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हिंदुत्व के स्टार प्रचारक बने योगी आदित्यनाथ

लोकसभा चुनाव के दो चरण का मतदान पूरा हो चुका है और उनकी रिपोर्ट के आधार पर सभी राजनैतिक दलों ने अगले चरण के मतदान के लिए अपनी सारी ताकत झोंक दी है। वर्तमान राजनैतिक परिदृष्य में सभी दलों के स्टार प्रचारक अपनी विचारधारा के प्रचार में जुटे हैं। 2024 लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक स्टार प्रचारक भारतीय जनता पार्टी के पास हैं जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं, “अबकी बार 400 पार के नारे” के साथ संपूर्ण भारत में आक्रामक प्रचार में जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद जो स्टार प्रचारक सबसे अधिक चर्चा में है वह हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न केवल उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं अपितु दूसरे राज्यों में भी उसी तरह प्रचार कर रहे हैं। अब तक 24 दिनों में वो सात राज्यो में 25 रैलियां व दो रोड शो कर चुके हैं। योगी जी की मांग सबसे अधिक उन सीटों व क्षेत्रों में है जहां राजपूत व क्षत्रिय मतदाता अधिक हैं तथा जहां ध्रुवीकरण की संभावना अधिक है वह उन स्थानों पर भी रैलियां कर रहे हे जो हिंसा से प्रभावित रहे हैं। दूसरे राज्यों में योगी जी की लोकप्रियता बुलडोजर बाबा के रूप में भी हो रही है।

योगी जी अब तक पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जम्मू-कश्मीर और बिहार में रैलियां कर चुके हैं। बंगाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चार रैलियां की हैं जो मुस्लिम बहुल और हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में हुई है।

योगी जी ने आसनसोल ल में भी रैली की जहां भाजपा दो बार जीत चुकी है। बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां के कटटरपंथी मौलाना मुख्मयंत्री योगी जी को देख लेने की धमकी तक दे चुके हैं किंतु वह बंगाल जाकर और अधिक आक्रामक होकर हिंदुत्व का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। वह अपनी जनसभा में बंगाल में रामनवमी पर हुई हिंसा की याद दिलाते हुए कहते है कि “अगर कोई यूपी में रामनवमी के अवसर पर दंगा करता है तो उसे उल्टा लटकाकर ठीक कर दिया जाता है”। उन्होंने बंगाल में योगी जी ने साफ सन्देश दिया कि मोदी जी की तीसरी बार सरकार आने पर रामनवमी और वैषाखी के दंगाईयों और सन्देशखाली के जिम्मेदार गुंडों को सजा दिलाने का काम करेंगे।

छत्तीसगढ़ में योगी जी ने तीन रैलियां की हैं जिसमें दो सीटें कांग्रेस व एक भाजपा की रही है। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में योगी जी का 21 बुलडोजर से बेहद भव्य स्वागत किया गया था जो बहुत चर्चित रहा था। यहां पर उन्होंने लव जिहाद व नक्सलवाद के साथ कांग्रेस के आंतरिक समझौते का मुद्दा मुखरता के साथ उठाया।

मुख्यमंत्री योगी ने उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों के लिए 4 रैलियां की और उसमें उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखंड या देश को कोई भी कोना जो कानून नहीं मानेगा उसका राम नाम सत्य ही होगा। कुछ लोगों को लगता था कि अपराध करेंगे तो जेल चले जाएंगे लेकिन जेल जाने से पहले ही हम जहन्नुम में पहुंचा देते हैं।

राजस्थान में भी उन्होंने चार रैलियां व 2 रोड शो किये जिनमें भारी भीड़ आयी। राजस्थान में उन्होंने देश की सुरक्षा का मुददा जोर शोर से उठाया और कहा कि कांग्रेस देश की सुरक्षा व आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है। योगी का कहना है कि आज देश में कहीं पर पटाखा भी फटता है तो सबसे पहले पाकिस्तान सफाई देता है कि हमारा उसमें कोई हाथ नहीं है क्योंकि उसे पता है कि उसका क्या परिणाम होगा क्योकि यह बदला हुआ भारत है। राजस्थान में योगी ने राजपूत, जाट व मीणा समाज के बाहुल्य क्षेत्रों तथा जहां पर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण भी आसानी से हो जाता है वहां पर रैलियां कर समां बांधा है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में भी वह 6 रैलियां कर चुके हैं। अभी तक बिहार में केवल दो रैलियां ही हो पाई है किंतु वहां पर अभी उनकी और रैलियां प्रस्तावित हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 400 पार के नारे के साथ अबकी बार यूपी में 80 की 80 सीटों पर कमल खिलाने के संकल्पवान हैं और वह इसके लिए काफी कड़ी महनत भी कर रहे हैं अब उस मेहनत का उन्हें कितना प्रतिफल मिलता है यह तो 4 जून 2024 की मतगणना के दिन ही तय हो सकेगा। यूपी में भी योगी 75 से अधिक रैलियां व रोड षो कर चुके है।

उत्तर प्रदेश की रैलियों में योगी जी आक्रामकता के साथ सपा, बसपा व कांग्रेस पर हमलावर हो रहे है। वह कांग्रेस को उसके घोषणापत्र के छिपे हुए हिंदू विरोधी एजेंडे के आधार पर बेनकाब कर रहे हैं। योगी जी स्पष्ट रूप से हमला करते हुए कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस व इंडी गठबंधन के लोग सत्ता में वापस आये तो यह लोग देश में शरिया लागू कर देंगे और हमारे गोवंश को कसाईयो के हाथों में दे देंगे। योगी जी अपनी हर जनसभा में जनता को याद दिला रहे हैं कि कांग्रेस के कारण ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण लटका रहा। कांग्रेस ने ही भगवान राम को कोर्ट में काल्पनिक बताया था। संपत्ति के विभाजन, मंगल सूत्र और विरासत टैक्स का मुद्दा भी वे अपनी रैलियों में उठा रहे हैं। योगी जी बेटियों की सुरक्षा व कानून व्यवस्था पर कोई समझौता नहीं करने वाले हैं और वह बार-बार कहते हैं कि अगर कोई बहिन- बेटियो की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करेगा तो उसका राम नाम सत्य ही होगा। योगी जी कह रहे हैं कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम का काम हो गया अब मथुरा की गलियां भी श्रीकृष्ण की बांसुरी सुनने के लिए बैचेन हो रही हैं। अब वह काम भी जल्द ही पूरा हो जाएगा। योगी जी का कहना है कि कांग्रेस पहले तो केवल दिशाहीन थी किंतु अब तो नेतृत्वविहीन भी हो चुकी है। योगी जी कहते हैं कि कांग्रेस को वोट देने से कोई बड़ा पाप नहीं हो सकता।

दूसरे राज्यों में जाने पर योगी जी का भव्य स्वागत किया जाता है। इसमें कोई दो राय नही कि उत्तर प्रदेश में अयोध्या में दिव्य, भव्य एवं नव्य राम मंदिर बन जाने के बाद उनकी लोकपियता में भारी वृद्धि हुई है तथा उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन का व्यापक विस्तार व विकास हो रहा है। अभी लखनऊ में आयोजित आईपीएल टूर्नामेट के मुकाबले के लिए पधारे क्रिकेट खिलाड़ी पीटरसन से लखनऊ एयरपोर्ट की तारीफ करते हुए योगी जी की प्रशंसा की और उसे सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश में अविश्वसनीय विकास व अच्छा काम हो रहा है।

योगी जी के नेतृत्व में कानून का राज है, अपराधियों का मनोबल गिरा हुआ है और विकास के लिए निवेश का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। भगवा वस्त्र, वाणी में ओज, ह्रदय में सनातन, आचरण में संत योगी जी इस चुनाव में हिंदुत्व का प्रमुख स्वर हैं।




