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तो क्या पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र चीन को बेचने जा रहा है?

यूरोपीयन संघ (ईयू) के एक वरिष्ठ शोधकर्ता ने पाकिस्तान पर गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र चीन को बेचने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ-एशिया स्टडीज के वरिष्ठ शोधकर्ता डुसन विजनोविक ने कहा, ‘भले ही पाकिस्तान खुद को जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों का स्वघोषित समर्थक बताता हो, लेकिन हकीकत यही है कि उसने जम्मू-कश्मीर पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है और वहां के लोगों के राजनीतिक और नागरिक अधिकारों का हनन कर रहा है.’ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 37वें सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘कूटनीतिक बयानबाजियों के बावजूद पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के लिए दलाल बनना चाहता है और वह चीनी युआन के बदले गिलगित-बाल्टिस्तान चीन को बेचने के लिए सौदेबाजी कर रहा है.’ गिलगित-बाल्टिस्तान, पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है. स्थानीय लोग यहां से गुजरने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर का विरोध कर रहे हैं.

वरिष्ठ शोधकर्ता डुसन विजनोविक ने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र से दखल देने की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने और इस संस्था (यूएनएचआरसी) का मजाक बनाने की इजाजत क्यों दी जा रही है?’ डुसन विजनोविक ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र दक्षिण एशिया में केवल शांति सुनिश्चित करने के लिए नहीं, बल्कि उससे कहीं ज्यादा अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने और अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य है.

यूरोपीय संघ के शोधकर्ता डुसन विजनोविक ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1948 और 1949 में पारित प्रस्तावों का भी हवाला दिया. उनके मुताबिक इनमें पाकिस्तान को 13 अगस्त 1948 तक जम्मू-कश्मीर से अपने सैनिकों को हटा लेने का निर्देश दिया गया था. इस पर डुसन विजनोविक ने पूछा कि बीते 70 सालों में पाकिस्तान ने इनको लेकर क्या किया है?

यूरोपियन संघ (यूरोपियन यूनियन) मुख्यत: यूरोप में स्थित 28 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है जिनमें आपस में प्रशासकीय साझेदारी होती है जो संघ के कई या सभी राष्ट्रो पर लागू होती है। इसका अभ्युदय 1957 में रोम की संधि द्वारा यूरोपिय आर्थिक परिषद के माध्यम से छह यूरोपिय देशों की आर्थिक भागीदारी से हुआ था।