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सुयश त्यागी की नवीन कृति “छूटते किनारे”

“छूटते किनारे” नाम से आई सुयश त्यागी जी की यह पुस्तक उन्हीं की तरह बेहद सरल है। एक युवा के जीवन की कहानी पर केंद्रित इस पुस्तक में उम्र के सभी पड़ावों पर खड़े किरदारों की बात की गई है। पुस्तक में अंकित सहज शब्दों को पढ़ते ही आप इस पुस्तक में जल्दी ढल जायेंगे। पुस्तक में पात्र के विद्यार्थी जीवन के साथ उसके संघर्षों, प्रेम, मित्रता सहित अन्य पहलुओं पर बात हुई है। इसमें युवक को एक बुजुर्ग का साथ मिलने एवं उनके परिवार के हिस्सा बनने की रोचक कहानी भी है। चूंकि लेखक स्वयं अच्छे पाठक हैं इसलिए उन्होंने इस पुस्तक को छोटे-छोटे अध्यायों में बाँटा है। यह पढ़ने को आसान बनाता है।

वर्तमान परिदृश्य को देखें तो थाने तहसील के नाम को सुनकर हम कई बार असहज महसूस करते हैं। लेकिन इस पुस्तक की कहानी पढ़ते ही आपको आनंद आएगा। यहाँ शुरुआत थाने से हुई है। लेखक ने इस पूरे घटनाक्रम को बेहद ही रोचक अंदाज से ढाला है। यह किस्सा पढ़ते हुए आपके सामने बड़ा ही हास्यास्पद घटनाक्रम चल पड़ेगा। पुस्तक में थाने का किस्सा जब आप पढ़ेंगे तो वहीं से पुस्तक आपको अपने से जोड़ लेगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं इसको पढ़ने से आपमें बड़ी ही जिज्ञासा पैदा होगी। इसी जिज्ञासा में आप पुस्तक को कब खत्म कर देंगे पता ही नहीं पड़ेगा।

पुस्तक “छूटते किनारे” में जिस पात्र पर ज्यादा बात हुई है। उसके बचपन में हुआ एक किस्सा बेहद ही शिक्षाप्रद है। आप इसे पढ़ेंगे तो उसमें आप जानेंगे कि बच्चे तो कुछ भी पसंद कर लेते हैं, परंतु परिजनों की जिम्मेदारी है कि उन्हें बेहतर के बारे में बताएं। पुस्तक में जैसे ही युवक का प्रेम प्रसंग आएगा, तब आपके सामने एक सुंदर और समझदार लड़की आएगी। जिसके साथ के घटनाक्रम को वर्तमान परिदृश्य से जोड़कर देखना आवश्यक है। अगर आप युवा हैं तो यह किस्सा पढ़कर आपके समक्ष प्रेम संबंध बनाए रखने की समझ विकसित होगी।

बड़ी ही सरल भाषा में लिखी इस पुस्तक में मैंने व्यक्तिगत रूप से कई स्थानों पर जुड़ाव महसूस किया। 134 पन्नो इस पुस्तक में बहुत ही कम पन्नों में गहरे अर्थ छुपे हैं। यह पुस्तक उम्र के हर पड़ाव पर खड़े व्यक्तियों के लिये है। आप यह पुस्तक खरीदें क्योंकि लेखक का व्यक्तित्व बड़ा ही जाना-माना है। लॉकडाउन में लिखी उनकी एक कविता पूरे प्रदेश भर में देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंची थी। उस कविता ने लोगों का हौंसला बढ़ाया था, उस कठिन समय उन्होंने उम्मीद का एक चिराग जलाया था। इससे पहले उनकी पुस्तक “ये फितूर और कश्मीरियत” काफी सराही गयी थी। बड़े ही सटीक लेखन के लिए उनकी पहचान है।

जो लोग पुस्तकें पढ़ते हैं वह “छूटते किनारे” नामक इस पुस्तक को खरीद ही लें। इसके साथ ही जिन्हें पुस्तकें पढ़ने की आदत नहीं उनसे मेरा अनुरोध है वह इसे अवश्य खरीदें, क्योंकि यह पुस्तक बड़ी ही सरल है। आपको पुस्तकें पढ़ने की शुरुआत करने में बड़ी मददगार होगी। लेखक ने पुस्तक को इतना रोचक बनाया है कि आप एक बार बैठकर ही इस पुस्तक को पूरा पढ़ लेंगे। आप amazon पर आसानी से यह पुस्तक प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तक लिंक-https://www.amazon.in/dp/8195382878

सौरभ तामेश्वरी

समीक्षक स्वतंत्र पत्रकार एवं ब्लॉगर हैं