Friday, March 29, 2024
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लोकतंत्र पर बाजार का कब्जा: कालजयी

भोपाल। जो मीडिया जनपक्षीय सरोकार नहीं रखता है, वह समाज में गहरी पैठ नहीं बना पाता है। किसी विचार से देश नहीं बदला जा सकता है, अपितु विचारों को जीने से समाज में बदलाव आता है, वर्तमान आर्थिक युग में साहित्यिक पत्र-पत्रिका का प्रकाशन अत्यन्त दूभर और चुनौती भरा है, क्योंकि आज लोकतंत्र पर बाजार का कब्जा हो चुका है।

उक्त विचार आज यहां गांधी भवन में आठवें पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान अलंकरण समारोह में संवेद (नई दिल्ली) के सम्पादक किशन कालजयी ने व्यक्त किये। उन्हें यह सम्मान उनके दीर्घकालीन साहित्यिक पत्रकारिता साधना के लिए दिया गया। ‘मीडिया विमर्श’ द्वारा प्रतिवर्ष दिये जाने वाले इस सम्मान में उन्हें ग्यारह हजार रूपये, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया । समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. बृज किशोर कुठियाला, कुलपति माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इलाहाबाद के समाजसेवी एवं शिक्षाविद् संकठा प्रसाद सिंह ने की।

दिल्ली, बिहार, झारखंड जैसे कई राज्यों में साहित्यिक पत्रकारिता का अलख जगाने वाले प्रख्यात साहित्यकार श्री किशन कालजयी ने कहा कि भारतीय मीडिया ने जब-जब सच को उजागर करने का प्रयास किया उस पर उंगली उठायी गई, और कथित पीत पत्रकारिता के दौर में मीडिया बदनाम भी हुआ, परन्तु समाज को यह सच भी समझना होगा कि तीन रूपये में एक समाचार पत्र छापना और घर भिजवाना कितना कठिन है। बिना विज्ञापन व आर्थिक संसाधन के यह कार्य अत्यन्त दूभर है। ऐसे कठिन हालातों में पिछले 25 वर्षों से हम साहित्य पर केन्द्रित पत्रिका ‘संवेद’ का प्रकाशन कर रहे हैं। आपने आज जो सम्मान इस पत्रिका को दिया है उससे हमारी चुनौती और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि मीडिया की बुनियाद लिखना है। छापे गये अक्षरों का महत्व हमेषा बरकरार रहेगा।

समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने साहित्यिक पत्रकारिता के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि विचारों को उत्पन्न करना एक बड़ा काम है। विचार साहित्य से ही जन्म लेता है भले उसका माध्यम नाटक, पत्र-पत्रिका या जीवनी आदि हो। विचारों की उत्पत्ति प्रसव वेदना की तरह है। उन्होंने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता समुद्र मंथन की तरह है। जिसमें विष के छींटे भी पड़ते हैं और अमृत की बूंदें भी मिलती हैं। आज के समय में सद्भावना से विचार मंथन करने की महती आवश्यकता है। जिससे एक बेहतर समाज की रचना की जा सके। समारोह की विशिष्ट अतिथि प्रख्यात कथाकार एवं उपन्यासकार श्रीमती इंदिरा दांगी ने साहित्य एवं भविष्य की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि साहित्य जीविका नहीं जीवन हो सकता है इसमें अनेक विधाएं विद्यमान होती है। जो विचारों की संवाहक बनती है।

सद्भावना दर्पण रायपुर के सम्पादक श्री गिरीश पंकज ने गुरू की महिमा प्रतिपादित की। समारोह की अध्यक्षता करते हुए इलाहाबाद के समाजसेवी एवं शिक्षाविद् श्री संकठा प्रसाद सिंह ने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा से ही उन्नति के द्वार खुलते हैं। समारोह का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मीडिया विमर्श के कार्यकारी सम्पादक श्री संजय द्विवेदी ने सम्मान की प्रस्तावना पर प्रकाश डालते हुए सम्मान के महत्व का प्रतिपादित किया। समारोह में एम.सी.यू. के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. संजीव गुप्ता की पुस्तक ‘मॉस कम्यूनिकेशन’ का लोकार्पण मुख्य अतिथि द्वारा किया गया। मीडिया विमर्श के संपादक डॉ. श्रीकान्त सिंह ने आभार व्यक्त किया। वंदे मातरम् के साथ समारोह का समापन हुआ। समारोह में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा, कुलसचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, पत्रकार धमेन्द्र मोहन पंत, प्रवक्ता डॉट कॉम के संपादक संजीव सिन्हा, दूरदर्शन के सलाहकार भारतभूषण, शिव अनुराग पटैरिया, बृजेश राजपूत, सुबोध श्रीवास्तव, ईश्वर सिंह दोस्त, डॉ. महेश परिमल, आर. के. शर्मा, संतोष रंजन, उमा भार्गव , मनीष गौतम, विनोद नागर, कृषक जगत के प्रधान संपादक विजय बोन्द्रिया, प्रकाश साकल्ले, श्री शिवहर्ष सुहालका, मनोज द्विवेदी, गोविन्द चौरसिया, सी. के. सरदाना, भरतभूषण, उमेश चतुर्वेदी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

सम्मान एक नजर में
साहित्यिक पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूति को प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह सम्मान पं. बृजलाल द्विवेदी की स्मृति में मीडिया विमर्श परिवार द्वारा वर्ष 2007 में स्थापित किया गया है। इस सम्मान में ग्यारह हजार (1100.00) रू. नगद, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया जाता है। मीडिया विमर्श के कार्यकारी सम्पादक संजय द्विवेदी ने बताया कि इस वर्ष 2015 के पंडित बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से संवेद दिल्ली के संपादक श्री किशन कालजयी को आज सम्मानित किया गया है। अभी तक डॉ. श्याम सुन्दर व्यास (सम्पादक वीणा, इन्दौर) डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, (सम्पादक दस्तावेज, गोरखपुर), हरिनारायण, (सम्पादक कथादेश, नई दिल्ली) हेतु भारद्वाज (सम्पादक अक्सर, जयपुर) गिरीश पंकज, (सम्पादक, सदभावना दर्पण, रायपुर) , प्रेम जनमेजय, (सम्पादक व्यंग्य यात्रा, नई दिल्ली), विनय उपाध्याय सम्पादक, कला समय, भोपाल) को यह सम्मान प्रदान किया गया है।

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