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बाँए हाथ वाले बच्ची की पुकार सुनी कंपनी ने

दुनिया में 10 प्रतिशत लोग बाएं हाथ से काम करना और लिखना पसंद करते हैं। लेकिन भले ही बचपन से वे बाएं हाथ से काम करते हो लेकिन किसी न किसी काम को लेकर इन लेफ्टी-हैंडेड लोगों को परेशानी हो ही जाती है।

मुंबई में रहने वाली श्वेता सिंह की साढ़े चार साल की छोटी बेटी के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। एक दिन वह अपसेट थी और रो भी रही थी क्योंकि वह अपनी पेंसिल शार्प नहीं कर पा रही थ। कारण यही था कि वह लेफ्ट-हैंडेड थी और उसका शार्पनर उस हिसाब से नहीं था। श्वेता ने बेटी की परेशानी दूर करने के लिए लेफ्ट-हैडर्स के सिए स्टेशनरी आइटम्स ऑनलाइन सर्च किए। उन्हें कुछ आइटम्स तो मिले लेकिन बहुत ही महंगे थे। एक छोटे-से शार्पनर की कीमत 700 से 1200 रुपए थी।

फिर क्या था श्वेता ने हिंदुस्तान पेन्सिल्स प्रा. लि. को इस संबंध ने खत लिखा जो कि नटराज और अप्सरा पेंसिल्स बनाते हैं। उनका खत पहुंचा तो उसके बाद एक सीनियर ऑफिसर का श्वेता के पास कॉल आया और इस संबंध में आगे काम करने को लेकर आश्वासन दिया। इसके बाद उन्हें एक पैकेट मिला जिसमें उनकी बेटी के लिए डिजाइन करे गए पांच शार्पनर थे।

इनके साथ एक पत्र भी मिला। उसमें लिखा है ‘यूं तो हम लेफ्ट-हैंडेड बच्चों के लिए शार्पनर का नियमित उत्पादन नहीं करते हैं लेकिन अपनी रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम के माध्यम से हम आपके लिए ये विशेष रूप से तैयार शार्पनर भेज रहे हैं। इनके नियमित उत्पादन पर हम काम कर रहे हैं और बाजार में लॉन्च करते समय हम आपसे जरूर करेंगे।’

श्वेता ने इस लेटर और उस स्टेशनरी को तस्वीर शेयर करते हुए कंपनी को शुक्रिया कहा।