Thursday, March 28, 2024
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सिंहस्थ एक- रंग अनेक

उज्जैन में सिंहस्थ-2016 में विकसित की गईं नवीन जन-सुविधाओं का लाभ लेने में लोगों की रुचि बढ़ती जा रही है। मंगलनाथ जोन में भारतीय डाक विभाग की ओर से सिंहस्थ मेला डाक घर में एक विषेष काउंटर स्थापित किया गया है। इसमें श्रद्धालुओं को माय स्टॉम्प का लाभ मिल रहा है।

श्रद्धालु 300 रुपये के व्यय पर सिंहस्थ की याद को एक स्टॉम्प के रूप में अपने साथ सदैव रख सकेगा। कुल 12 डाक टिकिट की शीट सिंहस्थ के कलात्मक मोनो के साथ उपलब्ध करवाई जा रही है। डाक टिकिट पर अपना फोटो छपवाने के इच्छुक श्रद्धालु इस काउंटर पर पहुँच रहे हैं।

सिंहस्थ की यादें संजोने का यह एक सस्ता और सुलभ तरीका है। इस काउंटर पर डाक योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध है।

दूरदर्शन भोपाल के प्रादेशिक समाचार एकांश द्वारा सिंहस्थ महाकुंभ पर केन्द्रित विशेष प्रस्तुति दी जायेगी। दूरदर्शन मध्यप्रदेश पर रात 8.30 बजे 10 मिनिट अवधि की प्रमुख खबर प्रसारित होगी। सिंहस्थ पर विशेष परिचर्चा “सिंहस्थ क्या ला सकता है जन-जागृति’, “कैसे जुड़े हैं आध्यात्म और विज्ञान’, “क्या सोचता है देश का युवा सिंहस्थ के बारे में’, “क्या सिंहस्थ के लिये हो पायेगा छोटे शहरों का विकास,’ इन विषयों पर सिंहस्थ विशेष परिचर्चा शाम 4.20 पर समाचार एकांश की विशेष श्रंखला में प्रसारित की जायेगी।

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सिहंस्थ-2016 में विश्व पुस्तक सप्ताह के अंतर्गत 23 अप्रैल से पुस्तक प्रेमियों को मंगलनाथ जोन में उनकी रूचि का साहित्य आधी कीमत पर मिल रहा है। मेले में आए श्रद्धालु प्रतिदिन प्रेरणास्पद आध्यात्मिक साहित्य से भी रू-ब-रू हो रहे हैं। अखिल भारतीय गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार की ओर से स्थापित केंद्र इस साहित्य के प्रदर्शन और विक्रय का कार्य कर रहा है।

प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहाँ पहुँचकर न सिर्फ साहित्य खरीदते हैं, बल्कि मित्रों, रिश्तेदारों को जन्म-दिवस और विवाह वर्षगांठ जैसे शुभ अवसर पर उपहार में देने के लिए अतिरिक्त प्रतियाँ ले रहे हैं। केंद्र में गायत्री परिवार के प्रमुख श्रीराम शर्मा आचार्य की लिखी वो पुस्तिकाएं लोकप्रिय हो रही हैं जो आचार्य जी ने अपने सक्रिय जीवन में निरन्तर लिखीं। वर्ष 2011 में गायत्री परिवार ने इन पुस्तिकाओं के भारतीय भाषाओं में अनुवाद का महत्वपूर्ण कार्य भी किया था। भारत में स्थित सैकड़ों गायत्री मंदिर परिसर इन पुस्तिकाओं की स्थायी प्रदर्शनी संचालित करते हैं। भारतीय भाषाओं में ऐसा उपयोगी साहित्य अब उज्जैन में आगामी 22 मई तक उपलब्ध रहेगा। ‘शिक्षा ही नहीं विद्या भी’ और ‘ईश्वर का परम प्रसाद-प्रखर प्रज्ञा’ पुस्तिकाएँ बड़ी संख्या में बिक रही हैं।

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