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पशुपालकों के लिए प्रदेश का पहला हाईटेक कस्बा तैयार

नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल की पहल पर प्रदेश ही नहीं देश की वो अनूठी योजना जो पशुपालकों को प्राकृतिक माहौल के बीच शहरी क्षेत्र की सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने और उनके जीवन स्तर में अमूलचूल परिवर्तन करने वाली नगर विकास न्यास कोटा की देवनारायण योजना लगभग तैयार हो चुकी है । नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के निर्देशन में कोटा को जहाँ स्मार्ट सिटी के साथ पर्यटन नगरी, ट्रैफिक लाइट फ्री सिटी बनाने की तैयारी जोर शोर पर चल रही है वही कोचिंग सिटी जल्द केटल फ्री शहर भी बनने जा रहा है ।

नगर विकास न्यास सचिव राजेश जोशी ने बताया कि पशुपालकों को एक ही जगह पर सभी सुविधाएं प्रदान किए जाने ओर कोटा शहर को पशुओं से मुक्त और पशुपालकों के जीवन स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से बनाई गई देवनारायाण योजना का कार्य अब अतिम दौर में है । योजना के तहत 738 आवासों का मय बाडे , चारा स्टोर की सुविधा के साथ निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इसके साथ ही देवनारायण योजना में पशुपालको उनके परिवारों के लिए पानी , बिजली , सडक , चिकित्सा , गोबर गैस संयंत्र पुलिस चौकी , प्रशासनिक भवन आदि की सुविधाएं भी उपलब्ध करवा रही है यही नही पशुपालकों के लिए सामुदायिक भवन , बच्चों के लिए स्कूल , चिकित्सालय , पशु चिकित्सालय जैसी सभी सुविधाएं भी दी जा रही है। पशुओं के लिए तालाब , खुला चारागाह, विचरण के लिए प्रतिकूल जगह भी उपलब्ध है।

योजना मुख्यमंत्री द्वारा बजट घोषणा वर्ष 2020-21 में 300 करोड़ की लागत से कोटा शहर के पशुपालकों को सुव्यवस्थित रूप से बसाने के लिए देवनारायण एकीकृत आवासीय योजना विकसित करने की घोषणा की गई थी । मुख्यमंत्री द्वारा इस परियोजना की आधारशिला रखी गई थी । नगर विकास न्यास द्वारा पशुपालकों के लिए देवनारायण नगर एकीकृत आवासीय योजना के राजस्व ग्राम धर्मपुरा एवं बंधा की 105.09 हैक्टेयर भूमि का चयन किया गया था यह कस्बा घनी आबादी से दूर है तथा कोटा शहर के दक्षिणी बाईपास से लगभग 7 कि.मी की दूरी पर है । योजना के तहत पशुपालकों के लिए 738 आवासीय भूखण्डों ( 35 फीट गुणा 90 फीट के 380 आवास 35 फीट गुणा 70 फीट क का निर्माण किया गया है । पिछले भाग में लगभग 40 वर्गमीटर क्षेत्रफल में 2 कमरे , रसोईघर , शौचालय , स्नानघर बरामदा एवं चारास्टोर की सुविधा से युक्त आवास का निर्माण किया गया है पशुओं के लिए शेड का निर्माण किया गया है । जिसमें भूखण्ड के क्षेत्रफल के अनुसार 18 से 20 या 26 से 28 पशुओं के पालने की क्षमता होगी । योजना में आवासीय भूखण्डों के अतिरिका डेयरी उद्योग , भूसे गोदाम , खलचूरी गोदाम के साथ सामान्य व्यावसायिक क्षेत्र भी बनाये गए है।

योजना में विद्यालय भवन , प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र , पशु चिकित्सालय , सामुदायिक भवन , सोसायटी कार्यालय , पुलिस चौकी जी ० एस ० एस ० , पानी की टंकियां सीवर लाइन , पार्क , नाली , सड़के , एस ० टी ० पी ० , पशुमेला मैदान , दुग्ध मण्डी एवं रंगमंच आदि का भी निर्माण किया किया गया है । यहाँ लगभग 15000 पशुओं से प्राप्त गोबर के निस्तारण हेतु न्यास द्वारा बायोगैस संयंत्र की स्थापना की जा रही है जिसका कार्य जल्द हो जाएगा । बायोगैस संयंत्र से गोबर की दुर्गंध से मुक्ति मिलेगी तथा पशुपालकों को बायोगैस संयंत्र को गोबर के विक्रय से अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त होगी । बायोगैस संयंत्र से गोबर के निस्तारण के साथ – साथ खाद एवं बायोगैस का भी उत्पादन भी होगा ।