आर्थिक क्षेत्र में नित नए विश्व रिकार्ड बनाता भारत

दिनांक 1 मई 2024 को अप्रेल 2024 माह में वस्तु एवं सेवा कर के संग्रहण से सम्बंधित जानकारी जारी की गई है। हम सभी के लिए यह हर्ष का विषय है कि माह अप्रेल 2024 के दौरान वस्तु एवं सेवा कर का संग्रहण पिछले सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 2.10 लाख करोड़ रुपए के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो निश्चित ही, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शा रहा है। वित्तीय वर्ष 2022 में वस्तु एवं सेवा कर का औसत कुल मासिक संग्रहण 1.20 लाख करोड़ रुपए रहा था, जो वित्तीय वर्ष 2023 में बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपए हो गया एवं वित्तीय वर्ष 2024 में 1.70 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गया। अब तो अप्रेल 2024 में 2.10 लाख करोड़ रुपए के स्तर से भी आगे निकल गया है।

इससे यह आभास हो रहा है कि देश के नागरिकों में आर्थिक नियमों के अनुपालन के प्रति रुचि बढ़ी है, देश में अर्थव्यवस्था का तेजी से औपचारीकरण हो रहा है एवं भारत में आर्थिक विकास की दर तेज गति से आगे बढ़ रही है। कुल मिलाकर अब यह कहा जा सकता है कि भारत आगे आने वाले 2/3 वर्षों में 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। भारत में वर्ष 2014 के पूर्व एक ऐसा समय था जब केंद्रीय नेतृत्व में नीतिगत फैसले लेने में भारी हिचकिचाहट रहती थी और भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की हिचकोले खाने वाली 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल थी। परंतु, केवल 10 वर्ष पश्चात केंद्र में मजबूत नेतृत्व एवं मजबूत लोकतंत्र के चलते आज वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है।

आज भारत आर्थिक क्षेत्र में वैश्विक मंच पर नित नए रिकार्ड बना रहा है। वैश्विक स्तर पर विदेशी प्रेषण के मामले में आज भारत प्रेषण प्राप्तकर्ता के रूप में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है। भारत में आज सबसे बड़ा सिंक्रोनाईजड बिजली ग्रिड है। बैकिंग क्षेत्र में वास्तविक समय लेनदेन की सबसे बड़ी संख्या आज भारत में ही सम्पन्न हो रही है। भारत आज विश्व में दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है एवं भारत आज पूरे विश्व में मोबाइल फोन का निर्माण करने वाला दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है। भारत में आज विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेट्वर्क है। मात्रा की दृष्टि से भारत में आज विश्व का तीसरा सबसे बड़ा फार्मासीयूटिकल उद्योग है। भारत में आज पूरे विश्व में तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेट्वर्क है। भारत ने स्टार्टअप को विकसित करने के उद्देश्य से विश्व का तीसरा सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र खड़ा कर लिया है। भारत का स्टॉक बाजार, पूंजीकरण के मामले में, विश्व में चौथे स्थान पर आ गया है। भारत में आज विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेट्वर्क है। विश्व में पैटेंट हेतु आवेदन किए जाने वाले देशों में भारत आज छठे स्थान पर आ गया है। आर्थिक क्षेत्र में भारत को यह सभी उपलब्धियां पिछले 10 वर्षों के दौरान प्राप्त हुई हैं।

पिछले केवल 10 वर्षों के दौरान शेयर बाजार में निवेशकों को अपार सफलता हासिल हुई है और सेन्सेक्स ने 200 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर्ज की है, इसी प्रकार निफ्टी भी इसी अवधि में 206 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर्ज करने में सफल रहा है। यह स्थानीय एवं विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपना विश्वास जता रहा है। भारत में शेयर बाजार में व्यवहार करने के उद्देश्य से खोले जाने वाले डीमेट खातों की संख्या वर्ष 2014 में 2.2 करोड़ थी जो वर्ष 2024 में बढ़कर 15.13 करोड़ हो गई है अर्थात इन 10 वर्षों में 7 गुणा से अधिक की वृद्धि दर अर्जित की गई है। देश का प्रत्येक उद्यमी/उपक्रमी/व्यवसायी बहुत उत्साह में है कि देश में व्यापार करने हेतु वातावरण में बहुत सुधार हुआ है एवं ईज आफ डूइंग बिजनेस में काफी सुधार हुआ है। आज भारत ही नहीं बल्कि भारतीय कम्पनियों द्वारा विदेश में भी पूंजी उगाहना बहुत आसान हो गया है। अतः एक प्रकार से उद्यमियों के लिए पूंजी की समस्या तो नहीं के बराबर रह गई है।

भारतीय नागरिकों में आज स्व का भाव जगाने में भी कामयाबी मिली है, जिसके चलते स्वदेश में निर्मित वस्तुओं का उपयोग बढ़ रहा है एवं अन्य देशों से विभिन्न उत्पादों के आयात कम हो रहे हैं। इसके चलते भारत के विदेशी व्यापार घाटे में सुधार दृष्टिगोचर है। आज भारत से विभिन्न उत्पादों के निर्यात में मामूली वृद्धि दर्ज हो रही है तो कई उत्पादों के आयात में कमी दिखाई देने लगी है। इसे भारतीय नागरिकों के आत्म निर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखा जा सकता है। फरवरी 2024 माह में भारत का व्यापारिक निर्यात 11.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 4140 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया, जो पिछले 20 महीनों में उच्चतम स्तर पर है। इसके अतिरिक्त, सेवा निर्यात 3210 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रिकार्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। फरवरी 2024 माह में माल एवं सेवाओं को मिलाकर कुल निर्यात 7355 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा है, जो फरवर 2023 की तुलना में 14.2 प्रतिशत अधिक है। इसी कारण से, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी आज 64,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है।

आज भारतीय नागरिकों ने सनातन संस्कृति का अनुपालन करते हुए भारत को विकसित एवं मजबूत बनाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा लिए हैं। आज भारत में प्रत्येक नागरिक का औसत जीवन वर्ष 2022 के 62.7 वर्ष से बढ़कर 67.7 वर्ष हो गया है। यह भारत में लगातार हो रही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के चलते ही सम्भव हो सका है। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रतिवेदन के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय में पिछले 12 महीनों के दौरान 6.3 प्रतिशत की वृद्ध दर्ज हुई है। इसी प्रकार, एक सर्वे के अनुसार, आज भारत में 36 प्रतिशत कम्पनियां आगामी 3 माह में नई भर्तियां करने पर गम्भीरता से विचार कर रही हैं, इससे भारत में रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित होते दिखाई दे रहे हैं।

गरीब वर्ग को भी केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुंचाये जाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। जल जीवन मिशन ने पूरे भारत में 75 प्रतिशत से अधिक घरों में नल के पानी का कनेक्शन प्रदान करके एक बढ़ा मील का पत्थर हासिल कर लिया है। लगभग 4 वर्षों के भीतर मिशन ने 2019 में ग्रामीण नल कनेक्शन कवरेज को 3.23 करोड़ घरों से बढ़ाकर 14.50 करोड़ से अधिक घरों तक पहुंचा दिया गया है। इसी प्रकार, पीएम आवास योजना के अंतर्गत, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में 4 करोड़ से अधिक पक्के मकान बनाए गए हैं एवं सौभाग्य योजना के अंतर्गत देश भर में 2.8 करोड़ घरों का विद्युतीकरण कर लिया गया है।

विश्व भर के सबसे बड़े सरकारी वित्तपोषित स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना – के अंतर्गत 55 करोड़ लाभार्थियों को माध्यमिक एवं तृतीयक देखभाल एवं अस्पताल में भर्ती के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपए का बीमा कवर प्रदान किया जा रहा है। साथ ही, पीएम गरीब कल्याण योजना के माध्यम से मुफ्त अनाज के मासिक वितरण से 80 करोड़ से अधिक परिवारों को लाभ प्राप्त हो रहा है। पीएम उज्जवल योजना के अंतर्गत 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान किये गए हैं। इन महिलाओं के जीवन में इससे क्रांतिकारी परिवर्तन आया है क्योंकि ये महिलाएं इसके पूर्व लकड़ी जलाकर अपने घरों में भोजन सामग्री का निर्माण कर पाती थीं और अपनी आंखों को खराब होते हुए देखती थीं। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत भी 12 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण कर महिलाओं की सुरक्षा एवं गरिमा को कायम रखा जा सका है। जन धन खाता योजना के अंतर्गत 52 करोड़ से अधिक खाते खोलकर नागरिकों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाया गया है। इससे गरीब वर्ग के नागरिकों के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला है। पूरे भारत में 11,000 से अधिक जनऔषधि केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो 50-90 प्रतिशत रियायती दरों पर आवश्यक दवाएं प्रदान कर रहे हैं।

अंत में यह कहा जा सकता है कि भारत आर्थिक क्षेत्र में आज पूरे विश्व में एक चमकते सितारे के रूप में दिखाई दे रहा है एवं अपनी विकास दर को 10 प्रतिशत के ऊपर ले जाने के भरसक प्रयास कर रहा है। इससे निश्चित ही भारत शीघ्र ही पहिले विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा एवं इसके बाद वर्ष 2027 तक भारत एक विकसित राष्ट्र भी बन जाएगा।




वोट जरूर डालें, घर-घर दस्तक देकर मतदाताओं को जागरूक करेगा डाक विभाग

वाराणसी। डाकिया डाक लाया, डाकिया बैंक लाया और अब डाकिया देश में लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए लोगों को मतदान के लिए भी प्रेरित करेगा। भारतीय चुनाव आयोग के ‘स्वीप कार्यक्रम’ के अंतर्गत चल रहे मतदाता जागरूकता अभियान के अन्तर्गत लोकसभा चुनाव में मतदान के लिए मतदाताओं को जागरूक करने का बीड़ा अब डाक विभाग ने भी उठाया है। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कैंट प्रधान डाकघर में इसका शुभारंभ किया। वाराणसी परिक्षेत्र के अधीन कुल 1729 डाकघरों के माध्यम से यह वृहद् अभियान चलेगा।

इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने लोगों से लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की। एक तरफ डाकघरों के माध्यम से बँटने वाली डाक पर ‘चुनाव का पर्व, देश का गर्व’ और वाराणसी लोक सभा निर्वाचन मतदान दिनांक 1 जून, 2024 की मुहर लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं डाकिया भी डाक वितरण के दौरान लोगों से अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने की अपील करेंगे। इसके साथ ही डाकघरों में स्पीड पोस्ट व रजिस्ट्री बुकिंग, आईपीपीबी और बचत खाता खुलवाने, आधार नामांकन व अपडेशन इत्यादि तमाम कार्यों के लिए आने वाले लोगों को भी डाककर्मी अपना वोट देने के लिए प्रेरित करेंगे। श्री यादव ने कहा कि लाखों लोगों के घरों तक पहुंचने वाली चिट्ठियों के माध्यम से मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रेरित करना है। खास कर बुजुर्ग, युवा, महिला और फर्स्ट वोटर्स के साथ-साथ दिव्यांग मतदाताओं तक हर हालत में जागरूकता संदेश पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने मौजूद समस्त डाककर्मियों को मतदाता शपथ दिलाई।

वाराणसी पश्चिम मंडल के अधीक्षक डाकघर श्री विनय कुमार ने कहा कि पोस्ट ऑफिस में दैनिक रूप से बड़ी संख्या में आम जनता अपने कार्यों के लिए पहुंचती है। इस लिहाज से पोस्ट ऑफिस मतदाता जागरूकता के लिए भी उचित स्थान है। उन्होंने डाक विभाग के समस्त कर्मियों को डोर-टू-डोर मतदाता जागरूकता अभियान में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध किया।

इस अवसर पर अधीक्षक डाकघर श्री विनय कुमार, सहायक निदेशक बृजेश शर्मा, सहायक अधीक्षक आरके चौहान, इंद्रजीत, निरीक्षक दिलीप कुमार, अनिकेत रंजन, लेखाधिकारी संतोषी राय, कैण्ट पोस्टमास्टर गोपाल दुबे, अजिता, राहुल वर्मा, श्रीप्रकाश गुप्ता, मनीष कुमार, आनंद प्रधान सहित तमाम डाककर्मी शामिल हुए।




अक्षय तृतीया से पूर्व बाल विवाह के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट का अहम फैसला

जयपुर। प्रदेश में बाल विवाह की मौजूदा स्थिति को ‘चिंताजनक’ बताते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने तत्काल सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश जारी कर राज्य सरकार से कहा है कि वह अक्षय तृतीया के मद्देनजर यह सुनिश्चित करे कि कहीं भी बाल विवाह नहीं होने पाए। साथ ही, आदेश में कहा गया है कि बाल विवाह को रोकने में विफलता पर पंचों-सरपंचों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। हाई कोर्ट का यह फौरी आदेश ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस’ की जनहित याचिका पर आया है। इन संगठनों ने अपनी याचिका में इस वर्ष 10 मई को अक्षय तृतीया के मौके पर बड़े पैमाने पर होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की थी।
न्यायमूर्ति शुभा मेहता और पंकज भंडारी की खंडपीठ ने याचियों द्वारा बंद लिफाफे में सौंपी गई अक्षय तृतीया के मौके पर होने वाले 54 बाल विवाहों की सूची पर गौर करने के बाद राज्य सरकार को इन विवाहों पर रोक लगाने के लिए ‘बेहद कड़ी नजर’ रखने को कहा है। यद्यपि इस सूची में शामिल नामों में कुछ विवाह पहले ही संपन्न हो चुके हैं लेकिन 46 विवाह अभी होने बाकी हैं।
खंडपीठ ने कहा, “सभी बाल विवाह निषेध अफसरों से इस बात की रिपोर्ट मंगाई जानी चाहिए कि उनके अधिकार क्षेत्र में कितने बाल विवाह हुए और इनकी रोकथाम के लिए क्या प्रयास किए गए।” आदेश में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि सूची में शामिल जिन 46 बच्चों के विवाह होने हैं, वे नहीं होने पाएं।”
खंडपीठ ने यद्यपि इस बात का संज्ञान लिया कि राज्य सरकार के प्रयासों से बाल विवाहों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है, फिर भी काफी कुछ किया जाना बाकी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (2019-21) के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में 20-24 आयु वर्ग की 25.4 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 साल की होने से पहले ही हो गया था जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 23.3 प्रतिशत है।
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “बाल विवाह वह घृणित अपराध है जो सर्वत्र व्याप्त है और जिसकी हमारे समाज में स्वीकार्यता है। बाल विवाह के मामलों की जानकारी देने के लिए पंचों व सरपंचों की जवाबदेही तय करने का राजस्थान हाई कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है। पंच व सरपंच जब बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक होंगे तो इस अपराध के खिलाफ अभियान में उनकी भागीदारी और कार्रवाइयां बच्चों की सुरक्षा के लिए लोगों के नजरिए और बर्ताव में बदलाव का वाहक बनेंगी। बाल विवाह के खात्मे के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम पूरी दुनिया के लिए एक सबक हैं और राजस्थान हाई कोर्ट का यह फैसला इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।”
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस पांच गैरसरकारी संगठनों का एक गठबंधन है जिसके साथ 120 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठन सहयोगी के तौर पर जुड़े हुए हैं जो पूरे देश में बाल विवाह, बाल यौन शोषण और बाल दुर्व्यापार जैसे बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर काम कर रहे हैं।
हाई कोर्ट का यह आदेश ऐसे समय आया है जब अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह के मामलों में खासी बढ़ोतरी देखने को मिलती है और जिसे रोकने के लिए सरकार के साथ जमीनी स्तर पर काम कर रहे तमाम गैरसरकारी संगठन हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।



लखनऊ पहुँचे फ़िल्म ‘रज़ाकार’ के कलाकार

लखनऊ। भारत की स्वतंत्रता के समय हैदराबाद में निजाम के आदेश पर हुए नरसंहार पर आधारित फ़िल्म ‘‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’’ पूरे भारत मे 26 अप्रैल को रिलीज  होने के बाद दर्शकों को बहुत पसंद आ रही हैं । फ़िल्म के मुख्य कलाकार राज अर्जुन, अभिनेत्री अनुसूया त्रिपाठी के साथ ही फ़िल्म के निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी लखनऊ में स्पेशल स्क्रीनिंग के लिए आए और मीडिया से बातचीत की। रज़ाकार फ़िल्म को समीक्षकों और दर्शक ख़ासा पसंद कर रहे हैं।
फ़िल्म रज़ाकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे अभिनेता आज अर्जुन  ने कहा कि रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ एक ऐसा सिनेमा है जिसे हर भारतीय को देखना चाहिए। एक ऐसा नरसहार जो आज़ादी के बाद स्थानीय लोगो को भुगतना पड़ा । यह फ़िल्म देश के ‘लौहपुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। गुजरात मे जन्मे सरदार पटेल देश के पहले उप प्रधानमंत्री और भारत के पहले गृह मंत्री भी थे। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भी कई बड़े आंदोलन चलाए और स्वतंत्रता के बाद उन्हीं की कोशिशों से कई रियासतों को एक कर भारत में शामिल किया गया था। हैदराबाद को भारत मे विलय कराने में उनका योगदान अमूल्य था जो कोई भारतवासी कभी नहीं भुला सकता।”
निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी ने कहा कि “‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’’ एक ऐसी ऐतिहासिक घटना के बारे में बताएगी जिससे देश को पिछले ७५ वर्षों से दूर रखा गया था। फ़िल्म रज़ाकार को दक्षिण भाषा के साथ अब हिंदी में भी बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया  है ताकि इतिहास के इस चैप्टर के बारे में भी देश का हर एक व्यक्ति जान सके।
लखनऊ  में फ़िल्म के खास शो के माध्यम से हम लोगों को बताना चाहते है  कि रजाकारों द्वारा किये गये खून खराबे के आगे हिटलर के अत्याचार भी कम थे।उस बारे में हर हिंदुस्तानी को जानना कितना आवश्यक है।”
ट्रेलर में औरतों, बच्चों और बुजुर्गों पर अत्याचार के साथ हैदराबाद के निज़ाम का आदेश जारी किया जाता हैं कि ‘ओमकार सुनाई नहीं देना चाहिए और भगवा दिखाई नहीं देना चाहिए’ दूसरी तरफ सरदार पटेल का संदेश निज़ाम तक आता है कि हैदराबाद को हिंदुस्तान में विलय नहीं किया तो हालात बिगड़ जाएँगे। अत्याचार और नरसंहार के बीच आजादी के वीर संकल्प लेते है कि युद्ध करना ही पड़ेगा। भारतीय सेना और आजादी के वीर एक साथ मिलकर निजाम के  रज़ाकार के साथ खूनी लड़ाई शुरू कर देते हैं। सरदार पटेल का संवाद “ना संधि ना समर्पण अब बस युद्ध होगा” जोश भर देता है।समरवीर क्रिएशन एलएलपी के बैनर तले निर्मित फ़िल्म ‘रज़ाकार द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ़ हैदराबाद’ के निर्माता गुदुर नारायण रेड्डी हैं। फ़िल्म देश भर के सिनेमा हॉल में दर्शकों को पसंद आ रही हैं.




