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अंदाज-ए-बयां में शकील अहमद ने बांधा गजलों का समां

नई दिल्ली। शनिवार की शाम राजधानी दिल्लीवासियों के लिए अनूठा अनुभव लेकर आई। साक्षी सिएट की प्रेसीडेंट डॉ. मृदुला टंडन के तत्वावधान में आयोजित खूबसूरत गजलों की शाम अंदाज-ए-बयां ने सभी का दिल जीत लिया। नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर के अमलतास ऑडिटोरियम में आयोजित अंदाज-ए-बयां में गीतकार और गायक शकील अहमद ने बेगम अख्तर, मेहदी हसन और जगजीत सिंह जैसी गजल की दुनिया की बेताज बादशाह मानी जाने वाली शख्सियतों की गजलों को आवाज दी।

कार्यक्रम के दौरान लक्ष्मी शंकर वाजपेयी और डॉ. मृदुला टंडन ने इन हस्तियों की जिंदगी से लोगों को रूबरू कराया। प्रस्तुति के दौरान दर्शकों का उत्साह यह बताने के लिए काफी था कि राजधानी दिल्ली के लोगों के दिल में गजलों की क्या जगह है। आज की तारीख में गजल गायकी का अनूठा सितारा कहे जाने वाले शकील अहमद की आवाज ने लोगों को इस कदर दीवाना बनाया कि सब अपनी जगह पर झूमने लगे। लोगों की दीवानगी और चाहत को देखते हुए शकील अहमद ने अपनी कुछ गजलें भी सुनाईं।

पिछली सदी के मध्य में जब गजलों का जादू उतरने लगा था, उस दौरान कुछ शख्सियतों ने अपनी काबिलियत से इसे नई ऊंचाई दी और फिर लोगों की पसंद में शुमार कर दिया। ग़ज़ल गायकी की बात जब भी उठेगी तीन नाम ऐसे हैं जिनको हमेशा याद किया जाएगा द्य बेगम अख्तर, मेहदी हसन और जगजीत सिंह, वो महान कलाकार हैं जिनके अथक प्रयासों से ग़ज़ल को दोबारा से ज़िन्दगी मिली और लोकप्रियता भी|

मौके पर डॉ. मृदुला टंडन ने कहा, बेगम अख्तर उम्र भर गजलों के लिए समर्पित रहीं और गजलों को एक नई जिंदगी दी। मेहदी हसन ने गजलों को रागदारी में ढाला और ग़ज़ल को मौसिकी के फलक के उरूज पर ले गए, और जगजीत सिंह जिन्हों ने कॉलेज के छात्रों से लेकर समाज के लगभग हर तबके को ग़ज़ल का दीवाना बना। “अंदाज-ए-बयां” गजल की दुनिया की इन्हीं महान शख्सियतों को याद करने और श्रद्धांजलि देने का माध्यम है।

गीतकार और गायक शकील अहमद ने इन महान हस्तियों की कुछ सुप्रसिद्ध गजलों को आवाज दी। शकील अहमद की आवाज में इन महान हस्तियों की गजलें सुनकर लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। इस दौरान श्रोताओं की मांग पर शकील अहमद ने अपनी कुछ प्रसिद्ध गजलें भी सुनाईं। कार्यक्रम के दौरान लक्ष्मी शंकर वाजपेयी और डॉ. मृदुला टंडन ने बातचीत के जरिये गजल की दुनिया की इन महान हस्तियों की जिंदगी के अनछुए पहलुओं से दर्शकों को रूबरू कराया। उन्होंने बताया कि किस तरह से इन शख्सियतों ने संघर्षों का सामना किया और अपना अलग मुकाम बनाया।

शकील अहमद द्वारा प्रस्तुत ग़ज़लों में ‘दोस्त बन के दगा न देना..’, ‘उस दिलनशीं को..’, ‘प्यार करें दो शर्मिले दिल..’ आदि सहित कई ग़ज़लें शामिल रहीं।