Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeमीडिया की दुनिया सेतो जल्द ही अभिजात्य वर्ग की गिरफ्त में होगी पत्रकारिता भी....!!

तो जल्द ही अभिजात्य वर्ग की गिरफ्त में होगी पत्रकारिता भी….!!

क्या गीत – संगीत व कला से लेकर राजनीति के बाद अब लेखन  व पत्रकारिता के क्षेत्र में भी जल्द ही  ताकतवर अभिजात्य  वर्ग का कब्जा होने वाला है। क्या बड़े – बड़े लिक्खाड़ इस वर्ग के पीछे वैसे ही घूमते रहने को मजबूर होंगे , जैसा राजनीति के क्षेत्र में देखने को  मिलता है। क्या यह क्षेत्र अब तक इस वर्ग की धमक से काफी हद तक इस वजह से बची रह पाई है क्योंकि इसमें उतना पैसा व प्रभाव नहीं है। ये बातें मेरे जेहन में हाल में हुए अपने शहर के नगर – निगम चुनाव को नजदीक से देख कर हुआ।

  पाई – पाई का मोल भला कलम चला कर आजीविका चलाने वाले से ज्यादा अच्छी तरह कौन समझ सकता है। अब एेसे बेचारों के सामने यदि कोई लाख – करोड़ की बातें एेसे करे मानो दस – बीस रुपए की बात की जा रही हो, तो हालत बिल्कुल भूखे पेट के सामने छप्पन भोग की बखान जैसी ही होगी। मेरी भी कुछ एेसी ही  हालत है।

 दरअसल अभी कुछ दिन पहले ही मेरे शहर का नगर निगम चुनाव संपन्न हुआ है। विधानसभा और संसदीय चुनाव को मात देने वाले इस चुनाव में ताकतवर- अभिजात्य वर्ग का दखल साफ नजर आया। कहने को तो चुनाव में खर्च की अधिकतम सीमा महज 30 हजार रुपए तक तय थी। लेकिन सच्चाई यह है कि हारे हुए उम्मीदवार भी चुनाव में 20 से 25 लाख तक खर्च हो जाने की दुहाई देते हुए अब अपने जख्मों को सहलाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके दावों में अतिशयोक्ति की जरा भी गुंजाइश नहीं है। क्योंकि गांव से कुछ बड़े स्तर के इस चुनाव में धन बल व जन बल का प्रभाव साफ देखा गया। बड़े – बड़े कट आउट से लेकर दर्जनों कार्यकर्ताओं के भोजन – पानी  व मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किए गए खर्च को जोड़ कर हिसाब किया जाए तो इतना खर्च स्वाभाविक ही कहा जाएगा। सवाल उठता है कि क्या एेसी परिस्थिति में  चंद हजार में गुजारा करने वाला कोई  साधारण व्यक्ति चुनाव लड़ने की हिम्मत कर सकता है। क्या इसका मतलब यह नहीं कि समाज के दूसरे क्षेत्रों की तरह राजनीति में भी अब अभिजात्य व कुलीन वर्ग का पूरी तरह से दबदबा कायम हो चुका है। 

कुछ दशक पहले तक कुछ क्षेत्र एेसे थे, जिनमें नैसर्गिक प्रतिभा का ही बोलबाला था। माना यही जाता था कि मेधा , बुद्धि व क्षमता वाले इन क्षेत्रों में तथाकथित बड़े घरों के लोगों की नहीं चल सकती है। बचपन में एेसे कई नेताओं को नजदीक से देखा भी जो बेहद तंगहाली में जीते हुए अपनी – अपनी पार्टी की नुमाइंदगी करते थे। कुलीन व पैसे वालों की  भूमिका बस पर्दे के पीछे तक सीमित रहती थी। लेकिन देखते ही देखते एक के बाद एक हर क्षेत्र में पैसे की ताकत सिर चढ़ कर बोलने लगी। जिसके पास पैसा व ताकत उसी के पीछे दुनिया वाली कहावत हर तरफ चरितार्थ होने लगी। ग्राम प्रधानी से लेकर सभासदी के जो चुनाव महज  चंद हजार रुपए में लड़े और जीते जाते थे, आज इसके पीछे लोग लाखों रुपयों का निवेश करने को खुशी – खुशी राजी है। सवाल उठता है कि आखिर गांव – मोहल्ला स्तर के इन पदों में एेसा क्या है जो लोग इसके पीछे बावले हुए  जा रहे हैं। क्या सचमुच समाज में प्रतिष्ठा की भूख इतनी मारक हुई जा रही है कि लोग इसके पीछे लाखों खर्च करने से गुरेज नहीं कर रहे या मामला कुछ दूसरा है।

जानकारों का मानना है कि आज के दौर में एक सभासद को उसके पांच साल के कार्यकाल में साधारणतः डेढ़ करोड़ रुपए तक मिलते हैं। सीधा गणित यह है कि अपने कार्यकाल के दौरान 50 लाख रुपए की विकास राशि जनता पर खर्च कर करीब एक करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ इसमें अर्जित किया जा सकता है। जो किसी दूसरे क्षेत्र में संभव नहीं है। इसके साथ ही पद को मिलने वाले मान – सम्मान का फायदा अलग। एक के बाद एक सभी क्षेत्रों में अभिजात्य व ताकतवर वर्ग के कायम होते प्रभुत्व को देखते हुए पता नहीं क्यों मुझे लगता है  जल्द ही लेखन व पत्रकारिता के क्षेत्र में एेसे लोगों का ही दबदबा कायम होता जाएगा।देश में शीर्ष स्तर पर इसकी बानगी दिखाई भी देने लगी है। 

इनलाइन चित्र 3

—————————————————————————————————
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और दैनिक जागरण से जुड़े हैं। 
————————————————————————————-
तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर ( पश्चिम बंगाल) पिन-721301 जिला पश्चिम मेदिनीपुर संपर्कः 09434453934 

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार