Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चामंज़िल करीब आ गई रफ्तार देखकर...

मंज़िल करीब आ गई रफ्तार देखकर…

मुंबई। फ़िल्म गीतकार देवमणि पांडेय के ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण और कवि सम्मेलन का आयोजन।

मेरा यकीन, हौसला, किरदार देखकर,
मंज़िल करीब आ गई रफ्तार देखकर

ये पंक्तियां बॉलीवुड के मशहूर गीतकार देवमणि पांडेय ने जब पढ़ीं तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। मौक़ा था लखनऊ के “मुम्बई फ़िल्म इंस्टिट्यूट” में केएस फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित पुस्तक लोकार्पण और कवि सम्मेलन के आयोजन का। पिंजर और हासिल जैसी फ़िल्मों में गीत लिखने वाले मशहूर गीतकार देवमणि पांडेय के चौथे ग़ज़ल संग्रह ‘कहाँ मंजिलें कहाँ ठिकाना’ का लोकार्पण विशेष सचिव भाषा विभाग पवन कुमार, एडीसीपी चिरंजीव सिन्हा और वरिष्ठ साहित्यकार दयानंद पांडेय की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

विशिष्ट अतिथि आईएएस पवन कुमार ने देवमणि पांडेय को सहज सरल भाषा में लिखने वाला उम्दा शायर बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह अपने आसपास की ज़िंदगी को देवमणि जी अपनी ग़ज़लों में पिरो देते हैं वह अद्भुत हुनर है। अपनी ग़ज़लों से पवन कुमार ने मौजूद श्रोताओं की ख़ूब तालियां बटोरीं –

दो कश्तियों में रहने का अहसास हर घड़ी, आसां सुखनवरी है कहाँ नौकरी के साथ।

मुख्य अतिथि एडीसीपी चिरंजीव सिन्हा ने कहा कि देवमणि पांडेय की ग़ज़लें मन को सुकून देती हैं। वरिष्ठ साहित्यकार दयानंद पांडेय ने शायर देवमणि पांडेय को देवमणि पांडे को दिलों को जोड़ने वाला शायर बताया। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से स्त्री की अस्मिता को रेखांकित किया।

अधिवक्ता और शायर अमित हर्ष ने अधिवक्ता दिवस के उपलक्ष्य में ग़ज़ल सुनाई-

शरीफों से कहाँ अपना जियोग्राफिया मिलता है, हम वकीलों से तो बस चोर, डकैत या माफिया मिलता है।

शायर दुर्गेश शुक्ल दुर्ग ने पढ़ा –

मेरी तबीयत भारी भारी रहती है,
क्या तुमको भी ये बीमारी रहती है।

कवि मनीष मगन और सूर्यप्रकाश सूरज ने अपने गीतों पर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं कविता मिश्रा, सिराज खान, सोमनाथ कश्यप, सुधांशु वात्सल्य श्याम, मृत्युंजय बाजपेई, निष्ठा मिश्रा, उमैर सिद्दीकी, अभिश्रेष्ठ, आशुतोष पांडेय, अलंकृत श्रीवास्तव, अज़हान, प्रदीप, अमर श्रीवास्तव समेत कई युवा कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं से महफ़िल में चार चांद लगा दिए।

कार्यक्रम का संचालन युवा शायर पत्रकार अभिषेक सहज ने किया। मुम्बई फ़िल्म इंस्टिट्यूट की प्रभारी औरा सुल्ताना ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

संपर्क
अभिषेक सहज (संयोजक)
+91 80818 15771

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार