Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चाश्री राम नाईक ने बताया, इस पत्रिका का संपादक भारत का प्रधान...

श्री राम नाईक ने बताया, इस पत्रिका का संपादक भारत का प्रधान मंत्री बना

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मासिक पत्रिका ‘राष्ट्रधर्म’ के सिंहावलोकन विशेषांक का विमोचन किया। निराला नगर के माधव सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ‘राष्ट्रधर्म’ केवल पत्रिका ही नहीं बल्कि एक विचार भी है।

उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रधर्म एक ऐसी पत्रिका है, जिसका संपादक देश का प्रधान मंत्री तक बना।

श्री राम नाईक ने कहा कि राष्ट्रधर्म पत्रिका के समक्ष कई कठिनाईयां आई, लेकिन पत्रिका का निरन्तर प्रकाशन हुआ, जो अंततः पत्रिका के लिए मृत्युंजय साबित हुआ। पत्रिका ‘राष्ट्रधर्म’ बिना रुके सतत चलती रही, जिसका अर्थ यह है कि यह एक विचार ही नहीं बल्कि इसमें विचार को आगे ले जाने की शक्ति है। इस दृष्टि से सिंहावलोकन का निर्णय स्वागतयोग्य है।

उन्होंने कहा कि पत्रिका बौद्धिक मेजबानी की वजह से अपनी जगह बनाए हुए है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने चाहा था कि अपने विचार भी पत्रकारिता के माध्यम से लोगों तक जाने चाहिए। इसलिए 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तब ‘राष्ट्रधर्म’ का पहला अंक वाचकों के हाथ में था। संघ के विचारकों ने जिस राष्ट्रधर्म की परिकल्पना की थी, आज वह निरंतर बढ़ता जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक उसी विचार के हैं।

राम नाईक ने इस अवसर पर सुझाव दिया कि वितरक किसी भी पत्रिका के महत्वपूर्ण घटक होते हैं। इसलिए वितरकों पर आधारित एक विशेष आयोजन पत्रिका ‘राष्ट्रधर्म’ को करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रिका कुछ लोगों तक सीमित न रहे, इसलिए नित नए नूतन विचार सब तक पहुंचाने के लिए सर्कुलेशन बढ़ाने की जरूरत है।

उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने राष्ट्र धर्म से जुड़े अनेक संस्मरण सुनाए। उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रधर्म’ का इतिहास विभिन्न दौर से गुजरा है,लेकिन इसकी लेखनी प्रभावित नहीं हुई। इसी वजह से इसकी लोकप्रियता और विश्वसनीयता बनी रही।

इस अवसर पर डॉ. विनय षडंगी राजाराम, डॉ. रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, डॉ. योगेश, डॉ. नीरजा माधव, डॉ. राकेश कुमार सिंह, अनूपमणि त्रिपाठी, गीता गुप्त, डॉ. मंजरी शुक्ला सहित कई लोगों को राष्ट्रधर्म गौरव सम्मान से अलंकृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन पवनपुत्र बादल ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रधर्म के संपादक प्रो. ओम प्रकाश पाण्डेय ने किया।

गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ‘राष्ट्रधर्म’ मासिक पत्रिका के पहले संपादक थे। इस पत्रिका का प्रकाशन 1947 में लखनऊ से शुरू हुआ था।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार