Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeपत्रिकाकला-संस्कृतिसौम्या लक्ष्मी के भरतनाट्यम अरंगेत्रम से मुग्ध हुई दिल्ली..

सौम्या लक्ष्मी के भरतनाट्यम अरंगेत्रम से मुग्ध हुई दिल्ली..

नई दिल्ली। शनिवार की शाम राजधानी वासियों के लिए नया अनुभव लेकर आई। नाट्य वृक्ष की संस्थापक-अध्यक्ष व प्रख्यात नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन की शिष्या सौम्या लक्ष्मी ने भरतनाट्यम अरंगेत्रम पर अपनी प्रस्तुति से लोगों को मुग्ध कर दिया। चिन्मया मिशन ऑडिटोरियम में हुई इस विशेष प्रस्तुति को देखने के लिए बड़ी संख्या में कलाप्रेमी उपस्थित रहे। प्रतिष्ठित ओडिसी नृत्यांगना एवं गुरु पद्मश्री श्रीमती माधवी मुद्गल बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहीं। सौम्या के आत्मविश्वास और श्रेष्ठ प्रस्तुति की उन्होंने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। गीता चंद्रन ने नट्टुवंगम, के. वेंकटेश्वरन ने वोकल, मनोहर बलातचंदीरेन ने मृदंग, जी. राघवेंद्र ने वायलिन और रजत प्रसन्ना ने बांसुरी वादक के रूप में सहयोगी कलाकार की भूमिका निभाते हुए प्रस्तुति को मनमोहक बनाया।

अरंगेत्रम किसी भरनाट्यम नृत्यांगना के जीवन का एक अहम मौका होता है, जिसके लिए कई साल के अथक प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। कई बार इसके लिए पारंगत होने में कुछ दशक का समय भी लग जाता है। जब गुरु को यह विश्वास हो जाता है कि अब शिष्य अकेले प्रस्तुति में सक्षम है, तभी अरंगेत्रम का एलान होता है। मैथिली नारायणन और पीके नारायणन की पुत्री सौम्या लक्ष्मी ने अपने प्रदर्शन से अपनी गुरु गीता चंद्रन के उसी भरोसे को कायम रखा। उन्होंने सिद्ध किया कि उनकी गुरु का विश्वास और निर्णय कितना सही है। यह गुरु के लिए भी किसी सम्मान से कम नहीं होता। मदर्स इंटरनेशनल स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा सौम्या अपने स्कूल की कल्चरल सेक्रेटरी भी हैं।

सौम्या ने लगभग दो घंटे की प्रस्तुति में भरतनाट्यम की कई विधाओं से लोगों को मुग्ध किया। सौम्या ने ‘अलारिप्पु’ से शुरुआत करते हुए शुद्ध नृत्य विधा ‘जातीश्वरम‘ का प्रदर्शन किया। इसके बाद 40 मिनट के ‘श्रृंगार वरनम’ पर सौम्या की प्रस्तुति ने सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। गुरु गीता चंद्रन ने इस मौके पर कहा, “किसी गुरु के लिए शिष्य की तरफ से यह सबसे बड़ा उपहार है। सौम्या ने जिस तरह से प्रदर्शन किया, उससे मैं बहुत खुश हूं। उसके कौशल, उसकी क्षमता और नृत्य में डूब जाने की कला ने मन मोह लिया।“ सौम्या ने भी इसे अपने जीवन का विशेष पल बताया।

छह साल की छोटी सी उम्र से ही नाट्य वृक्ष में प्रशिक्षण ले रही सौम्या लक्ष्मी ने भरतनाट्यम को अपने जीवन के 11 महत्वपूर्ण वर्ष समर्पित किए हैं। उनकी बड़ी बहन भरतनाट्यम का प्रशिक्षण लेती थीं, तभी से सौम्या की भी इसमें रुचि पैदा हुई। सौम्या ने नृत्य को अतिरिक्त गतिविधि की तरह नहीं, बल्कि जीवन के आवश्यक हिस्से की तरह माना। उनके समर्पण और गुरु के दिशानिर्देश ने ही उन्हें इस स्तर पर पहुंचाया। डॉ. वासंती कृष्णा राव के संरक्षण में कार्नेटिक म्यूजिक और डॉ. के. अनंत के संरक्षण में वैदिक मंत्रोच्चार के प्रशिक्षण से भी सौम्या को अपने नृत्य में संतुलन बनाने में मदद मिली।

सौम्या को 2012 में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित कल्चरल टैलेंट सर्च स्कॉलरशिप (सीसीआरटी) दी गई थी। उन्होंने 2014 और 2015 में बाल कला उत्सव में डुएल कैटेगरी में पहला स्थान हासिल किया था। कई अंतरविद्यालयी शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगिताओं में उन्हें पहला स्थान मिल चुका है। सौम्या ने 2014 में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुए ‘स्पंदन’ उत्सव में भी समूह के साथ प्रस्तुति दी थी। सौम्या 2016 में नाट्य वृक्ष के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर गीता चंद्रन द्वारा प्रस्तुत ‘अनेकांत’ का भी हिस्सा रही थीं।

गुरु गीता चंद्रन एक विख्यात कलाकार हैं, जिन्होंने अपने गुरुओं से मिले ज्ञान को निखारते हुए नृत्य के प्रति अपने निजी विचारों को भरतनाट्यम में समाहित किया। अपनी नृत्य प्रस्तुतियों में उन्होंने प्रसन्नता, सौंदर्य, मूल्यों, लोक कथाओं और आध्यात्मिकता को समाहित किया है। गीता चंद्रन युवा पीढ़ी के लिए सच्ची प्रेरणा हैं। वह कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सांस्कृतिक संस्थानों व विश्वविद्यालयों में बतौर बोर्ड सदस्य सक्रिय हैं। कई प्रसिद्ध स्कूलों, कॉलेजों के सलाहकार बोर्ड और भारत सरकार की समितियों में भी उन्हें स्थान दिया गया है। नई दिल्ली में अपनी अकेडमी नाट्य वृक्ष के माध्यम से वह युवाओं को शिक्षा की सतत यात्रा के रूप में भरतनाट्यम की अपार क्षमताओं से परिचित करा रही हैं।

अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें;
ग्रैंडेवर कम्युनिकेशनः
शैलेश 9716549754, रितिका 7011600301, नीति 8527002788

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार