Tuesday, April 16, 2024
spot_img
Homeफिल्म समीक्षाऐसा ये जहां ( हिंदी ड्रामा )

ऐसा ये जहां ( हिंदी ड्रामा )

दो टूक : सपनों के पूरे होने की चाहत किसे नहीं होती लेकिन कोई सपना अगर आँख नोचने लगे तो। निर्देशक बिस्वजीत बोरा की पलाश सेन, ईरा दुबे, किमस्लीन खोलियो , प्रिशा और यशपाल शर्मा के अभिनय वाली फिल्म ऐसा ये जहां  भी बस ऐसे ही एक सपने के बनने और बिखरने की कहानी है। 
कहानी : फिल्म की कहानी मुंबई में रहने वाले राजीब (पलाश सेन), उसकी पत्नी अनन्या (ईरा दुबे), उनकी बेटी कीहू (प्रिशा) और उनके घर में काम करने वाली एक लड़की पाखी (किम्सलीन खोले) की है । एक दिन राजीब शहर से तंग आकर अपने पैतृक गांव आ जाता है लेकिन अनन्या गाँव में परेशान हो जाती है। राजीव और अनन्या का टकराव उन्हें शहर वापिस जाने के लिए मजबूर करता है। उनकी वापसी पर गाँव का नालिया काई (यशपाल शर्मा) अनन्या को भेंट में कुछ ताजे फल देता है तो वह उसे रास्ते में ही फेंक देती है। लेकिन उनसे मिली आम की गुठली से वापस आकर पाखी और कीहू मिल कर आम का एक पौधा उगाते हैं, जो धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है। लेकिन यही पौधा एक दिन सबके लिए मुसीबत की जड़ बन जाता है।

गीत संगीत : फिल्म में पलाश सेन और उनके बैंड यू फॉरिया का संगीत है लेकिन दीक्षांत शेरावत के शीर्षक गीत के अलावा कोई गीत प्रभावित नहीं करता।  
अभिनय : फिल्म के केंद्र में पलाश हैं लेकिन उनकी भूमिका का आधार हैं प्रिशा और किम्सलीन खोले नाम की दोनों बच्चियां।  दोनों ने ही मासूमियत और मार्मिक अभिनय किया है। ईरा दुबे अपनी भूमिका में जमती हैं लेकिन कुछ कुछ अतिरेक्ता का शिकार भी हैं पर बुरी नहीं लगती।  यशपाल कुछ नया नहीं करते पर ठीक हैं। 
निर्देशन : यह भारत की पहली कार्बन न्यूट्रल फिल्म कही जा रही है। लेकिन पर्यावरण के प्रति जागरूक करने वाली बातें इसमें बहुत कम हैं। फिर भी फिल्म उत्तर पूूर्व और लोगों की समस्या बयान तो करती ही है। साथ ही फिल्म माता पिता और बच्चों के सपनों और उनके बीच खुद के सपनों के फंसे होने की बात भी करती है।  बिस्वजीत बोरा अपने विषय पर कुछ और मेहनत करते तो ये एक अद्भुत फिल्म बन सकती थी लेकिन अपने कथ्य और शिल्प के साथ ईमानदार होते हुए भी वो इसे एक औसत फिल्म ही बना पाए. 

फिल्म क्यों देखें : अगर पर्यावरण की चिंता करते हैं तो। 
फिल्म क्यों ना देखें : नहीं, एक बार तो देख लें। 
रामकिशोर पारचा 

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार