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अंबेडकर विश्वविद्यालय में मध्यस्थ दर्शन सह अस्तित्ववाद शोध पीठ में सुनीता पाठक

महू। डॉ बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू ने मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद पर नवीन शोध पीठ की स्थापना की है। इस शोध पीठ पर मानद आचार्य के रूप में श्रीमती सुनीता पाठक को नियुक्त किया गया है। उनका कार्यकाल 5 वर्ष का होगा। सुनीता पाठक मध्यस्थ दर्शन सह अस्तित्ववाद की विगत 20 वर्षों से अध्येता हैं। वे सोमैया विद्या बिहार मुंबई में जीवन विद्या अध्ययन केंद्र में शोध अधिकारी और गांधी विद्या मंदिर में मूल्य शिक्षा प्रकोष्ठ की ओएसडी थीं और आई ए एस ई मान्य विश्वविद्यालय सरदारशहर में चेतना विकास मूल्य शिक्षा विभाग में मूल्य शिक्षा अध्यापन कार्य करती रही है। इससे पूर्व बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल में महिला अध्ययन केंद्र में शोध सहायक के रूप में ‘स्त्री एक मानव’ शोध परियोजना में कार्यरत रही है। उन्होंने देशभर में अनेक राज्यों में जीवन विद्या शिविरों का प्रबोधन किया है।

मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद की उद्गम स्थली मध्य प्रदेश नर्मदा नदी के उद्गम अमरकंटक है। श्रद्धेय नागराज ने 1950 से 2016 तक अस्तित्व मूलक मानव केंद्रित चिंतन के रूप में मध्यस्थ दर्शन से सहअस्तित्ववाद का प्रतिपादन किया और गहन साधना विभिन्न वांग्मयों की रचना की।

यह शोध पीठ नागराज जी के अनुसंधान के निष्कर्षों को शिक्षा वस्तु, पाठ्यक्रम निर्माण और अन्य अकादमिक गतिविधियों से जोड़ने का कार्य करेगा। उनकी नियुक्ति श्री ए नागराज की पुत्री डॉक्टर शारदा शर्मा की अनुशंसा और विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के अनुमोदन से की गई है।