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विश्व में बढ़ रही है सनातन धर्म की स्वीकार्यता

दीपावली के पावन पर्व पर अभी हाल ही में दो समाचारों ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। एक समाचार के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका की संसद में एक बिल लाया जा रहा है जिसके पास होने के उपरांत दीपावली के पावन पर्व पर अमेरिका में भी राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की जा सकेगी। अतः दीपावली के दिन अमेरिका में भी राष्ट्रीय अवकाश रहेगा, जिस प्रकार आज भारत में रहता है। भारत से हजारों मील दूर, सात समुद्र पार, भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के 33 करोड़ से अधिक नागरिक अब राष्ट्रीय अवकाश के दिन दीपावली के पावन पर्व को मना सकेंगे।

इतिहास पर यदि नजर डालें तो आप पायेंगे कि इसके पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमेरिका के राष्ट्रपति भवन, “वाइट हाउस” में दीपावली के दिन, दीप जलाए जाने की परम्परा को प्रारम्भ किया था जिसे राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने भी जारी रखा। अमेरिका के पास ही बसे कनाडा में भी वहां के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो ने दीपावली के पावन पर्व पर दीप प्रज्वलित किया है। इसके साथ ही इंडोनेशिया के बाली द्वीप, मारिशस के द्वीपों एवं कम्बोडिया के मंदिरों में भी दीपावली का पावन पर्व बड़ी ही श्रद्धा एवं उमंग के साथ मनाया गया है। फीजी एवं मलेशिया में तो इस दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया। श्रीलंका में भी दीपावली का पावन पर्व वहां मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में शामिल है। नेपाल में दीपावली पर्व के दिन जानवरों की पूजा अर्चना बढ़ी ही श्रद्धा के साथ की जाती है। यहां, भारत में भी हम दीपावली के महान पर्व को “तमसोमा ज्योतिर्गमय” के वाक्य को चरितार्थ करते हुए मनाते है अर्थात दीपों का यह महान उत्सव हम सभी के लिए ज्ञान के चक्षु खोले एवं अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करे।

दूसरा समाचार, विश्व में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया से आया है। इंडोनेशिया की राजकुमारी दीया मुटियारा सुकमावती सुकर्णोपुत्री ने 26 अक्टोबर 2021 को मुस्लिम धर्म का त्याग कर हिन्दू धर्म में घर वापसी की है क्योंकि आपके पूर्वज हिन्दू ही रहे हैं। राजकुमारी दीया इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति सुकर्णों की तीसरी बेटी और इंडोनेशिया की पांचवीं राष्ट्रपति मेघावती सुकर्णो पुत्री की बहन है। उनके हिन्दू धर्म में दीक्षित होने के समर्थन में उनका पूरा राजपरिवार शामिल हुआ है। इसके पूर्व जावा की एक राजकुमारी कंजेंग रादेन अयु महिंद्रनी कुस्विद्यांति परमासी भी 17 जुलाई 2017 को बाली में सुधा वदानी संस्कार से हिन्दू धर्म में दीक्षित हो चुकी हैं। हाल ही में इंडोनेशिया की मुख्य न्यायाधीश इफा सुदेवी ने भी इस्लाम धर्म का परित्याग कर हिन्दू धर्म में दीक्षा ले ली है। इंडोनेशिया में हिन्दू धर्म की जड़ें बहुत गहरी हैं। वहां की 98 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है एवं हिन्दू केवल 2 प्रतिशत ही हैं फिर भी इंडोनेशिया में हिन्दू संस्कृति की छाप बहुत स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इंडोनेशिया की मुद्रा रूपईया पर “भगवान गणेश की प्रतिमा” विद्यमान है, इंडोनेशिया की राष्ट्रीय एयरलाइन को “गरुड़” एयरलाइन कहा जाता है। दशहरा एवं दीपावली के पावन पर्व पर आज भी इंडोनेशिया में रामलीला का मंचन बहुत ही श्रद्धा भाव से किया जाता है।

केवल इंडोनेशिया ही क्यों, आज तो जापान, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, आदि विकसित देशों में भी सनातन हिन्दू धर्म के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है और हाल ही के समय में विश्व की कई महान हस्तियों ने अपने मूल धर्म को छोड़कर या तो सनातन धर्म को अपना लिया है अथवा सनातन धर्म के प्रति अपनी आस्था प्रकट की है। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के संस्थापक स्टीव जोब्स, हॉलीवुड फिल्म स्टार सिल्वेस्टर स्टलोन, रशेल ब्राण्ड, ह्यू जैकमेन, पोप स्टार मेडोना, मिली सायरस, हांगकांग के प्रसिद्ध कलाकार जैकी हंग, हॉलीवुड की जानीमानी एक्ट्रेस जूलिया राबर्ट्स तो एक फिल्म की शूटिंग के लिए भारत आईं थी। भारत में सनातन धर्म से इतना प्रभावित हुईं थीं कि बाद में उन्होंने सनातन धर्म को ही अपना लिया था। उक्त कुछ नाम केवल उदाहरण के तौर पर दिए गए हैं अन्यथा विश्व में हजारों हस्तियों ने हाल ही में सनातन धर्म को अपना लिया है। एक अन्य समाचार के अनुसार, उत्तरी अमेरिका के कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, मेक्सिको एवं ग्रीनलैंड एवं यूरोप के कुछ देशों में आज प्रत्येक 4 मुस्लिम नागरिकों में से, एक नागरिक इस्लाम धर्म का परित्याग कर रहा है।

यह सब कुछ तब हो रहा है जब वैश्विक स्तर पर अन्य धर्मों के अनुयायियों पर सनातन हिन्दू धर्म ग्रहण करने के लिए कहीं भी किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जा रहा है। सनातन हिन्दू धर्म के प्रति इतने बड़े स्तर पर आकर्षण केवल भारतीय संस्कृति के प्रति आकर्षण के कारण ही हो रहा है। दरअसल अब वैश्विक स्तर पर अन्य धर्मों एवं सनातन हिन्दू धर्म में तुलना की जाने लगी है एवं वैश्विक स्तर पर इस्लाम धर्म को बहुत उग्र धर्म के रूप में नागरिक देख रहे हैं क्योंकि पूरे विश्व में आतंकवाद की जड़ें तुलनात्मक रूप से इस्लाम धर्म में ज्यादा गहरी पाई जा रहीं हैं। इसके ठीक विपरीत सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार इस धरा पर न केवल मानव बल्कि जानवरों एवं वनस्पति को भी अपनी अपनी स्वतंत्रा के साथ रहने का पूरा अधिकार है। सनातन हिन्दू धर्म में किसी भी प्रकार के बल प्रयोग, लोभ लालच को वर्जित माना गया है। हर जीव में प्रभु परमात्मा का वास है अतः वह पूजनीय एवं श्रद्धा योग्य है। इसी कारण से सनातन हिन्दू संस्कृति में न केवल मानव मानव से प्रेम करता पाया जाता है बल्कि पशुओं एवं वनस्पतियों को भी पूजा जाता है।

इसी कड़ी में यहां इस बात का वर्णन करना उचित होगा कि भारत में सनातन धर्म का गौरवशाली इतिहास विश्व में सबसे पुराना माना जाता है। कहते हैं कि लगभग 14,000 विक्रम सम्वत् पूर्व भगवान नील वराह ने अवतार लिया था। नील वराह काल के बाद आदि वराह काल और फिर श्वेत वराह काल हुए। इस काल में भगवान वराह ने धरती पर से जल को हटाया और उसे इंसानों के रहने लायक बनाया था। उसके बाद ब्रह्मा ने इंसानों की जाति का विस्तार किया और शिव ने सम्पूर्ण धरती पर धर्म और न्याय का राज्य कायम किया। सभ्यता की शुरुआत यहीं से मानी जाती है। सनातन धर्म की यह कहानी वराह कल्प से ही शुरू होती है। जबकि इससे पहले का इतिहास भी पुराणों में दर्ज है जिसे मुख्य 5 कल्पों के माध्यम से बताया गया है। यदि भारत के इतने प्राचीन एवं महान सनातन धर्म के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि हिन्दू संस्कृति एवं सनातन वैदिक ज्ञान वैश्विक आधुनिक विज्ञान का आधार रहा है। इसे कई उदाहरणों के माध्यम से, हिन्दू मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए, समय समय पर सिद्ध किया जा चुका है।

भारतीय विचार परंपरा में प्रकृति को भी भगवान का दर्जा दिया गया है। हम तो ‘क्षिति जल पावक गगन समीरा’ को मानने वाले लोग हैं। हमारी परंपरा में नदी, पर्वत और जल को पूजे जाने की परंपरा रही है। भारत में आज भी परम्परा अनुसार किसी भी शुभ अवसर पर प्रकृति को भी याद किया जाता है। इसके साथ ही, भारतीय ज्ञान परंपरा में जिन औषधियों की चर्चा मिलती है, आज वो अचानक बेहद महत्वपूर्ण हो गई हैं। आज पूरी दुनिया में भारतीय खान-पान की आदतों को लेकर विमर्श हो रहा है। भारत में तो हर मौसम के हिसाब से भोजन तय है। मौसम तो छोड़िए, सूर्यास्त और सूर्योदय के बाद या पहले क्या खाना और क्या नहीं खाना ये भी बताया गया है। पश्चिमी जीवन शैली के भोजन या भोजन पद्धति से इम्यूनिटी बढ़ने की बात आज समझ में आ रही है। आज भारतीय पद्धति से भोजन यानि ताजा खाने की वकालत की जा रही है, फ्रिज में रखे तीन दिन पुराने खाने को हानिकारक बताया जा रहा है। कोरोना काल के दौरान पूरी दुनिया ने भारतीय योग विद्या को आशा भरी नजरों से देखा है। आज जब कोरोना का कोई ज्ञात ट्रीटमेंट नहीं है तो ऐसे में श्वसन प्रणाली को ठीक रखने, जीवन शैली को संतुलित रखने की बात हो रही है। भारत में तो इन चीजों की एक सुदीर्घ परंपरा रही है।

अतः जब कोई संस्कृति और विचारधारा इतनी समृद्धशाली, विवेकशील होगी, उन्नत होगी, क्रांतिकारी होगी तो फिर उस संस्कृति और विचारधारा की स्वत: उन्नति होगी, स्वत: ग्रहण करने की प्रेरणा होगी। आज हम यह निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि इन्ही विशेषताओं को लेकर दुनिया भर में सनातन धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ी हैं, सनातन धर्म की विचारधारा को स्वीकार्य करने की क्रियाएं बढ़ी हैं। सनातन धर्म की विचारधारा को, आज जीवन की सुखमय प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए, एक प्रेरणा दृष्टि के तौर पर देखा जा रहा है और इसे विश्व में शांति और सदभावना स्थापित करने के लिए एक आवश्यक घटक माना जा रहा है। सनातन धर्म की यह निधि आगे भी बढ़ती ही जायेगी क्योंकि सनातन धर्म वैसे भी दुनिया की सबसे पुरानी जीवन शैली की शक्ति जो रहा है।

प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
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