Friday, March 29, 2024
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हिंदी की खनक से झंकृत हुई पीतल की नगरी

मुरादाबाद को प्राय: पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है। यहाँ लंबे समय से बड़े पैमाने पर पीतल का काम और उसके निर्यात का कार्य होता है लेकिन अब यहाँ पीतल के साथ अन्य धातुओं और लकड़ी आदि का कार्य और निर्यात भी बड़े स्तर पर होता है।लेकिन साहित्य की बात हो तो हुल्लड़ मुरादाबादी का ही नाम सुनने में आता है । जबकि सच्चाई यह है कि यहाँ जितने भाषा-साहित्य आदि के कार्यक्रम होते हैं उतने बहुत कम नगरों में होते हैं। ऐसे ही दो कार्यक्रमों में सहभागिता करने पर सुखद अहसास हुआ।

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित हिंदी भाषा एवं साहित्यिक की संस्था ‘हिंदी साहित्य संगम’ के कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लिया। साहित्य संगम के तत्वावधान में, संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार श्री राजेन्द्र मोहन शर्मा ‘श्रृंग’ जी की पुण्यतिथि पर उनकी स्मृति में दिनांक 19 दिसम्बर, 2021 को आयोजित कार्यक्रम में मुरादाबाद की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० पूनम बंसल जी को सम्मानित किया गया। कवि सम्मेलन में कवियों ने एक से एक बढ़कर भावनात्मक, प्रासंगिक और जन चेतना की कविताएं पढ़ीं। मैंने भी ‘मुझको इंडिया मत कहना, मैं भारत हूं’ कविता पढ़ी। डॉ. पूनम बंसल की कविताओं ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ महेश दिवाकर ने की। कार्यक्रम का आयोजन महासचिव राजीव ‘प्रखर’ तथा कार्यकारी महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अशोक विद्रोही, रानी इंदू, मयंक शर्मा, मीनाक्षी ठाकुर, शिशुपाल मधुकर, योगेंद्र वर्मा व्योम, हेमा तिवारी, राशिद मुरादाबादी तथा मनोज रस्तोगी आदि ने भी कविताएं पढ़ी ।

कार्यक्रम में भारत नाम को अपनाने और ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के भारतीय भाषाओं को बचाने और बढ़ाने के अभियान के उद्देश्यों को भी सभी उपस्थितों के समक्ष प्रस्तुत किया और अनुरोध किया कि भाषाएँ बचेंगी तो ही साहित्य भी बचेगा। इसलिए साहित्यिक संस्थाओं को अपनी भाषाओं के प्रयोग व प्रचलन को बढ़ाने तथा सभी क्षेत्रों में हिंदी को प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयास करने होंगे। साथ ही देश के भारत नाम को अपनाने तथा इंडिया नाम को संविधान से हटाने के कार्य में भी जन-जागरण के माध्यम से सहयोग की बात भी उठाई तथा इसके लिए वैश्विक हिंदी सम्मेलन तथा जनता की आवाज फाउंडेशन द्वारा इस संबंध में किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी।

मुरादाबाद की सामाजिक, सांस्कृतिक व साहित्यिक संस्था ‘कार्तिकेय’ के कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सहभागिता की। कार्यक्रम में मुरादाबाद के अपर जिलाधिकारी सहित समाज के प्रमुख व्यक्ति भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में इला सागर का कहानी संग्रह ‘क्योंकि’ का विमोचन किया गया।

आज जिस प्रकार युवा वर्ग अपनी भाषाओं से मुंह मोड़ कर अंग्रेजी-परस्ती की तरफ बढ़ रहा है, ऐसे में मुरादाबाद की एक लड़की इला सागर का उत्कृष्ट स्तर का कहानी संग्रह सामने आना आशा जगाता है हालांकि मुझे लगता है कि कहानी संग्रह के नाम में ‘द सिनफुल बिकॉज’ लगाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। लेकिन कहानी संग्रह में विचारों और कल्पनाओं का रोचक समावेश है और लेखन में पैनापन है। हमें आशा है कि यह युवा लेखिका भविष्य में हिंदी लेखन में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाएगी। ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ की ओर से इला सागर को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ।

खचाखच भरे स्वतंत्रता सेनानी सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं को ‘भारत’ नाम अपनाने और संविधान के अनुच्छेद 1 से इंडिया नाम हटाने के लिए प्रयास किए जाने के साथ-साथ दैनिक व्यवहार, व्यापार, शिक्षा, रोजगार तथा न्याय आदि क्षेत्रों में भारतीय भाषाओं को प्रतिष्ठित किए जाने हेतु भी प्रेरित किया। उन्हें वैश्विक हिंदी सम्मेलन तथा जनता की आवाज फाउंडेशन द्वारा इस संबंध में किए जा रहे कार्यों की संक्षिप्त जानकारी भी दी गई। उपस्थित श्रोताओं में इन विचारों का करतल ध्वनि से स्वागत किया।अपर जिलाधीश ने भी इन विचारों से अपनी सहमति और सरोकार जताया और कहा कि वे प्रशासनिक व सामाजिक स्तर पर भारतीय भाषाओं को बढ़ाने में यथासंभव अपना योगदान देंगे।

कार्यक्रम का आयोजन में संस्था के अध्यक्ष दीपक बाबु, सचिव डॉ. पंकज दर्पण अग्रवाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अपर जिलाधिकारी आलोक वर्मा, प्राचार्य जॉली गर्ग, कवयित्री कमला सिंह जीनत, क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी एस. सी शर्मा, तथा सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेश दिवाकर सहित नगर के अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।

साभार- वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई से
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