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देश को एक समग्र जनसंख्या नीति की आवयश्कता है

भारतवर्ष में जनगणना के आंकड़े 2011 में हुई थी। वैश्विक स्तर पर उत्पन्न कोरोनावायरस(कोविद- १९) के कारण जनसंख्या की गणना नहीं हो सका ;क्योंकि संसार की व्यवस्थाएं प्रौद्योगिकी पर पूरी तरह आधारित हो चुकी थी ।जनसंख्या की गणना ना होने पर जनसांख्यिकी वृद्धि दर,प्रजनन दर ,दशकीय वृद्धि दर,युवाओं की आबादी ,कार्यशील जनसंख्या का भाग ,वृद्धों की संख्या एवं जनसंख्या का राज्यवार आंकड़े उपलब्ध नहीं हो सके हैं। अधिकृत आंकड़ों के उपलब्ध न होने के कारण शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में अत्यधिक चुनौतियां आती है।

भारत समकालीन समय में चीन से बड़ा जनसंख्या वाला देश हो चुका है, संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट अभिकरण संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के आंकड़ों के अनुसार भारत वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश हो चुका है, वैश्विक परिदृश्य में व वैश्विक जनसंख्या परिदृश्य में भारत को एक युवा राष्ट्र होने के नाते जो बढ़त प्राप्त है उसको संवारने और सहेजने का उचित अवसर आ चुका है।जनसंख्या के बढ़ने के सापेक्ष खाद की उपलब्धता, रोजगार की उपलब्धता, आवास की उपलब्धता, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता इत्यादि चुनौतीपूर्ण है।

कुल मिलाकर भारत को एक समग्र जनसंख्या नीति की दिशा में सकारात्मक पहल की आवश्यकता है ।भारत वर्तमान के अवधि में आर्थिक विकास की अधोसंरचना ,वितरण की समानता और समग्र मानवीय विकास के अवसरों पर पर्याप्त प्राथमिकता दिया है; लेकिन हमारे समक्ष सवाल उभर कर आ रहा है कि हमारे लक्ष्य हमारी आवश्यकताओं से ठीक तरह से मेल खा रहे हैं। इसका समुचित आकलन एक व्यापक योजना और समग्र नीति के अंतर्गत ही हो सकता है, जो अद्यतन जनगणना के आंकड़ों पर आधारित हो।

प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि चीन और भारत की जनसांख्यिकी आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करने से यह तथ्य पाया जा रहा है कि भारत की तुलना में चीन के नागरिकों का औसत आयु 10 वर्ष अधिक है। एक युवा राष्ट्र होने के कारण भारत को जो बढ़त प्राप्त है ,वह भारत की कार्यशील जनसंख्या के कारण प्राप्त है। 2016 में चीन में एक संतान वाली नीति को त्याग दिया था; और 2021 के बाद से वह तीन बच्चों के लिए प्रोत्साहन देने की नीति पर आ गया था ।

जनसंख्या की नीति का एक विशेष चरित्र यही है कि उसे अचानक किसी भी दिशा में मोड़ा नहीं जा सकता और इसका परिणाम यह होगा कि इसको जमीनी स्तर पर लाने में अधिक समय लग जाएगा ।जनसंख्या एक ऐसी संकल्पना है, जिस को पटरी पर लाना होगा ।जनसंख्या के प्रत्यय को ठीक से संभाला और संवारा जा सके तो वह किसी भी राष्ट्र के लिए अमूल्य वरदान सिद्ध होता है।

(लेखक प्राध्यापक व राजनीतिक विश्लेषक हैं)