डॉ. वैदेही गौतम के सृजन से गूंजते आशावादी स्वर

थका हारा सोचता मन

उलझती जा रही है उलझन
ओ! निराशा, तू बता क्या चाहती है?
मैं कठिन तूफान कितने झेल आया
मैं न हारा हूँ न हारूंगा कभी
अभी तो मेरे बहुत से बसंत है बाकी……..
थका हारा मन, उलझन, निराशा,हिम्मत और आशा के तानेबाने को कितने  ह्रदय स्पर्शी और  भावपूर्ण रूप से मुक्तक कविता में बुना है यह कवियित्री के शब्दोंं का ही जादू और सम्मोहन है, जिसकी दशा और चिंतन दिल को गहराई तक छू जाती है।
 ऐसी ही भावपूर्ण रचनाएं “न जा तू परदेश”रचना में नायिका अपने प्रीतम को अपने पास रखने के लिए कई तरह के जतन करती नजर आती है, “अंधों की सरकार”में आज के राजनैतिक माहौल पर कटाक्ष किया गया है,”प्रदूषण फैलाता इंसान”में आज के स्वार्थ वादी इंसान को दिखाया गया है, “स्त्री होना पाप है क्या ?” कविता में स्त्री का हर किसी से यही सवाल है कि स्त्री होना पाप होता है क्या ? ऐसे ही कई विषयों को लेखनी का माध्यम बना कर समाज में व्याप्त बुराईयों को उजागर करके आदर्श समाज की परिकल्पना कर आशावादी दृष्टिकोण का संदेश देना डॉ. वैदेही गौतम के सृजन का मूल उद्देश्य है। साथ ही इनकी रचनाएं व्यक्ति के व्यक्तित्व का चित्रण करके उसकी अच्छाइयों को उजागर करती है ताकि सकारात्मक सोच के माध्यम से समाज उन्नति व प्रगति कर सके। इनका लेखन  समाज की यथार्थता व समसामयिक परिस्थिति को उजागर करता प्रतीत होता है।
 यह गद्य और पद्य दोनों  विधाओं में लिखती है। कविताएं लिखना इनकी रुचि का विषय है। कविताओं, गीत और मुक्तकों में मनोवैज्ञानिक शैली का उपयोग कर मौलिक व स्वतंत्र लेखन से समाज में उन्नति, प्रगति, सकारात्मकता व प्रेम का संदेश देती है। इनकी रचनाएं मनुष्य को विषम परिस्थितियों में आशावादी दृष्टिकोण रखते हुए सतत गतिमान रहने के लिए प्रेरित करती हैं। गद्य विधा में ये अपने उद्देश के अनुरूप विचारात्मक व भावात्मक शैली में लेखन करती हैं। हिंदी भाषा को ही इन्होंने अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया है। इनका  काव्य सृजन श्रृंगार रस और वीर रस से ओतप्रोत है। इनका साहित्य भक्ति कालीन कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के  “रामचरितमानस ” को आदर्श मानकर लिखा गया है। इनकी रचनाएं मनोवैज्ञानिक कवि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय” व धर्मवीर भारती से प्रभावित काव्य रचनाएँ हैं। मन की शांति का अनुभव करना लेखन का मर्म है।
आज समाज में स्वार्थ इतना हावी हो गया है कि प्रेम भी दिखावटी बन गया है । अपनी काव्य रचना “अपना” में स्वार्थी व दिखावटी प्रेम करनें वाले व्यक्तिव पर कटाक्ष करते हुए लिखती  हैं…………….
यूँ ही मिल जाते हैं अपनें, जोड़ा तो जुड़ जाते
हैं,
छोड़ा तो साया बन जाते हैं ।
अपना- अपना कहने को, कोई अपना न नजर आता है,
 जो अपना है, समय आने पर वह सपना बन जाता है,
अपनों के साथ समय का पता चले न चले, समय के साथ अपनों का पता चल ही जाता है……..
स्वार्थी और दिखावटी प्रेम करने वालों की दुनिया में  ” ओ मेरे कान्हा ” काव्य में कवयित्री ने निश्छल प्रेम के प्रतीक कृष्ण को सर्वस्व अर्पण करते हुए लिखा है …..
ओ मेरे कान्हा, तुम्ही को अपना माना,
तुम्ही हो मेरे मन में, तुमने मन को जाना,
तुम्हे किया सर्वस्व अर्पण, तुमसे क्या छिपाना,
जैसे मुझे तुम प्यारे हो, वैसे ही तुम्हे मै प्यारी हूँ,
प्रेम का कोई मोल नहीं, अनमोल प्रेम को करना और कराना, प्रेम से ही होता है,
ओ मेरे कान्हा, तुम्ही को अपना माना…….
तेरी भक्ति से शक्ति मिली, शक्ति से तुष्टी मिली, तुष्टी से पुष्टि मिली, पुष्टि से संतुष्टि मिली, ओ मेरे कान्हा…..
“ओ मेरे प्रियतम, तुम हो मेरे ह्रदय की धड़कन, तुमको ढूंढा करते हरपल मेरे दो नयन” कविता में अपनें प्रियतम पर सर्वस्व न्यौछावर करने वाली नायिका का समर्पण भाव प्रदर्शित हुआ है। “प्रकृति पौरुष में तल्लीन” काव्य में प्रकृति व पौरुष के बीच मनमुटाव व अहम् का भाव आने पर निश्छल प्रेम गौण हो जाता है, ऐसी परिस्थितियों में प्रकृति रूपी नारी को दृढ़ निश्चयी व समरसता जन्म आनंदवाद की दात्री माना है, जो संधि पत्र लिखने की पहल करती है।
“संधि पत्र” काव्य में ” अन्तरात्मा का आर्तनाद, भरता मन में अति विषाद, करुणा से सजल अश्रु पात, करते प्रकृति में जल प्रपात, सरल सहज मन आत्मलीन का भावपूर्ण सृजन है। देखिए इस काव्य सृजन की बानगी…….
अन्तरात्मा का आर्तनाद, भरता मन में अति विषाद
करूणा से सजल अश्रुपात, करते प्रकृति में जलप्रपात
सरल सहज मन आत्मलीन प्रकृति पौरुष में तल्लीन
समष्टि- व्यष्टि में आत्मसात,जड़ चेतन का है एकनाद
समरसता जन्य आनंद वाद,कामायनी का यही सार
जन मन में भरता अति उल्लास,सहसा आया झंझावात
किसने किया वज्रपात,मनु श्रद्धा बीच इडा आयी
पुरुष प्रकृति में वह समाई,अहंकार नें विजय पायी
फिर भी नारी न डगमगाई,नारी तुम केवल श्रद्धा हो
समग्र सृष्टि के नभतल में,पीयूष स्रोत सी बहा करो
जीवन के सुन्दर समतल में,अश्रु से भीगे अंचल पर
सर्वस्व समर्पण करना होगा,तुमको अपनी स्मित रेखा से
यह संधि पत्र लिखना होगा…. यह संधि पत्र  लिखना होगा….
“आत्माभिव्यक्ति: उडा़न” एक ऐसा काव्य सृजन है जिसमें रचनाकार ने स्वयं अपने मनोभावों को अभिव्यक्ति प्रदान की है। देखिए वे अपने बारे में क्या सोचती है, कहां उड़ान भरना चाहती हैं…………….
मैं इक नन्ही सी आशा,उड़ना चाहती इह लोक में
उड़ ना पाती इह लोक में,मीठी मीठी मेरी बोली
मिश्री सी उसमें है घोली,कुछ कहतें है प्यारी बोली
कुछ कहतें है है दोगली,मेरी आशा आह!बावली
सबको है अपना सा समझी,मेरा मन कम जन से बोले
निरख परख कर मन को खोले,कम बोलूं तो बोले घुन्नी
ना बोलूं तो मुंहचडी़ है मिन्नी, सुख दुःख में समरस हूँ रहती
अनुज अग्रज का आदर हूँ करती, इहलोक की परवाह न करती
अपने लक्ष्य पर बढती जाती, कर्म क्षेत्र से कभी न डरती
जब भी मे विचलित हो जाऊँ ,नीलकंठ की शरण में जाऊँ
मन हल्का कर वापस आऊं,नयी ऊर्जा को तन में पाऊँ
स्वनिंदक से कहतीं जाऊँ, मातपिता और सास ससुर की
आशाओं पर खरी उतरूंगी,उच्च शिक्षा में पदवी पाकर
उनके चरणों में सोपूंगी ,चाहे कितने कंटक आयें
कभी न हारूँ, कभी न भागूं ,मैं इक नन्ही सी आशा
उड़ती जाऊँ….. ,उड़ती जाऊँ….
 कोरोना जैसी महामारी के समय  “कोरोना वायरस” को धन्यवाद! देते हुए आशावादी व सकारात्मक भाव से जीवन में निरंतर आगे बढते रहने का संदेश दिया है। जब की सम्पूर्ण विश्व में कोरोना महामारी से  त्राहि माम् त्राहि माम् की पुकार हो रही थी वही कवियत्री ने विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास व सकारात्मक दृष्टिकोण से हिम्मत रखते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। देखिए इसकी बानगी….
धन्यवाद ! कोरोना …..
आश्चर्य मत कर! जहाँ अखिल मही तेरी विदाई की वैक्सीन ढूंढ रही है, वहीं यह कवियत्री तुझे धन्यवाद दे रही है, तेरे आने से ही जाना, घर की चार दीवारी का सुख, बच्चों की हंसी, बड़ो का प्यार, पति का दुलार, स्वयं का साज श्रृंगार, नौकरी की भागा दौडी़  में गयी थी भूल घर का कोना- कोना, धन्यवाद ! कोरोना ।
विद्या और संगीत की देवी माँ सरस्वती की असीम कृपा से इनकी वाणी को ओज और माधुर्य मिला । वाणी मधुर होने से जो भी मिलते हैं वे कविता , गीत  सुनने के इच्छुक होते हैं। मन के गत्यात्मक पक्ष इदम् , अहम् , पराहम्  के आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व का आप बखूबी विश्लेषण करने में दक्ष हैं। अपने समीपस्थ का चित्रण किया जिसमें तारुणी , आत्माभिव्यक्ति : उड़ान, मेरे बाबा, तुषार, शशांक, अक्षिता, सासु माँ, पुरषोत्तम आदि काव्य रचनाएँ प्रमुख हैं। इन्होंने अन्तर्मन में उत्पन्न उथल-‌ पुथल, कुंठा द्वंद्व आदि
मनोविकार को लेखनी के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान की।
परिचय
सशक्त अभिव्यक्ति से अपनी रचनाओं में आशावादी भावनाएं जगाने के वाली रचनाकार डॉ.वैदेही गौतम धर्मवीर भारती के साहित्य में मनोवैज्ञानिकता विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इनकेअनेक शोध पत्रिकाओं में आपके आलेख प्रकाशित हुए हैं। साहित्य मंडल, श्रीनाथ द्वारा “साहित्य सौरभ सम्मान” सहित अनेक संस्थाओं द्वारा आपको पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है। आप कई साहित्यिक मंचों से जुड़ी हैं और काव्यपाठ करती हैं। वर्तमान में ये राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय केशवपुरा सेक्टर 6 में प्रधानाचार्य पद पर सेवारत हैं और निरंतर साहित्य सृजन में सक्रिय हैं।
चलते – चलते………..
कौन कहता है पेंशन हो आयी है
अभी तो शायरी लिखने की उम्र आयी है
मैं तो वह दरिया हूँ, जो समुन्दर में उतर जाऊंगा
देखना यारों!
एक दिन मशहूर शायर कह लाऊंगा…
संपर्क :
96- बी वल्लभ नगर, कोटा (राजस्थान)
मोबाइल : 94142 60924



मोदी के सपनों का भारत

नेतृत्व की प्रभावशीलता का देन है कि वर्तमान में 13.5 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी के मकड़जाल से बाहर हो चुके हैं। संकल्प शक्ति से धनी नेतृत्व ही अपने लक्ष्य को पूर्ति करता है । सक्षम नेतृत्व के अनथक प्रयासों से 21वीं सदी में बैंकिंग ,शौचालय, एलपीजी सिलेंडर, नल से जल, बिजली कनेक्शन और बुनियादी सुविधाएं, जो मानवीय जीवन के लिए अति आवश्यक हैं जिनके कारण मानव अपना सर्वोत्तम विकास कर सकता है। इन बुनियादी सुविधाओं के कारण व्यक्ति के जीवन में खुशहाली ,सुख की साधना और लोक कल्याणकारी धारणा को व्यक्त करती है । सक्षम नेतृत्व के द्वारा शुभारंभ की गई कल्याणकारी योजनाओं से मूलभूत बुनियादी सुविधाओं का बहुसंख्यक भारतीयों तक बृहद स्तर तक पहुंचना सुनिश्चित हुआ है।

