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तरुण तेजपाल मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा 31 मार्च तक फैसला किया जाए

सुप्रीम कोर्ट ने ‘तहलका’ मैगजीन के पूर्व एडिटर-इन-चीफ तरुण तेजपाल के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न मामले में मुकदमे की सुनवाई पूरी करने के लिए गोवा की अदालत को 31 मार्च 2021 तक का समय दिया है।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले अपने एक आदेश में 31 दिसंबर, 2020 तक तेजपाल के खिलाफ मुकदमे को पूरा करने की समयसीमा तय की थी। हालांकि, अदालत ने मंगलवार को समय तीन महीने के लिए बढ़ा दी।

तेजपाल पर आरोप है कि उन्होंने गोवा में 2013 में एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में अपनी पूर्व महिला सहयोगी का कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया था। हालांकि, तेजपाल ने इन आरोपों से इनकार किया है।

तेजपाल को इस मामले में 30 नवंबर, 2013 को गोवा की अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था। इससे पहले, अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी। बाद में उन्हें मई 2014 में जमानत मिली। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मंगलवार को इस मामले की सुनवाई की।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि संबंधित न्यायाधीश ने मुकदमे की सुनवाई पूरी करने के लिये समय बढ़ाने का अनुरोध किया है। गोवा सरकार ने इससे पहले एक आवेदन दायर कर न्यायालय से अनुरोध किया था कि इस मुकदमे की सुनवाई पूरी करने के लिये समय बढ़ाया जाए।

तेजपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल का कहना था कि शीर्ष अदालत पहले ही इस मुकदमे की सुनवाई पूरी करने के लिये 31 दिसंबर तक का समय बढ़ा चुकी है। उन्होंने कहा कि मामले को दिसंबर के अंतिम सप्ताह या फिर जनवरी में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया जा सकता है।

सिब्बल ने कहा, ‘अगर सुनवाई दिसंबर तक पूरी हो जाती है तो निचली अदालत के न्यायाधीश का यह आवेदन निरर्थक हो जाएगा और यदि सुनवाई पूरी नहीं हुई तो इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।’

पीठ ने इस पर टिप्पणी की कि 31 दिसंबर तक सुनवाई पूरी होने का कोई सवाल नहीं है क्योंकि अभी गवाहों से पूछताछ होनी है। बेहतर होगा कि 31 मार्च तक समय बढ़ा दिया जाये।

पीठ ने कहा, ‘सिब्बल जी समस्या यह है कि आप वीडियो कांफ्रेंस के लिये तैयार नहीं है वरना सुनवाई दो महीने में पूरी हो गयी होती।’

शीर्ष अदालत ने समय बढ़ाने का आवेदन रिकॉर्ड पर लेते हुये इसे 31 मार्च तक बढ़ा दिया। गोवा के मापूसा नगर की अदालत ने तेजपाल के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न सहित भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं में अभियोग निर्धारित किये हैं। शीर्ष अदालत ने इस मामले में उनके खिलाफ निर्धारित अभियोग निरस्त करने के लिये तेजपाल की याचिका पिछले साल खारिज कर दी थी।