Tuesday, March 19, 2024
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पृथ्वी-2 का सफल परीक्षण

बालेश्वर (ओडिशा): भारत ने बुधवार (21 फरवरी) को देश में निर्मित एवं परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम तथा 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली पृथ्वी-2 मिसाइल का ओडिशा के एक परीक्षण केंद्र से सफल रात्रि परीक्षण किया. रक्षा सूत्रों ने बताया कि सेना द्वारा प्रायोगिक परीक्षण के तौर पर सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल को रात करीब साढ़े आठ बजे चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-3 से दागा गया. इस सटीक परीक्षण से पहले 18 जनवरी को अग्नि-5, छह फरवरी को अग्नि-1 और मंगलवार (20 फरवरी) को अग्नि-2 का ओडिशा अपतटीय क्षेत्र स्थित अब्दुल कलाम द्वीप से सफल परीक्षण किया गया था.

गत सात फरवरी को चांदीपुर स्थित आईटीआर से पृथ्वी-2 का भी सफल प्रायोगिक परीक्षण किया गया था. अत्याधुनिक पृथ्वी-2 मिसाइल 500 से एक हजार किलोग्राम तक का आयुध ले जाने में सक्षम है और यह दोहरे इंजन वाली तरल प्रणोदक चालित है. रक्षा सूत्रों ने बताया कि यह अत्याधुनिक मिसाइल 350 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है. इसमें लक्ष्य को भेदने के लिए आधुनिक जड़त्वीय दिशा-निर्देशन प्रणाली लगी है और यह अपने प्रक्षेप पथ पर बड़ी कुशलता से आगे बढ़ती है.

सूत्रों ने बताया कि प्रशिक्षण अभ्यास के तहत मिसाइल को उत्पाद भंडार से रैंडम तरीके से उठाया गया और इसकी समूची प्रक्षेपण गतिविधियों को सेना की रणनीतिक बल कमान ने अंजाम दिया तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के वैज्ञानिकों ने इसकी निगरानी की.

वहीं दूसरी ओर केंद्रीय विमान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार (21 फरवरी) को कहा कि विज्ञान एवं स्वदेशी तकनीकी से बने भारत के हल्के परिवहन विमान सारस ने बेंगलुरु में बुधवार को दूसरी बार सफल परीक्षण उड़ान भरी. उन्होंने कहा कि उत्पादन मॉडल डिजायन इस साल जून-जुलाई तक तैयार हो जाने की संभावना है. यह प्रायोगिक उड़ान करीब 25 मिनट तक चली जिसकी कमान भारतीय वायुसेना (एयरक्राफ्ट सिस्टम टेस्टिंग एस्टैबलिशमेंट) के विंग कमांडर यू पी सिंह, ग्रुप कैप्टन आर वी पनिक्कर, ग्रुप कैप्टन के हाथों में थी.

इस मालवाहक विमान ने यहां एचएएल के हवाई अड्डे से उड़ान भरी. हर्षवर्धन ने कहा कि सारस पीटी 1 एन के लिए निर्धारित 20 परीक्षण उड़ानों का बुधवार (21 फरवरी) को यह दूसरा परीक्षण है. उसका पहला सफल परीक्षण इस साल 24 जनवरी को हुआ था. सारस के सैन्य संस्करण के लिए एचएएल उत्पादन एजेंसी होगी, जबकि उसके असैन्य संस्करण का निर्माण कार्य निजी उद्योगों को सौंपा जाएगा.

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