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देश भर के छात्र मोदीजी से पूछ रहे हैं रोचक सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर क्या आपको भी कभी परीक्षा से डर या तनाव हुआ था? आपके अभिभावक भी आपको परीक्षा के नाम पर घूमने, टीवी देखने और घर के बाहर जाकर दोस्तों संग खेलने से रोकते थे? कोई भी बात क्या, ‘परीक्षा आने वाली है’, के नाम पर आकर खत्म हो जाती थी?

क्या इंजीनियरिंग या मेडिकल में जाने से ही नौकरी मिलेगी? देशभर से छात्रों ने कुछ ऐसे ही सवाल mygov.in पर मोदी सर की परीक्षा पर चर्चा की क्लासरूम के लिए भेजे हैं, जिस पर 16 फरवरी को पीएम तालकटोरा स्टेडियम से सीधे जवाब देंगे।

सूत्रों के मुताबिक, पीएमओ की वेबसाइट mygov.in पर अभी तक परीक्षा पर चर्चा के लिए करीब 21,395 प्रश्न भेजे गए हैं। हालांकि अभी विभिन्न शिक्षा बोर्ड और सोशल मीडिया से आने वाले सवाल बाकी हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, अंडमान निकोबार आदि के छात्रों ने परीक्षा संबंधी अपनी दिक्कतों को लेकर अपने सवाल ई-मेल किए हैं।

बेशक केंद्र से तल्खी के चलते पश्चिम बंगाल सरकार इस कार्यक्रम में भाग नहीं ले रही है, लेकिन बंगाल से सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने सवाल भेजे हैं। अब इनमें से चयनित प्रश्नों का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 फरवरी को तालकटोरा स्टेडियम में लाइव देंगे।

अपनी परीक्षा का तनाव कैसे कम करते थे?

कुछ छात्रों ने पीएम से प्रश्न किया है कि वे अपनी परीक्षा का तनाव कैसे कम करते थे? क्या उन्हें भी परीक्षा से डर लगता था? परीक्षा का तनाव अभिभावकों और शिक्षकों का बनाया हौव्वा है। क्योंकि वे हमारी दूसरे बच्चों से तुलना करते हैं, जिससे हमारे अंदर द्वेष की भावना आ जाती है।

मोदी सर हमारी इच्छा कोई नहीं पूछता है, क्योंकि इंजीनियरिंग या मेडिकल की डिग्री नहीं होगी तो नौकरी भी नहीं मिलेगी। पेरेंट्स ने कहा, इंजीनियरिंग या मेडिकल में ही अच्छा भविष्य हैं, क्योंकि इन्हीं दो सेक्टर में नौकरी मिलेगी, क्या सच में यदि वे अच्छे नंबर नहीं ला पाते हैं तो उन्हें आगे चलकर कोई नौकरी नहीं मिलेगी? इसीलिए हम बेहद प्रेशर में हैं? आपने बेहद अच्छी पुस्तक लिखी है, लेकिन पेरेंट्स व टीचर को कौन समझाएगा। बच्चों के साथ आपको उनकी भी क्लास लेनी चाहिए।

पेरेंट्स और सोसायटी के प्रेशर में अपनी इच्छा भूले
छात्रों ने लिखा है कि अभिभावकों और समाज के दबाव के बीच वे अपनी इच्छाओं को भूल गए हैं? क्योंकि उन्हें अब डर सताता है कि यदि उनके दोस्तों व रिश्तेदार के बच्चों से कम नंबर आते हैं तो फिर उनकी बेइज्जती होगी? वे याद तो करते हैं, लेकिन परीक्षा केंद्र पहुंचते ही नर्वस हो जाते हैं, जिसके चलते जानकारी होने के बाद भी प्रश्नों का सही जवाब नहीं लिख पाते हैं? भारत में इंजीनियरिंग या मेडिकल की डिग्री ही इंटेलिजेंस का आधार है? क्या दूसरे प्रोग्राम की पढ़ायी या व्यवसाय का कोई भविष्य नहीं है?