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स्वदेशी जागरण मंच द्वारा गृह मंत्रालय के निर्णय का स्वागत

स्वदेशी जागरण मंच ने ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा गैर जरूरी सामान बेचे जाने हेतु गृह मंत्रालय द्वारा दी गई छूट को वापस लेने के फैसले का स्वागत किया है। बीते गुरुवार को सरकार ने ई कॉमर्स कंपनियों को लाक डाउन -2 के दौरान 20 अप्रैल से कम आवश्यक सामानों की ऑनलाइन बिक्री की छूट दी थी लेकिन सरकार ने इस छूट को अब वापस ले लिया है।

स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार के इस फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि यह देश के खुदरा व्यापारियों के हक में उठाया गया। एक बड़ा कदम है मंच का मानना है कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपने कुछ चिन्हित सामानों की बिक्री अपने खास रिटेलर नेटवर्क के माध्यम से ही करती रही हैं। कठिन परिस्थितियों के दौरान आम जनता के बीच अति आवश्यक जरूरत की चीजें मुहैया कराने में इनकी भागीदारी न के बराबर रही है। ऐसे में गृह मंत्रालय द्वारा पूर्व के दिशा निर्देश में इन्हें छूट दिया जाना उचित नहीं था वहीं हमारे खुदरा व्यापारियों को जो दिन-रात आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति में लगे हुए हैं उनके साथ अन्याय भी था।

कोरोना महामारी की इस लड़ाई में हमारे किराना ट्रेडर्स या पंसारी के दुकानदारों ने सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देशों के तहत सामाजिक दूरी के नियम का पालन करते हुए उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की जरूरतें पूरा करने का बखूबी निर्वाह किया है। समाज के सभी वर्गों द्वारा इनकी सेवाओं की सराहना हुई है। स्वदेशी जागरण मंच ने यह आशा व्यक्त की है कि देश के अन्य राज्य भी ई-कॉमर्स कंपनियों को लाक डाउन टू के दौरान वापस ली गई छूट का कड़ाई से पालन करेंगे।

इसके साथ ही साथ स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एफडीआई के नियमों को कड़ा किए जाने का भी स्वागत किया है। मालूम हो कि मंच बहुत पहले से एफडीआई के नियमों में कढ़ाई के लिए सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखता रहा है। मंच ने सरकार को कहा था कि कई एक चीनी कंपनियां पिछले दरवाजे से अनैतिक रूप से अपना निवेश बढ़ा रही हैं जो कि देशहित के खिलाफ है।सरकार ने इसका संज्ञान लिया है और आदेश जारी करते हुए कहा है कि जिन देशों की सीमा भारत से लगती है वहां से होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी। अब तक यह निवेश ऑटोमेटिक रूप से हो जाते थे। नियम बदलने से विदेशी निवेश की आड़ में चीन सहित सभी विदेशी कंपनियों द्वारा भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण की कोशिशों पर रोक लगेगी। भारत से सटे चीन बांग्लादेश नेपाल आदि को भी अब निवेश के लिए आवश्यक मंजूरी लेनी होगी। स्वदेशी जागरण मंच ने। हॉन्ग कॉन्ग मकाउ, सिंगापुर आदि देशों के माध्यम से आने वाले चीनी निवेश को रोकने के लिए भी इसी तरह के कड़े प्रावधान की मांग की है।

‘जूम’ऐप की तरह टिक टॉक और हेलो ऐप पर भी कार्रवाई की मांग।

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन बैठकें आयोजित कराने वाले ऐप जूम के खिलाफ गृह मंत्रालय द्वारा की गई कार्यवाही का स्वदेशी जागरण मंच ने स्वागत किया है। मालूम हो कि जूम ऐप का सरवर चीन में केंद्रित है। इसे लेकर दुनिया भर के देशों में आलोचना होती रही है। आरोप है कि चीन की सरकार इस ऐप से सूचनाएं हासिल करती रही है। मंच का मानना है कि इस ऐप के जरिए वर्चुअल मीटिंग के दौरान सहभागीओ के डाटा को हैक किया जाता है। स्वदेशी जागरण मंच ने इस खतरे के प्रति सरकार को पहले भी चेताया है तथा मांग की है कि गृह मंत्रालय और संचार मंत्रालय के अधीन आने वाला सी ई आर टी इन इसकी व्यापक जांच कराएं तथा लोगों के डाटा और निजता सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए।मंच ने यह भी मांग की है कि वर्चुअल मीटिंग के लिए इस तरह का ऐप विकसित करने हेतु देसी उद्यमियों को प्रोत्साहन दिया जाए। मौजूदा लाकडाउन को एक अवसर के रूप में लेते हुए इस पर काम किया जाना चाहिए ताकि आपसी बातचीत के जरिए माहौल को सामान्य बनाया जा सके और देसी ऐप को दुनिया के स्तर पर फैलाया जा सके।

मंच का यह भी कहना है कि संदिग्ध जूम ऐप की तर्ज पर हेलो और टिक टॉक जैसे चाइनीज ऐप पर भी जांच होनी चाहिए। इन एप्स पर भी शिकायतों की एक लंबी सूची है। इन पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने सांप्रदायिक व सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वाले तथ्यों को फैलाने का आरोप है। आरोप है कि चीन की सरकार इनके डाटा का भी अपने हिसाब से दुरुपयोग करती रही है।