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ईश्वर सृष्टि में 8 से 15 मार्च तक श्यामजी शास्त्री के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ होगा

सीकर के पास दीनारपुरा में स्थित ईश्वर सृष्टि आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सा एवँ नंदिनी गौशाला की वजह से आज राजस्थान ही नहीं बल्कि देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। ईश्वर सृष्टि में स्थित नंदिनी गौशाला, के संवर्धन व संरक्षण के लिए वाराणसी व मुंबई के जाने माने भागवत कथाकार प्रेम मूर्ति श्री श्याम जी शास्त्री श्री मद् भागवत कथा का परायण करेंगे। 8 मार्च मंगलवार को सुबह 7.30 बजे भव्य कलश यात्रा का आयोजन होगा जिसमें 250 महिलाएँ भाग लेंगी।

यह जानकारी देते हुए नंदिनी गौ सेवा संवर्धन एवँ अनुसंधान संस्थान, ईश्वर सृष्टि प्रकल्प के अध्यक्ष श्री कमलेश पारीक ‘कमल’ ने बताया कि यह दिव्य आयोजन ईश्वर सृष्टि के विशाल प्रांगण के प्राकृतिक वातावरण में 8 मार्च बुधवार से 14 मार्च सोमवार (फाल्गुन शुक्ल षष्ठमी से फाल्गुन शुक्ल एकादशी तक होगा। कथा प्रतिदिन अपरान्ह 3 से 6 बजे तक होगी। 15 मार्च, मंगलवार को प्रातः 7 बजे यज्ञ पूर्णाहुति का कार्यक्रम होगा। कथा का शुभारंभ अग्रचार्य पीठाधीश्वर, रैवास धाम के पूज्य राघवाचार्यजी महाराज, रामकृष्ण सेवा संस्थान त्र्यंबकेश्वर के पूज्य स्वामी कण्ठानंद जी महाराज व जूनाजाल्याधाम सपेड़ के पूज्य ओमनाथ जी महाराज के आशीर्वचन से होगा। विशिष्ट अतिथि सीकर के विधायक राजेन्द् पारीक होंगे व कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत विकास परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री उमेश राठी करेंगे।

नंदिनी गौशाला के चार वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित वार्षिकोत्सव के आयोजन में सीकर के सांसद पूज्य स्वामी सुमेधानंद जी आशीर्वचन देंगे व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी मुख्य अतिथि होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री भागवत परिवार मुंबई के अध्यक्ष श्री सुनील सिंघल करेंगे।

कथा में विशिष्ट वक्ता व सारस्वत अतिथि के रूप में 9 मार्च को गोबर पैथी के विशेषज्ञ डॉ. शिवदर्शन मलिक, 10 मार्च को श्री अजय जी याज्ञिक, 11 मार्च को पूर्व आईएएस अधिकारी व जयपुर डॉयलाग के श्री संजय दीक्षित 12 मार्च को भारत के सूचना आयुक्त एवँ जाने माने लेखक श्री उदय माहुरकर, 13 मार्च को निसर्ग स्वास्थ्य संस्थान मुंबई के श्री सुनील लांबा व 14 मार्च को राजस्थान गौसेवा समिति के पूज्य दिनेश जी गिरी अपना संबोधन देंगे।

कथा में 8 मार्च को भागवत महात्म्य, 9 मार्च को ब्रह्मसूत्र व्याख्या, भीष्म गीता, परीक्षित का जन्म व सुखदेव आगमन प्रसंग होगा।

10 मार्च को सृष्टि वर्मन, चतुःश्लोकी भागवत, कपिलोव्याख्यान, सती चरित्र व ध्रुव चरित्र का प्रसंग होगा।

11 मार्च को प्रहलाद चरित्र, वामन अवतार, रामजन्मोत्सव, का प्रसंग होगा।

12 मार्च को श्रीकृष्ण बाललीला गोवर्धन पूजा का प्रसंग होगा।

13 मार्च को रासपंचाध्यायी एवँ रुक्मिणी विवाह का प्रसंग होगा।

14 मार्च को अन्य विवाह, सुदामा चरित्र नवयोगेश्वर संवाद, परीक्षित मोक्ष व सुखदेव विदाई का प्रसंग होगा।

15 मार्च को प्रातः हवन एवँ पूर्णाहुति का कार्यक्रम होगा।

प्रतिदिन शाम को विभिन्न सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। 9 मार्च को चंग धमाल (शेखावटी की होली), 10 मार्च को गिंदड़, 11 मार्च को श्री अजय जी याज्ञिक द्वारा सुंदरकांड, 12 मार्च को कवि सम्मेलन, 13 मार्च को महिला मंडल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, 14 मार्च को विष्णु सहस्त्रनाम दीप यज्ञ व 15 मार्च को भण्डारा कार्यक्रम आयोजित होगा।

इस कथा का पुण्य लाभ लेने के लिए मुंबई, बैंगलुरु, जयपुर से लेकर देश के कई शहरों के 200 से ज्यादा परिवार यहाँ पहुँच रहे हैं।

श्री कमलेश पारीक ने बताया कि कोरोना काल के भयावह दौर में आम आदमी से लेकर गौवंश तक एक भयानक त्रासदी से गुजरा है। इसी विषय पर विचार करते समय मुंबई के अध्यात्मिक गुरु श्री वीरेन्द्र याज्ञिक एवँ बोनांजा के निदेशक श्री एसपी गोयल ने सुझाव दिया कि कोरोना के बाद समाज के लोग आपस में मिल सकें और अध्यात्मिक वातावरण में कुछ दिन रह सकें इसके लिए श्री मद् भागवत कथा का आयोजन किया जाए।

इस कथा को लेकर मुंबई से लेकर सीकर, झुंझुनू व आसपास के गाँवों में जबर्दस्त उत्साह है। कथा सुनने आने वालों के लिए सीकर से प्रतिदिन निःशुल्क बस की व्यवस्था की गई है। झुंझनू से भी निःशुल्क बस की व्यवस्था है।

उन्होंने बताया कि ईश्वर सृष्टि परिसर में स्थित नंदिनी गौशाला में विभिन्न देसी किस्मों की 50 से अधिक गौवंश है जो यहाँ के खुले वातावरण में विचरण करते हैं। कथा श्रवण करने बाहर से आने वाले श्रध्दालुओं के लिए प्रातः काल के समय प्राकृतिक चिकित्सा की भी व्यवस्था की गई है।

इस समय ईश्वर सृष्टि में प्राकृतिक चिकित्सा, ऋषि कृषि तंत्र मंत्र शोध संस्थान एवँ नंदिनी गौ सेवा व अनुसंधान संस्थान कार्यरत हैं। आगामी योजनाओं की जानकारी देते हे श्री पारीक ने बताया कि इस परिसर में शीघ्र ही वेद विद्या पीठ के रूप में गुरुकुल एवँ ऋषिकुल प्रारंभ हो इस संकल्प को साकार करने के लिए कथा के माध्यम से भारत भर के अध्यात्मिक व उद्योग जगत के प्रमुख लोग विचार विमर्श करेंगें।