवाहों पर रोक लगाने के लिए ‘बेहद कड़ी नजर’ रखने को कहा है। यद्यपि इस सूची में शामिल नामों में कुछ विवाह पहले ही संपन्न हो चुके हैं लेकिन 46 विवाह अभी होने बाकी हैं।
खंडपीठ ने कहा, “सभी बाल विवाह निषेध अफसरों से इस बात की रिपोर्ट मंगाई जानी चाहिए कि उनके अधिकार क्षेत्र में कितने बाल विवाह हुए और इनकी रोकथाम के लिए क्या प्रयास किए गए।” आदेश में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि सूची में शामिल जिन 46 बच्चों के विवाह होने हैं, वे नहीं होने पाएं।”
खंडपीठ ने यद्यपि इस बात का संज्ञान लिया कि राज्य सरकार के प्रयासों से बाल विवाहों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है, फिर भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (2019-21) के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में 20-24 आयु वर्ग की 25.4 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 साल की होने से पहले ही हो गया था जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 23.3 प्रतिशत है।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “बाल विवाह वह घृणित अपराध है जो सर्वत्र व्याप्त है और जिसकी हमारे समाज में स्वीकार्यता है। बाल विवाह के मामलों की जानकारी देने के लिए पंचों व सरपंचों की जवाबदेही तय करने का राजस्थान हाई कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है। पंच व सरपंच जब बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक होंगे तो इस अपराध के खिलाफ अभियान में उनकी भागीदारी और कार्रवाइयां बच्चों की सुरक्षा के लिए लोगों के नजरिए और बर्ताव में बदलाव का वाहक बनेंगी। बाल विवाह के खात्मे के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम पूरी दुनिया के लिए एक सबक हैं और राजस्थान हाई कोर्ट का यह फैसला इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।”
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस पांच गैरसरकारी संगठनों का एक गठबंधन है जिसके साथ 120 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठन सहयोगी के तौर पर जुड़े हुए हैं जो पूरे देश में बाल विवाह, बाल यौन शोषण और बाल दुर्व्यापार जैसे बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर काम कर रहे हैं।
हाई कोर्ट का यह आदेश ऐसे समय आया है जब अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह के मामलों में खासी बढ़ोतरी देखने को मिलती है और जिसे रोकने के लिए सरकार के साथ जमीनी स्तर पर काम कर रहे तमाम गैरसरकारी संगठन हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।



लखनऊ पहुँचे फ़िल्म ‘रज़ाकार’ के कलाकार

लखनऊ। भारत की स्वतंत्रता के समय हैदराबाद में निजाम के आदेश पर हुए नरसंहार पर आधारित फ़िल्म ‘‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’’ पूरे भारत मे 26 अप्रैल को रिलीज  होने के बाद दर्शकों को बहुत पसंद आ रही हैं । फ़िल्म के मुख्य कलाकार राज अर्जुन, अभिनेत्री अनुसूया त्रिपाठी के साथ ही फ़िल्म के निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी लखनऊ में स्पेशल स्क्रीनिंग के लिए आए और मीडिया से बातचीत की। रज़ाकार फ़िल्म को समीक्षकों और दर्शक ख़ासा पसंद कर रहे हैं।
फ़िल्म रज़ाकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे अभिनेता आज अर्जुन  ने कहा कि रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ एक ऐसा सिनेमा है जिसे हर भारतीय को देखना चाहिए। एक ऐसा नरसहार जो आज़ादी के बाद स्थानीय लोगो को भुगतना पड़ा । यह फ़िल्म देश के ‘लौहपुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। गुजरात मे जन्मे सरदार पटेल देश के पहले उप प्रधानमंत्री और भारत के पहले गृह मंत्री भी थे। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भी कई बड़े आंदोलन चलाए और स्वतंत्रता के बाद उन्हीं की कोशिशों से कई रियासतों को एक कर भारत में शामिल किया गया था। हैदराबाद को भारत मे विलय कराने में उनका योगदान अमूल्य था जो कोई भारतवासी कभी नहीं भुला सकता।”
निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी ने कहा कि “‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’’ एक ऐसी ऐतिहासिक घटना के बारे में बताएगी जिससे देश को पिछले ७५ वर्षों से दूर रखा गया था। फ़िल्म रज़ाकार को दक्षिण भाषा के साथ अब हिंदी में भी बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया  है ताकि इतिहास के इस चैप्टर के बारे में भी देश का हर एक व्यक्ति जान सके।
लखनऊ  में फ़िल्म के खास शो के माध्यम से हम लोगों को बताना चाहते है  कि रजाकारों द्वारा किये गये खून खराबे के आगे हिटलर के अत्याचार भी कम थे।उस बारे में हर हिंदुस्तानी को जानना कितना आवश्यक है।”
ट्रेलर में औरतों, बच्चों और बुजुर्गों पर अत्याचार के साथ हैदराबाद के निज़ाम का आदेश जारी किया जाता हैं कि ‘ओमकार सुनाई नहीं देना चाहिए और भगवा दिखाई नहीं देना चाहिए’ दूसरी तरफ सरदार पटेल का संदेश निज़ाम तक आता है कि हैदराबाद को हिंदुस्तान में विलय नहीं किया तो हालात बिगड़ जाएँगे। अत्याचार और नरसंहार के बीच आजादी के वीर संकल्प लेते है कि युद्ध करना ही पड़ेगा। भारतीय सेना और आजादी के वीर एक साथ मिलकर निजाम के  रज़ाकार के साथ खूनी लड़ाई शुरू कर देते हैं। सरदार पटेल का संवाद “ना संधि ना समर्पण अब बस युद्ध होगा” जोश भर देता है।समरवीर क्रिएशन एलएलपी के बैनर तले निर्मित फ़िल्म ‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ के निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी हैं। फ़िल्म देश भर के सिनेमा हॉल में दर्शकों को पसंद आ रही हैं.




डॉ. वैदेही गौतम के सृजन से गूंजते आशावादी स्वर

थका हारा सोचता मन

उलझती जा रही है उलझन
ओ! निराशा, तू बता क्या चाहती है?
मैं कठिन तूफान कितने झेल आया
मैं न हारा हूँ न हारूंगा कभी
अभी तो मेरे बहुत से बसंत है बाकी……..
थका हारा मन, उलझन, निराशा,हिम्मत और आशा के तानेबाने को कितने  ह्रदय स्पर्शी और  भावपूर्ण रूप से मुक्तक कविता में बुना है यह कवियित्री के शब्दोंं का ही जादू और सम्मोहन है, जिसकी दशा और चिंतन दिल को गहराई तक छू जाती है।
 ऐसी ही भावपूर्ण रचनाएं “न जा तू परदेश”रचना में नायिका अपने प्रीतम को अपने पास रखने के लिए कई तरह के जतन करती नजर आती है, “अंधों की सरकार”में आज के राजनैतिक माहौल पर कटाक्ष किया गया है,”प्रदूषण फैलाता इंसान”में आज के स्वार्थ वादी इंसान को दिखाया गया है, “स्त्री होना पाप है क्या ?” कविता में स्त्री का हर किसी से यही सवाल है कि स्त्री होना पाप होता है क्या ? ऐसे ही कई विषयों को लेखनी का माध्यम बना कर समाज में व्याप्त बुराईयों को उजागर करके आदर्श समाज की परिकल्पना कर आशावादी दृष्टिकोण का संदेश देना डॉ. वैदेही गौतम के सृजन का मूल उद्देश्य है। साथ ही इनकी रचनाएं व्यक्ति के व्यक्तित्व का चित्रण करके उसकी अच्छाइयों को उजागर करती है ताकि सकारात्मक सोच के माध्यम से समाज उन्नति व प्रगति कर सके। इनका लेखन  समाज की यथार्थता व समसामयिक परिस्थिति को उजागर करता प्रतीत होता है।
 यह गद्य और पद्य दोनों  विधाओं में लिखती है। कविताएं लिखना इनकी रुचि का विषय है। कविताओं, गीत और मुक्तकों में मनोवैज्ञानिक शैली का उपयोग कर मौलिक व स्वतंत्र लेखन से समाज में उन्नति, प्रगति, सकारात्मकता व प्रेम का संदेश देती है। इनकी रचनाएं मनुष्य को विषम परिस्थितियों में आशावादी दृष्टिकोण रखते हुए सतत गतिमान रहने के लिए प्रेरित करती हैं। गद्य विधा में ये अपने उद्देश के अनुरूप विचारात्मक व भावात्मक शैली में लेखन करती हैं। हिंदी भाषा को ही इन्होंने अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया है। इनका  काव्य सृजन श्रृंगार रस और वीर रस से ओतप्रोत है। इनका साहित्य भक्ति कालीन कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के  “रामचरितमानस ” को आदर्श मानकर लिखा गया है। इनकी रचनाएं मनोवैज्ञानिक कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय” व धर्मवीर भारती से प्रभावित काव्य रचनाएँ हैं। मन की शांति का अनुभव करना लेखन का मर्म है।
आज समाज में स्वार्थ इतना हावी हो गया है कि प्रेम भी दिखावटी बन गया है । अपनी काव्य रचना “अपना” में स्वार्थी व दिखावटी प्रेम करनें वाले व्यक्तिव पर कटाक्ष करते हुए लिखती  हैं…………….
यूँ ही मिल जाते हैं अपनें, जोड़ा तो जुड़ जाते
हैं,
छोड़ा तो साया बन जाते हैं ।
अपना- अपना कहने को, कोई अपना न नजर आता है,
 जो अपना है, समय आने पर वह सपना बन जाता है,
अपनों के साथ समय का पता चले न चले, समय के साथ अपनों का पता चल ही जाता है……..
स्वार्थी और दिखावटी प्रेम करने वालों की दुनिया में  ” ओ मेरे कान्हा ” काव्य में कवयित्री ने निश्छल प्रेम के प्रतीक कृष्ण को सर्वस्व अर्पण करते हुए लिखा है …..
ओ मेरे कान्हा, तुम्ही को अपना माना,
तुम्ही हो मेरे मन में, तुमने मन को जाना,
तुम्हे किया सर्वस्व अर्पण, तुमसे क्या छिपाना,
जैसे मुझे तुम प्यारे हो, वैसे ही तुम्हे मै प्यारी हूँ,
प्रेम का कोई मोल नहीं, अनमोल प्रेम को करना और कराना, प्रेम से ही होता है,
ओ मेरे कान्हा, तुम्ही को अपना माना…….
तेरी भक्ति से शक्ति मिली, शक्ति से तुष्टी मिली, तुष्टी से पुष्टि मिली, पुष्टि से संतुष्टि मिली, ओ मेरे कान्हा…..
“ओ मेरे प्रियतम, तुम हो मेरे ह्रदय की धड़कन, तुमको ढूंढा करते हरपल मेरे दो नयन” कविता में अपनें प्रियतम पर सर्वस्व न्यौछावर करने वाली नायिका का समर्पण भाव प्रदर्शित हुआ है। “प्रकृति पौरुष में तल्लीन” काव्य में प्रकृति व पौरुष के बीच मनमुटाव व अहम् का भाव आने पर निश्छल प्रेम गौण हो जाता है, ऐसी परिस्थितियों में प्रकृति रूपी नारी को दृढ़ निश्चयी व समरसता जन्म आनंदवाद की दात्री माना है, जो संधि पत्र लिखने की पहल करती है।
“संधि पत्र” काव्य में ” अन्तरात्मा का आर्तनाद, भरता मन में अति विषाद, करुणा से सजल अश्रु पात, करते प्रकृति में जल प्रपात, सरल सहज मन आत्मलीन का भावपूर्ण सृजन है। देखिए इस काव्य सृजन की बानगी…….
अन्तरात्मा का आर्तनाद, भरता मन में अति विषाद
करूणा से सजल अश्रुपात, करते प्रकृति में जलप्रपात
सरल सहज मन आत्मलीन प्रकृति पौरुष में तल्लीन
समष्टि- व्यष्टि में आत्मसात,जड़ चेतन का है एकनाद
समरसता जन्य आनंद वाद,कामायनी का यही सार
जन मन में भरता अति उल्लास,सहसा आया झंझावात
किसने किया वज्रपात,मनु श्रद्धा बीच इडा आयी
पुरुष प्रकृति में वह समाई,अहंकार नें विजय पायी
फिर भी नारी न डगमगाई,नारी तुम केवल श्रद्धा हो
समग्र सृष्टि के नभतल में,पीयूष स्रोत सी बहा करो
जीवन के सुन्दर समतल में,अश्रु से भीगे अंचल पर
सर्वस्व समर्पण करना होगा,तुमको अपनी स्मित रेखा से
यह संधि पत्र लिखना होगा…. यह संधि पत्र  लिखना होगा….
“आत्माभिव्यक्ति: उडा़न” एक ऐसा काव्य सृजन है जिसमें रचनाकार ने स्वयं अपने मनोभावों को अभिव्यक्ति प्रदान की है। देखिए वे अपने बारे में क्या सोचती है, कहां उड़ान भरना चाहती हैं…………….