वर्तमान सरकार में सरकारी वितरण प्रणाली( पीडीएस) में काफी सराहनीय सुधार हुआ है और स्थिति पहले से बहुत अच्छी हुई है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रासंगिकता पर स्वर्गीय राजीव गांधी ने कहा था कि गरीबों/ निर्धनों और अभावग्रस्त व्यक्तियों के गुणात्मक समृद्धि के लिए जो एक रुपया भेजा जाता था तो उसमें से मात्र 15 पैसे उन तक पहुंचते थे ।शेष धनराशि बिचौलिए (दलाल )उड़ा ले जाते थे ।इस स्थिति में अब काफी बदलाव आया है ।

इस विषय पर मोदी जी का कहना है कि” सैचुरेशन यानी शत – प्रतिशत मेरा सपना है हमें १००% कवरेज की लक्ष्य की ओर जाना है। सरकारी निकाय तंत्र को इसकी आदत डाल लेनी चाहिए। वर्तमान सरकार ने प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करके लाभार्थियों तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में चमत्कार कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है । वर्तमान में लाभार्थियों को आवंटित धनराशि का 99% से अधिक हिस्सा मिल रहा है। सरकार आज गरीबों और वंचितों को जो भी वित्तीय सहायता निर्धारित कर रही है वह सीधे उनके खाते में पहुंच रहा है। वर्तमान में हाशिए पर पड़ी 90% से अधिक आबादी इसका लाभ उठा रही है ।

अद्यतन आंकड़ों के अनुसार 70% प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति ,अन्य पिछड़े वर्गों और विकलांग वर्गों की सहभागिता रही है। 63% प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि में आर्थिक सहयोग प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों की सहभागिता रही है। 63% प्रधानमंत्रीआवास योजना( ग्रामीण )के तहत घर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के लोग प्राप्त किए हैं। 65% छात्रवृत्ति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों के छात्र प्राप्त किए हैं ।55% लोग मुद्रा योजना के 37% करोड़ लाभार्थी अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछले वर्गों के आवेदित व्यक्ति हैं ।

समावेशी शासन के अंतर्गत शासकीय निकायों में प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है। केंद्रीय मंत्री परिषद में अब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के नेताओं का प्रतिनिधित्व है। उच्च शिक्षा में समावेशी विकास की संकल्पना को शामिल करने के लिए 10% आर्थिक कमजोर वर्गों को दाखिला दिया गया है। मेडिकल शिक्षा में अखिल भारतीय कोटा के अंतर्गत अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कोटा से आरक्षण दिया गया है ।अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया है। समाधि समावेशी विकास के अंतर्गत ट्रांसजेंडर वर्गों के अधिकारों का संरक्षण प्रदान किया गया है।

मोदी जी ने यह शासकीय व्यवस्था को लोक कल्याणकारी कार्य जाति ,धर्म, लिंग, क्षेत्र ,आर्थिक स्थिति और राजनीतिक पसंद के आधार पर नहीं बल्कि विकास और आवश्यकता के आधार पर योजनाओं का लाभ दिया गया है। मोदी सरकार योजनाओं के सैचुरेशन अर्थात शत-प्रतिशत लक्ष्य की तरफ उन्नयन का संकेंद्रण कर रही है ।इससे सभी लोगों को बुनियादी मौलिक सुविधाओं तक सबका पहुंच हो सके। मूलभूत सुविधाओं का शत – प्रतिशत कवरेज मोदी सरकार के आर्थिक प्रयासों का परिणाम है। मोदी सरकार ने सार्वजनिक सेवाओं का लाभ लोगों तक पहुंचने में होने वाले लीकेज को रोकने में अभूतपूर्व सफलता हासिल किया है।

सरकार के कल्याणकारी उपाय और गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रमों की सराहना वैश्विक स्तर के संस्थानों ने किया है। पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत 81.75 करोड़ लोगों को मुक्त अनाज प्राप्त होता है। स्वच्छ भारत के अंतर्गत 95.8 प्रतिशत अर्थात 11.58 करोड़ लोगों के घरों में शौचालय का निर्माण हुआ है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 3 करोड़ से ज्यादा शहरी और ग्रामीण लोगों को आवास स्वीकृत किया गया है । इसी प्रकार मुद्रा योजना के तहत करीब 35 करोड़ छोटे उद्यमी को व्यापार के उन्नयन के लिए लोन मिला है।

सरकार के संकल्पित इच्छा से वर्तमान तक 48.46 करोड़ जनधन खाता खोले गए हैं। 29.96 करोड़ लोग प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में शामिल है ।13.91 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का लाभ प्राप्त हुआ है ।20.91 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य सुरक्षा का लाभ मिला है। 3.2 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास मिला है। 32.8 करोड़ लाख सीधे लाभार्थियों को खाते में मिला है। सौभाग्य योजना के अंतर्गत 3.6 करोड़ घर विद्युत से प्रकाशित हुए है,और 10.5 करोड़ लोगों उज्जवला योजना के अंतर्गत एलपीजी कनेक्शन प्राप्त हुआ है।

इस तरह सरकार के समावेशी शासन की प्रासंगिकता लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में बढ़ी है। सरकार के समावेशी शासन के कारण सभी वर्गों में गुणात्मक उन्नयन हुआ है। गरीबी में संतोषजनक सुधार हुआ है। समाज के सभी वर्गों में खुशहाली का ग्राफ बढ़ा है।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं।)




आईएएस की नौकरी छोड़कर साधु बन गए सुनील पटनायक

यह एक ऐसे आईएएस अधिकारी की कहानी है जो साधु बन गया. सुनील पटनायक ने एक आईएएस अधिकारी के रूप में 23 साल बिताने के बाद आखिरकार उस सरकारी नौकरी को अलविदा कह दिया जिसको पाने के लोग सपने देखा करते हैं. सुनील पटनायक जब संन्यास ले रहे थे तब उनकी प्रतिष्ठित नौकरी के 14 साल बाकी थे. हालांकि उनका यह निर्णय अचानक जागृति या ईश्वर का आह्वान नहीं था. वह कई वर्षों से इसके बारे में सोच रहे थे और जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे, स्वामी शिवानंद की शिक्षाएं उनके दिमाग पर गहरा प्रभाव डाल रही थीं. यह 1990 की बात है जब सुनील पटनायक ऋषिकेश पहुंचे और उन्होंने एक साधारण साधक के रूप में आश्रम में कदम रखा. उन्हें संन्यास की दीक्षा दी गई और उनका नाम बदलकर निर्लिप्तानंद कर दिया गया.

आपने सिविल सेवकों को असाधारण काम करते हुए सुना होगा, लेकिन भगवान का पूर्णकालिक सेवक बनना एकदम अलग बात थी. सुनील पटनायक आज डिवाइन लाइफ सोसाइटी के उपाध्यक्ष हैं, जिसका मुख्यालय ऋषिकेश में शिवानंद आश्रम में है. यह बात थोड़ी हैरत में डालने वाली थी कि राष्ट्रीय या राज्य-स्तर पर नीति बनाने और उसे लागू करने के समान संतुष्टि भिक्षुकपन कैसे प्रदान कर सकता है. ईश्वर के साथ निरंतर संवाद के बदले में उस अधिकार को त्यागना कितना कठिन रहा होगा जिसका आनंद उन्होंने 23 साल की नौकरी में कई बार लिया होगा?

लेकिन सुनील पटनायक थे ही ऐसे. जब वह राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में प्रशिक्षण ले रहे थे, तब उन्हें एक बहुत ही शांत व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था. उन्हें आमतौर पर गंभीर विचारकों की संगत में देखा जाता था. हालांकि वह कभी कभार बिलियर्ड्स खेला करते थे, लेकिन बाकी बातूनी और मौज-मस्ती पसंद करने वाले प्रोबेशनरों से अलग थे. लेकिन जब कई साल बाद पता चला कि पटनायक साधु बन गए हैं तो उन्हें जानने वाले लोगों के लिए यह बात थोड़ी चौंकाने वाली थी. मसूरी में प्रशिक्षण के समय एक सप्ताहांत, जब पूरी अकादमी शहर के जीवन का आनंद ले रही थी सुनील ने अपने दो दोस्तों को ऋषिकेश में शिवानंद आश्रम जाने के लिए राजी किया. यह यात्रा उनके लिए एक निर्णायक क्षण थी; लेकिन सुनील को आश्रम में स्थायी रूप से शामिल होने में उसके बाद भी 22 साल और लग गए.

