1

तो बच्चों सा ही मुझे चाहा कर

मेरे दिल में नहीं तो ना सही
मेरी निगाहों में तो रहा कर

अगर मुस्कान की सूरत नहीं
तो आँसू ही बनके बहा कर

जरूरी नहीं हर राज़ कहना
कभी कुछ यूँ भी कहा कर

दवा नहीं मर्ज हर ज़ख़्म की
कुछ देर तो दर्द भी सहा कर

गर चाहता है मैं भी तुझे चाहूँ
तो बच्चों सा ही मुझे चाहा कर

संपर्क

सलिल सरोज
B 302 तीसरी मंजिल
सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट
मुखर्जी नगर
नई दिल्ली-110009
Mail:[email protected]