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फेफड़े के कैंसर के इलाज में टार्गेटेड और इम्यूनो थेरेपी बेहद कारगर

नई दिल्ली। राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआई आरसी) ने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आरजीकॉन का आयोजन किया है। यह देश में कैंसर पर परिचर्चा के लिए आयोजित होने वाला सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस है। आरजीकॉन के 18वें संस्करण का आयोजन 8 से 10 फरवरी तक हो रहा है, जिसकी थीम है ‘थोरेसिक ओंकोलॉजी : ट्रांसलेटिंग रिसर्च इन्टू प्रैक्टिस’। कॉन्फ्रेंस में इस साल फेफड़े के कैंसर पर परिचर्चा को केंद्र में रखा गया है। आरजीकॉन 2019 में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स, स्पेन और स्विट्जरलैंड से अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। आरजीकॉन आरजीसीआई का महत्वाकांक्षी आयोजन है। इसकी आयोजक समिति में आरजीसीआई के सीनियर विशेषज्ञ डॉ. उल्लास बत्रा, डॉ. मुनीश गैरोला, डॉ. एलएम डारलॉन्ग और डॉ. सुनील पसरीचा शामिल हैं।

कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. उल्लास बत्रा ने कहा, “फेफड़े के कैंसर का पता प्रायः बाद के स्टेज में ही हो पाता है। इसीलिए मात्र 15 प्रतिशत मामलों में ही इसका इलाज संभव हो पाता है। हालांकि टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसी रणनीतियों और नए शोध से उम्मीद की किरण दिखी है। हमारे कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य है कि इस क्षेत्र के अग्रणी लोगों को साथ लाया जाए और नए शोध को इलाज में सहायक बनाया जाए।“ इस साल आरजीकॉन के साथ ही सायकॉन 2019 का भी आयोजन हो रहा है। यह सोसायटी ऑफ ओंकोलॉजी इमेजिंग इंडिया (एसओआईआई) का पहला वार्षिक कॉन्फ्रेंस है। एसओआईआई कैंसर प्रबंधन में कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट का महत्वपूर्ण संगठन है। कैंसर की जांच और प्रबंधन में इमेजिंग की बढ़ती भूमिका को केंद्र में रखते हुए सायकॉन का आयोजन किया जा रहा है। यूरोपीयन सोसायटी ऑफ ओंकोलॉजिक इमेजिंग (ईएसओआई) भी सायकॉन में साझेदार है। सायकॉन को मलेशिया के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट और न्यूयॉर्क के ग्लोबल फोकस ऑन कैंसर का भी समर्थन प्राप्त है। ‘थोरेसिक ओंकोलॉजी इमेजिंग’ की थीम पर आयोजित हो रहे इस कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के 500 से ज्यादा प्रतिनिधियों के शामिल हो रहे हैं।

एसओआईआई के प्रेसीडेंट और सायकॉन 2019 के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. अरविंद के. चतुर्वेदी ने कहा, “सही दिशा में प्रयास से कैंसर के सफल इलाज का रास्ता खुलता है। आरजीसीआई जैसे अस्पतालों ने ट्यूमर बोर्ड का गठन किया है जिसमें सर्जरी, रेडिएशन ओंकोलॉजी, मेडिकल ओंकोलॉजी, रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी और मॉलीक्यूलर डायग्नोस्टिक्स के विशेषज्ञ एक साथ बैठकर मरीज के लिए उचित इलाज पर विमर्श करते हैं। इस निर्णय में रेडियोलॉजिस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। इसलिए यह जरूरी है कि रेडियोलॉजिस्ट अपनी जिम्मेदारी को लेकर जागरूक हों।“ आरजीसीआई के जेनिटोयूरो चीफ और मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुधीर कुमार रावल ने कहा, “इमेजिंग के क्षेत्र में उन्नत हो रही तकनीक से कैंसर को समझने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं। कैंसर की जांच से लेकर उसके स्टेज का पता लगाने और इलाज का असर जानने तक में इमेजिंग की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।“