Thursday, April 25, 2024
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किसी ने बर्तन मांजे तो किसी ने सब्जी बेची, मगर परीक्षा में अव्वल आए

राजधानी में कई ऐसे मेधावी छात्र हैं, जिन्हें केवल पढ़ाई की चिंता नहीं, रोटी की भी है। स्कूल में पढ़ाई करने के बाद ये छात्र काम भी करते हैं, दो पैसे कमाते भी हैं इसके बावजूद ये अच्छे नंबर लेकर पास हुए हैं। नईदुनिया ने पड़ताल की तो पाया कि शहर के इन मेधावी छात्रों को घर में भरपूर पढ़ने का समय भी नहीं मिल पाता है, फिर भी वे दूसरे टॉपर्स से कम प्रतिभाशाली नहीं हैं।

बर्तन तक मांजती थी फिर भी लाई 91 फीसदी रिजल्ट

गुढ़ियारी के अशोक नगर की रहने वाली और सर्वोदय हायर सेकंडरी स्कूल गुढ़ियारी की छात्रा हेमलता सेन ने 91 फीसदी अंक लाकर अपने परिवार को गौरवान्वित किया है। एक विषय में उसने 99 अंक भी हासिल किए हैं।

उसने बताया कि उसके पिता की एक छोटी सी सेलून दुकान है। वह घर में बर्तन मांजना, पोंछा लगाने तक का काम करती थी। इसके बाद जब समय मिलता था तब वह गणित, फिजिक्स और केमिस्ट्री नियमित पढ़ती थी। पिता टीकाराम और मां देवकुमारी ने अपनी बिटिया की इस सफलता का श्रेय स्कूल प्रबंधन को श्रेय दिया है। स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा था कि यदि वह टॉपटेन सूची में शामिल होगी तो उसे 1 लाख रुपए तक इनाम में दिया जाएगा। तीन फीसदी अंक से चूकने के बाद उसकी आंखों में इसका मलाल साफ झलक रहा है।

घर की सारी जिम्मेदारी, फिर भी 92 फीसदी रिजल्ट

पिता एक प्राइवेट कंपनी में कर्मचारी हैं। खुद का घर भी नहीं है। दो कमरे के किराए के घर में रहना पड़ता है। सब्जी दवाई आदि लाने के साथ मां का हाथ बंटाता है। उस कमरे में पढ़ाई करता है, जहां एक छोटा भाई और बहन शोर मचाते हैं जिससे बार-बार एकाग्रता भंग होती है। फिर भी वह दो फीसदी अंक कम पाने से टॉपटेन सूची से चूक गया है।

हम बात कर रहे हैं राजधानी के अम्बेडकर नगर गुढ़ियारी में रहने वाले छात्र कृष्णकांत मिश्रा की। जिसने सर्वोदय हिन्दी माध्यम स्कूल गुढ़ियारी से गणित संकाय में पढ़ाई कर 92 प्रतिशत अंक हासिल किया है। उसे मलाल इसी बात का है कि उसे और सुख-सुविधा मिलती तो शायद टॉपटेन में पहला नाम उसी का होता। उसकी मां राजकली और पिता विजय शंकर मिश्रा अपने बेटे की इस कामयाबी से फूले नहीं समा रहे हैं। उसने अपनी दादी सीता देवी से वादा किया था कि 90 फीसदी से अधिक अंक लाएगा। पालक बेटे को आईआईटी में पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन घर की माली हालत ठीक नहीं है, इसलिए गुमसुम हो गए हैं।

पेपर बांटने और पंचर बनाने के बाद दिखी प्रतिभा

पहाड़ी चौक निवासी सर्वोदय स्कूल गुढ़ियारी के ही छात्र कृष्णा साहू पेपर बांटने और पंचर बनाने का काम करता है, फिर भी उसने 85 फीसदी अंक हासिल किया है। उनके पिता संतोष भी साइकिल का पंचर बनाने का काम करते हैं। मां गृहिणी हैं। स्कूल के प्रिंसिपल केजी चक्रधारी ने बताया कि बच्चा पढ़ने में बहुत अच्छा है, लेकिन गरीबी की वजह से इन्हें भरपूर पढ़ने का समय नहीं मिलता है। घर चलाने की जिम्मेदारी इन कंधों पर अभी से आ गई है।

मजदूर की बिटिया निकली मेधावी

पहाड़ी चौक निवासी रोमा वर्मा मजदूर परिवार की है। वह कभी-कभार पिता के काम में हाथ बंटाती है। उसने 85 फीसदी अंक हासिल किया है। उनके पिता देवराज और मां सरोज अपनी बिटिया की सफलता से काफी खुश हैं। स्कूल में अब उसे साइकिल देकर सम्मानित किया जाएगा।

साभार-http://naidunia.jagran.com/ से 

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