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ऐसे आदर्श हैं शाहरुख खान और हिन्दी फिल्म वालों के

कर्णावती (अहमदाबाद) के कुख्यात बुटलेगर अब्दुल लतीफ़ के जीवन पर बनी फ़िल्म ‘रईस’ का ट्रेलर आज रिलीज हुआ हे . अब्दुल लतीफ़ जो की एक निहायती कमीना , धोकेबाज़ और कोमवादी इंसान था , हर साल आषाढी बिज पर निकलने वाली जगन्नाथ जी की रथयात्रा पर हमले करवा के दंगे भड़काता था , जिसके जीते जी अहमदाबाद में कभी भी शांति नहीं रही , शहर के युवाओ को जिसने उस समय शराबी – नशेड़ी बना दिया था , और शराब के धंधे में अपना वर्चस्व जमाने के लिए जिसने कई खून भी कर डाले थे और जिसके ऊपर धमकी देना , हत्या की कोशिश करना , हत्या करना , गैंगवार और कोमवादी दंगे कर के शहर में दहशत फेलाना , फिरोती वसूलना जेसे कई अपराधिक मामले थे और जिसका एनकाउंटर करना पड़ा ऐसे शराब बेचने वाले अब्दुल लतीफ़ के जीवन से भला क्या कोई सिख मिल सकती हे ……????

इस फ़िल्म को भद्र समाज में दिखाकर एक तरीके से युवाओ और समाज को दिशाहीन करने का और गुन्हाओ का रास्ता चुनने का सूचन किया गया हे … *अब्दुल लतीफ़* जेसे गुन्हेगार के जीवनचरित्र को दर्शाना ही शाहरुख़ खान और निर्माता – निर्देशक के निम्न विचारो का प्रतिबिम्ब दिखाता हे ।

में एक भारतीय गुजराती होने के नाते ये शपथ लेता हु के गुजरात के इस गुंडे के जीवन पर आधारित फिल्म रईस को देखने नहीं जाऊगा और टिकिट के 200 रुपये बचाके किसी जरूरतमंद को दान करूँगा ।