साभार- https://hindi.news18.com/ से




यथार्थवाद की गंध से महकता डॉ. रिंकी रविकांत सृजन

मानवतावाद से पूरित और प्रभावित लेखन करने वाली डॉ.रिंकी रविकांत एक ऐसी रचनाकार हैं जिनकी कहानियाँ आधुनिक भारतीय समाज में व्याप्त विसंगतियों का जीवंत दस्तावेज हैं। यूंतो इन्हें आदर्श प्रिय है परन्तु यथार्थ लिखना अधिक पसंद है, उस सीमा तक ही जब तक यथार्थ नग्न यथार्थ या प्रकृतवाद का रूप न ले। इनकी भाषा सरल एवं सहज प्रवाह लिए है। इन्होंने हिंदी भाषा में गद्य और पद्य दोनों विधाओं को अपना कर कविता, कहानी, लेख, हास्य व्यंग रचनाओं का सृजन किया और पुस्तक समीक्षा विधा को भी अपनाया।

“भावों की अभिव्यक्ति” एक ऐसी अतुकांत काव्य रचना है जो इन्होंने अपने किसी अतिप्रिय के जीवन की सच्ची कहानी पर लिखी है। देखिए इसकी बानगी……….
सुनो!
वो जो तुम्हें चौराहे पर छोड़ गया था,
जिसके प्रतीक चिन्ह की तरह तुम आज भी खड़ी हो मूर्ति बन के।
तो सुनो!
मूर्ति बनने से कुछ नहीं होता।
मूर्ति को बस एक ही दिन पूजा जाता है,
बाकी दिन उसे बस घूरा जाता है।
इसलिए इस वाह्य आवरण को तजो।
अपनी भावनाओं को लेखनी से गढ़ों..
कि खबर पहुंचे उस चौराहे पर छोड़ने वाले आदमी तक।
वो रोए,सिसके जले।
हारे हुए जुवारी की तरह
हाथ मले।
अबकी जो आ भी गया वो तो कहना-
आई हूं अब कभी वापिस नहीं जाने के लिए।
चाहे तू कुछ भी कर ले
ए छोड़े हुए आदमी!
प्रेम विरह और फिर से मिलने की आस संजोए
भावों को कितने भावपूर्ण शब्दों में अभिव्यक्ति दी है रचनाकार ने देखते ही बनता है……….
खुदा का खौफ कर जालिम, रूला न मुझको तू रूला रहा है मुझको तू , कोई तुझको रुलायेंगी। मुद्धतो से है तेरे इंतजार में, न आया अब तक,
सता रहा है मुझको तू , कोई तुझको सतायेगी।
मानते है गमगीन है, तेरे बगैर बहुत हम,
गम न कर तू ,ये तेरे भी पास आयेगी।
जमाने ने आजमाया, अपनों ने आजमाया,
आजमा ले तू भी, कोई तुझको आजमायेंगी।
खिलखिला रहा तू,मस्त है अपनी दुनिया में,
कभी तो आयेगा वो पल, जब तुझे मेरी भी याद आयेगी।
अश्क छलक ही पड़ेगे तेरे आखों से, गमगीन हो जाओगे,
वो पल जब याद आयेगें, मेरी जब यादआयेगी।
कभी ना छोडूंगा तुमको, किया था ये वादा
मुझसे,
कहते थे हमेशा, अखिरी सांस में तू ही बस याद आयेगी।

गद्य लेखन में आपकी लिखी लघु कथाओं में से कुछ की बानगी देखिए। “रोहिंग्या” बाल मनोविज्ञान पर आधारित एक ऐसे तबके की कहानी है जिनके पास घर नाम की कोई चीज नहीं होती। रेल_पटरियों या सड़कों के किनारे ही जिनका बसेरा होते है। ऐसे दुर्दिन में जीवन जीने वालों की भी देश के प्रति प्रेम अनन्य है यही इस कथा का सार है। “चंदन विष व्यापत नहीं” स्त्री पुरुष के संबंधों को रूई और आग की उपमा से विभूषित किए जा रहे समाज के लिए एक ऐसे युवक की कहानी है जो बॉलीवुड की चौंधियां देने वाली रौशनी में भी खुद को अंधा होने से बचा लेता है और बेबस स्त्री की रक्षा कर उसे उसके घर तक छोड़ कर आता है।

आज के यथार्थवादी दौर में एक आदर्शवादी पात्र की कल्पना सुकून का अनुभव कराती है। पुरुष के चरित्र पर लांक्षन लगाने और स्त्री के सतीत्व का गुणगान करने वालो के नजरिए को बदलने का एक प्रयास है यह कहानी। यथार्थवाद आपकी कहानियों का प्राण है।
इनके सृजन ख़ज़ाने से चार कृतियों का प्रकाशन ही चुका है। “हिंदी साहित्य एवं विविध विमर्श” के साथ – साथ दो संपादित कृतियां “बड़े साब एक समीक्षात्मक अध्ययन” और “बुंदेलखंड का सेनापति महल” हैं। इनकी एक ओर कृति “डॉ.नरेंद्र नाथ चतुर्वेदी के कथा साहित्य में यथार्थ प्रकाशन प्रक्रिया में है।

जीवन के अनुभूत सत्यों का यथार्थ चित्रण है ‘अद्भुत यथार्थ’ (पुस्तक समीक्षा) , इंटरनेट, सोशल मीडिया और बच्चे, हिंदी दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों ?, वर्तमान समय और पुस्तकों की प्रासंगिकता, मेरी जब याद आएगी (कविता), अनुभूत तथ्यों का यथार्थ चित्रण है बड़े साब और अन्य कहानियाँ (पुस्तक समीक्षा), रोहिंग्या (कहानी) ,घरेलू स्त्री का मानसिक उत्पीड़न, बदले की आग और मानवीयता के द्वंद्व में झूलता बैरी (पुस्तक समीक्षा), चाँदपुर की चँदा (पुस्तक समीक्षा) और चंदन विष व्यापत नहीं (कहानी) विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।

वर्तमान समय में कबीर की प्रासंगिकता, निराला की साहित्य-साधना का फल, दृष्टिकोण एवं हिंदी कथा-साहित्य में यथार्थवाद तथा स्वतंत्रता संग्राम में स्त्री सेनानियों की भूमिका जैसे 12 विषयों पर शोध पत्र लिखे हैं। इनमें से कुछ प्रकाशित और कुछ प्रकाशन के लिए स्वीकृत हैं। इन्होंने 20 से अधिक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में अपने शोध पत्रों का प्रतुतिकरण भी किया है।

परिचय
वास्तविक और यथार्थवाद की हामी रचनाकार डॉ. रिंकी रविकांत ने लेखन स्कूली दौर से ही शुरू कर दिया था परन्तु रचनाएँ डायरी में ही कैद हो कर रह जाती थीं। पीएचडी में एक शोधार्थी के रूप में पंजीकरण होते ही रचनाएँ प्रकाशित होने लगी। आपको देश भर की संस्थाओं से अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त होना लेखन की उत्कृष्टता का द्योतक है। वर्तमान में आप पूर्वांचल क्षेत्र की कहानियों पर लेखन कर रही हैं। चलते – चलते……
जंगल था दूर-दूर तक…
अब जा के कोई गाँव आया है।
सर पर धूप ही धूप थी…
अब जा के थोड़ा छाँव आया है।
होठों पर थी प्यास
और थे पांवों में छाले,
किसको थी इतनी फिकर
कि हम पर नजर डाले।
भला ऐसे रस्ते चलते
ठहर कैसे जाये कहीं?
आदमी ही आदमी का
रहा जब अब नहीं?
अपने जख्म जो किसी को दिखाते
तो लोग हम पर ही हँसते और मुस्कुराते।
जब जख्मों से इतना ही डर था?
तो आये क्यों यहाँ?
रहना था वहीँ..
जहाँ तुम्हारा गाँव
जहाँ तुम्हारा घर था।

संपर्क :
99, संगम विहार (होटल मेनाल रेजीडेंसी के पीछे) बूंदी रोड़ , नया खेड़ा,
कोटा -324008 (राजस्थान)




“मजदूर नहीं मजबूर”

विश्व मजदूर दिवस आया है,
मजदूरों का दिन लाया है,
समस्त जगत इसे मनाता है,
फिर भी ध्यान मजदूरों पर नहीं जाता है!
आओ सुने कहानी मजदूरों की-
पिरोएं कुछ शब्दों में इनकी मजबूरी।
सुंदर रैन-बसेरे की चाहत हम रखते हैं,
तरह-तरह से उसको सजाने के जतन करते है,
कहां से, कौन-से पत्थर ज्यादा जचेंगें?
किसका सीमेंट मजबूत ज्यादा होगा?
यह विचार हम करते हैं
फिर कम कीमत के मजदूर हम ढूंढते हैं।
यह किसकी मजबूरी है-
हमारी-
या-
मजदूर की-
भारी सामान हो,
या हो घर के कोई काम,
हर काम में हम सेवक ढूंढते हैं,
बाल-मजदूरी भी हम करवा लेते हैं,
खुद हमसे होता नहीं कोई काम-
फिर मजबूरी-
मजदूर की गिनाते हैं।
गरीब है तो क्या,
‌ईमान सबका होता है,
खुद की वजह से नहीं-
वह गरीब समाज की वजह से होता है।
अमीर आदमी –
परेशान सबसे ज्यादा होता है-
छोटी-छोटी मुसीबतों में-
जब ढूंढना मजदूर भारी होता है-
चिंताएं की लकीरें माथे पर पड़ती,,
फिर हर कीमत में समझौता होता है!
यह किसकी मजबूरी है-
हमारी-
या-
मजदूर की-
कड़ी धूप में पसीना बहा,
चाय-पानी जब वह मांगता है,
सेठानी को जोर इतना पड़ता,
फिर मजदूर छुट्टी मांगता है!
छुट्टी का नाम सुनते ही,
तनाव काम का हो जाता है,
सेठानी तुरंत चाय-पानी का इंतजाम कर,
मजदूर को खुश रखने का जतन करती है,
डर यह अचानक घिर जाता है,
कहीं यह काम छोड़कर ना चला जा
यह किसकी मजबूरी है-
हमारी-
या-
मजदूर की-
आंधी,तूफानों में भी,
मजदूर के नन्हें बच्चे,
जब पेड़ों के नीचे सोते हैं,
हमारे बच्चे पंखे-कूलर के नीचे भी रोते हैं।
अवस्था उसकी देख,
हम अनदेखी कर जाते हैं,
सुविधा के नाम पर चुप्पी साध जाते हैं
यह किसकी मजबूरी है-
हमारी-
या-
मजदूर की-
दौड़-भाग की जिंदगी में,
हम ऐशो-आराम की चाह रखते हैं,
छुट्टियां मनाने नित-प्रतिदिन फार्महाउस जाते हैं,
खेतों में काम करते मजदूर,
झूले हम झूलते है
उसे खाने को कुछ ना दे कर,
मजबूरी अपनी जताते हैं।
सड़क पर चलते-चलते,
जब गाड़ी गड्ढे में फंस जाती,
गाली सीधे कामवालों पर नि
एहसास नहीं इस बात का-
कितनी मेहनत से मजदूर ने सड़क बना एहसास नहीं इस बात का-
गड्ढा मजदूर ने नहीं आपकी गाड़ी ने बनाया!
अपनी कमी होने पर भी-
मजदूर पर गुस्सा निकालते हैं-
खुद बेबस है गड्ढा भरने में-
नुक्स मजदूर का निकालते है
यह किसकी मजबूरी है-
हमारी-
या-
मजदूर की-
नित नए-नए पकवान हम बनाते हैं,
खुद खाते, परिवार को खिलाते हैं,
टूटे झौंपड़े में जब बच्चे,
खाते सूखी रोटी हैं,
हंसी बड़ी समाज को आती है।
सोच का दायरा हमारा इतना संकीर्ण,
नहीं हम उसे जरा भी देना चाहते,
खुद ही सब खा जाना चाहते।
वह मांगता नहीं आगे होकर कि ‘मुझे कुछ दो’!
लेकिन हम भी तो नहीं देते आगे होकर कि ‘यह ले लो’!
फिर उसमें और हममें अंतर क्या रहा
यह किसकी मजबूरी है-
हमारी-
या –
मजदूर की-
मजदूर की पत्नी जब तगारियों का बोझा ढोती है,
सेठों की पत्नियां आराम से सोती हैं।
औरत सिर्फ औरत होती है-
चाह हर औरत की कुछ ना कुछ होत
पत्नी मजदूर की भी सोना चाहती है-
कड़ी तपन में थोड़ी अंगड़ाई लेना चाहती है-
दशा उसकी देख दया जरा भी नहीं आती है-
आराम की चाह उसकी रास किसी को भी नहीं आती है।
यह किसकी मजबूरी है-
हमारी-
या-
मजदूर की-
मजदूर की दिहाड़ी जब बढ़ती है,
समाज में चित्कार-सी होती है,
‘भाई!मजदूरी बहुत महंगी हो गई है’.
यह बात सबकी जुबां पर होती है।
विचारणीय बिंदु है दोस्तों!
दिहाड़ी कितनी महंगी हो गई है!
कि हमारी जेब में सुराख हो गई है,
या मजदूर की जेब ज्यादा मोटी हो गई है
यह किसकी मजबूरी है-
हमारी-
या-
मजदूर की-
मजदूर का जीवन नहीं आसां,
चादर है इनका खुला आसमां,
चांदनी रात में फुटपाथ पर जब यह सोता है,
नहीं दर्द किसी को महसूस होता है
मौसम चाहे कैसा हो
गर्म हो या सर्द हो-
दुःखता सबको अपना-अपना दर्द है।
कभी-कभी कयास लगाती हूं-
तो खुद को सवालों के कटघरे में पाती हूं-
की-
कैसा इनका जीवन है?
क्या यह इंसां नहीं है?
क्या इनके कोई शौक नहीं है?
या इनको आनंद का हक नहीं है?
छोटे-छोटे बच्चे,
हमारे पाठशाला जाते हैं,
हम तरह-तरह से उनके नखरे उठाते हैं,
बैग,बस्ता,कॉपी-किताबें,
रंग-बिरंगे टिफिन-बोतल से,
उनकी दुनिया खूबसूरत बनाते हैं।
मजदूरों के बच्चों की शायद यह दुनिया नहीं है-
नसीब में उनके यह जन्नत नहीं है-
हम जन्नत में रहते हैं-
तब भी शिकायतें करते रहते हैं-
अशिक्षित बच्चों को,
शिक्षित हम कर सकते हैं,
थोड़ी अपनी भी जेब ढीली कर सकते हैं,
पर निराशा इस बात पर आती है
देख कर हम अनदेखा कर देते हैं-
या सिर्फ अफसोस प्रकट कर रह जाते हैं-
यह किसकी मजबूरी है-
हमारी –
या-
मजदूर की –
अभी हम समझ नहीं पा रहे हैं,,,,
भविष्य के गर्त में क्या छुपा है,,,,
मजदूर की छेनी जिस दिन रुक जाएगी,,,,
हमारे जीवन की गति बंद हो जाएगी,,,,
इनके प्रति मान का भाव रखें–
तिरस्कार ना कभी इनका करें–
उन्नति में इनका सहयोग दें–
नवजीवन-नवसमाज का निर्माण करें!!
‌क्यों?
क्योंकि–
मजदूर मजबूर नहीं है-
मजबूर है हमारा भारतीय समाज-
मजबूर है हमारी भारतीय सोच-
मजदूर समाज के —
निर्माणकर्ता हैं–
यही हमारे–
भगवान–
विश्वकर्मा है।।