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फिल्म उद्योग में खानों और खानदानों का काला साया

फिल्म इंडस्ट्री में मूवी माफिया का जो भंडाफोड़ हो रहा है वह सुखद है। एक बात जो सामने आ रही है वह यह है कि वॉलीवुड में कुछ लोग मिलकर किसी का भी कैरियर बर्बाद करने की क्षमता रखते है। कौन है यह लोग?? विवेक ओबेरॉय, अभिषेक बच्चन, सोनू निगम, अरिजीत सिंह जैसे तमाम लोगों के उदाहरण दिए जा रहे है पर इन सबमें एक नाम ऐसा है जिसे सिरे से भुला दिया गया है। बॉलीवुड में खेमेबाजी और इस्लामिक माफिया का पहला शिकार वहीं एक्टर था। उस कलाकार का नाम है — सनी देओल।

आखिर क्यों “गदर” जैसी कालजयी फिल्म देने के बाद भी इस स्टार का एक्टिंग कैरियर इस फिल्म के बाद लगातार सिकुड़ता चला गया? सनी देओल एक समय में देश के सबसे महंगे कलाकारों में से एक थे निर्देशक उनके लिए लाइन लगाते थे। उत्तर भारत में वृहद प्रशंसक होने के कारण एकल सिनेमा के दौर में भी फिल्म की लागत निकालने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ता था। मेरी आयु के मित्रगण इस बात की पुष्टि कर सकते है कि कैसे सनी देओल की फ़िल्म का टिकट लेने के लिए बॉक्स ऑफिस पर लठ बजता था। शांतिप्रिय लोग पहले सप्ताह में सनी देओल की फिल्म देख ही नहीं पाते थे ऐसा जलवा था। सनी देओल के आने की अफवाह मात्र से ही अमृतसर में कई लाख लोग इकट्ठा हो गए थे। आज सनी देओल कहां है? उन्हें फिल्म क्यों नहीं मिलती है? फिल्म इंडस्ट्री ने उनका लगभग बहिष्कार क्यों कर रखा है??

भारतीय सिनेमा के सफर को परिभाषित करना हो तो में ऐसे करूंगा

1. शोले
2. गदर
3. बाहुबली

कहते है गदर आज के जमाने में अर्थात मल्टीप्लेक्स के जमाने में रिलीज हुई होती तो ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर होती। भारतीय सिनेमा में सबसे अधिक टिकट जिन फिल्मों के बिके है उनमें एक गदर भी है। जब बाहुबली के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को लेकर देश में रोमांच का माहौल था उस समय गदर के निर्देशक अनिल शर्मा जी ने कहा था कि गदर आज रिलीज हुई होती तो उसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 5000 करोड़ रुपए से अधिक का होता। जिन फिल्मों के सबसे ज्यादा टिकट बिके है उनमें शोले है … मेरा गांव मेरा देश है और गदर भी है। ऐसा था गदर का जलवा।

अब वापस लौटते है सनी देओल के एक्टिंग कैरियर पर। गदर को इस्लामिक देशों में और विशेषकर पाकिस्तान में इस्लाम विरोधी करार दे दिया गया। गदर फिल्म पर पाकिस्तानी मीडिया ने सैकड़ों कार्यक्रम किए बहस की। यूट्यूब पर उपलब्ध हो भी सकते है और नहीं भी क्यूंकि बात काफी पुरानी भी हो गई और एक आम आदमी के लिए अप्रासंगिक तो कल भी थी और आज भी है। पाकिस्तान के एक बड़े पत्रकार हामिद मीर ने सनी देओल पर कई प्रोग्राम किए और उन्हें इस्लाम और पाकिस्तान विरोधी कहा। दाऊद और जिहादियों का फिल्म इंडस्ट्री पर कब्जा कोई आज से नहीं हुआ है एक जमाने से है। आप सुनील दत्त साहब के किस्से पढ़ सकते है। तो हुआ यह की एक के बाद एक देशभक्ति की फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभा रहे सनी देओल पर अंडरवर्ल्ड की नजर पड़ गई। बॉर्डर, गदर, इंडियन, फर्ज, जाल द ट्रैप, द हीरो और न जाने कितनी फिल्मों के माध्यम से देशभक्ति की अलख जगा रहे सनी देओल का कैरियर अब सिमटने लगा था। बड़े निर्देशक और फाइनेंसर उनसे किनारा करने लगे। उनकी फिल्मों की रिलीज में रोड अटकाए जाने लगे। उन्हें ही नहीं …. एक इंटरव्यू में बॉबी देओल कहते है की 20-22 फिल्मों की बात चल रही थी लेकिन एक के बाद एक सभी किनारे होते गए और उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। बॉबी देओल उतने सफल भी नहीं रहे पर इमरान हाशमी और इमरान खान और फरदीन खान जैसो से बेहतर थे। वह भी लिपट गए।

आज सनी देओल जैसे स्तर के कलाकार के पास काम नहीं है। मानता हूं कि अब वह 20 साल के नहीं है पर सलमान भी तो काम कर ही रहे है। शाहरुख खान और आमिर खान जैसे लोगो के पास काम की कोई कमी नहीं है। जिंदगी भर सनी देओल के साथ सहकलाकार की भूमिका निभाने वाले नसीरुद्दीन के पास काम की कोई कमी नहीं है। पर सनी देओल हाशिए पर है। आज परिस्थिति यह है कि सनी देओल के लड़के को लॉन्च करने के लिए स्वयं सनी देओल को आना पड़ा और एक बेहद ही तंग बजट की फिल्म बनी और नहीं चली। देओल परिवार का बहिष्कार किसके इशारे पर हो रहा है और कौन कर रहा है इसके मर्म में जाओगे तो वहीं निकलेगा जो ऊपर बता दिया गया है।

यह जो आज सुपरस्टार और दबंग भाई बनकर घूम रहे है इनको सनी देओल के जाने से सबसे ज्यादा लाभ मिला। एक्शन में सनी देओल का कोई सानी नहीं था … सनी चले गए, सुनील शेट्टी चले गए, अक्षय कुमार ने अलग तरह का सिनेमा किया … कुल मिलाकर एक्शन फिल्मों के बाज़ार में मैदान खाली था जिसे सलमान के लपक लिया। एक दौ कोड़ी का एक्टर जो जिंदगी भर संजय दत्त की स्टेपनी बनकर रहा वह आज सुपर स्टार है। सलमान खान ने सनी देओल के साथ एक फिल्म की थी और फिल्म का नाम था जीत …. एक बार जीत देखिए आपको पता चल जाएगा कि उन दिनों सनी देओल का क्या जलवा होता था और सलमान क्या था। जीत सनी देओल के कंधो पर टिकी थी और सुपरहिट थी … सलमान खान सहायक की भूमिका में थे।

सनी देओल अकेले नहीं थे। अंडरवर्ल्ड के हावी होते ही प्रतिभाशाली हिन्दू एक्टर्स को साइड किया जाने लगा। इरफ़ान खान और नवाजुद्दीन जैसे लोगो को आगे बढ़ने का रास्ता मिल रहा था पर अजीब बात थी कि सनी देओल को नहीं मिल रहा था क्यूंकि उनके रास्ते बंद किए जा रहे थे। मै हैरान होता हूं जब देखता हूं कि सनी देओल, नाना पाटेकर और सुनील शेट्टी जैसे लोगो के पास काम नहीं है। हृतिक रोशन जैसे प्रतिभाशाली लड़के के पास काम नहीं है …. बाप निर्देशक है तो काम मिल रहा है राकेश रोशन के बेटे नहीं होते तो अब तक बोरिया बिस्तर गोल कर निकल चुके होते। रणबीर कपूर को भी टारगेट किया गया था पर उसके पास भी बाप था अतः बच गया।

लोग कह रहे हैं कि इन जिहादियों की फिल्मों का बहिष्कार करो … मैंने सलमान और शाहरुख की आखिरी फिल्म *करण अर्जुन* देखी थी हॉल में तब से आज तक बॉयकॉट है और आगे भी रहेगा। इन चीजों के लिए कोई कोचिंग सेंटर नहीं होता है इन्हे खुद समझना होता है और इनका इलाज करना होता है। पर कोई बात नहीं देर आए दुरुस्त आए … जिहादी सिनेमा और जिहादी एक्टर्स का बहिष्कार करिए … यह गोली सीधा दाऊद इब्राहिम के सीने पर लगती है यह याद रखिए।

(लेखक अज्ञात, कॉपी पेस्ट, जैसा पाया)