मैं इक नन्ही सी आशा,उड़ना चाहती इह लोक में
उड़ ना पाती इह लोक में,मीठी मीठी मेरी बोली
मिश्री सी उसमें है घोली,कुछ कहतें है प्यारी बोली
कुछ कहतें है है दोगली,मेरी आशा आह!बावली
सबको है अपना सा समझी,मेरा मन कम जन से बोले
निरख परख कर मन को खोले,कम बोलूं तो बोले घुन्नी
ना बोलूं तो मुंहचडी़ है मिन्नी, सुख दुःख में समरस हूँ रहती
अनुज अग्रज का आदर हूँ करती, इहलोक की परवाह न करती
अपने लक्ष्य पर बढती जाती, कर्म क्षेत्र से कभी न डरती
जब भी मे विचलित हो जाऊँ ,नीलकंठ की शरण में जाऊँ
मन हल्का कर वापस आऊं,नयी ऊर्जा को तन में पाऊँ
स्वनिंदक से कहतीं जाऊँ, मातपिता और सास ससुर की
आशाओं पर खरी उतरूंगी,उच्च शिक्षा में पदवी पाकर
उनके चरणों में सोपूंगी ,चाहे कितने कंटक आयें
कभी न हारूँ, कभी न भागूं ,मैं इक नन्ही सी आशा
उड़ती जाऊँ….. ,उड़ती जाऊँ….
 कोरोना जैसी महामारी के समय  “कोरोना वायरस” को धन्यवाद! देते हुए आशावादी व सकारात्मक भाव से जीवन में निरंतर आगे बढते रहने का संदेश दिया है। जब की सम्पूर्ण विश्व में कोरोना महामारी से  त्राहि माम् त्राहि माम् की पुकार हो रही थी वही कवियत्री ने विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास व सकारात्मक दृष्टिकोण से हिम्मत रखते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। देखिए इसकी बानगी….
धन्यवाद ! कोरोना …..
आश्चर्य मत कर! जहाँ अखिल मही तेरी विदाई की वैक्सीन ढूंढ रही है, वहीं यह कवियत्री तुझे धन्यवाद दे रही है, तेरे आने से ही जाना, घर की चार दीवारी का सुख, बच्चों की हंसी, बड़ो का प्यार, पति का दुलार, स्वयं का साज श्रृंगार, नौकरी की भागा दौडी़  में गयी थी भूल घर का कोना- कोना, धन्यवाद ! कोरोना ।
विद्या और संगीत की देवी माँ सरस्वती की असीम कृपा से इनकी वाणी को ओज और माधुर्य मिला । वाणी मधुर होने से जो भी मिलते हैं वे कविता , गीत  सुनने के इच्छुक होते हैं। मन के गत्यात्मक पक्ष इदम् , अहम् , पराहम्  के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व का आप बखूबी विश्लेषण करने में दक्ष हैं। अपने समीपस्थ का चित्रण किया जिसमें तारुणी , आत्माभिव्यक्ति : उड़ान, मेरे बाबा, तुषार, शशांक, अक्षिता, सासु माँ, पुरषोत्तम आदि काव्य रचनाएँ प्रमुख हैं। इन्होंने अन्तर्मन में उत्पन्न उथल-‌ पुथल, कुंठा द्वंद्व आदि
मनोविकार को लेखनी के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान की।
परिचय
सशक्त अभिव्यक्ति से अपनी रचनाओं में आशावादी भावनाएं जगाने के वाली रचनाकार डॉ.वैदेही गौतम धर्मवीर भारती के साहित्य में मनोवैज्ञानिकता विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इनकेअनेक शोध पत्रिकाओं में आपके आलेख प्रकाशित हुए हैं। साहित्य मंडल, श्रीनाथ द्वारा “साहित्य सौरभ सम्मान” सहित अनेक संस्थाओं द्वारा आपको पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है। आप कई साहित्यिक मंचों से जुड़ी हैं और काव्यपाठ करती हैं। वर्तमान में ये राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय केशवपुरा सेक्टर 6 में प्रधानाचार्य पद पर सेवारत हैं और निरंतर साहित्य सृजन में सक्रिय हैं।
चलते – चलते………..
कौन कहता है पेंशन हो आयी है
अभी तो शायरी लिखने की उम्र आयी है
मैं तो वह दरिया हूँ, जो समुन्दर में उतर जाऊंगा
देखना यारों!
एक दिन मशहूर शायर कह लाऊंगा…
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